अंबाला: वक्त बीतने के साथ-साथ अब चीजें भी तेजी से सामान्य हो रही हैं. कोरोना का असर भी अब कम होता दिखाई दे रहा है. इसके बाद भी सरकार ने रेल ट्रैफिक को पूरी तरह बहाल नहीं किया है. जिस वजह से आम जन को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आमजन ने सरकार से गुहार लगाई है कि जिस तरह बाकी सभी सरकारी और गैर सरकारी विभागों को नियमित रूप से चलाने की इजाजत दी है. वैसे ही रेल ट्रैफिक को भी पटरी पर दौड़ाया जाए.
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अमरीश तिवारी और कमलेश नाम के रेलयात्रियों ने ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में कहा कि वो घंटों नहीं अब तो उन्हें दिनभर रेल का इंतजार करना पड़ता है. अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन पर रेल गाड़ियों का इंतजार कर रहे यात्रियों ने बताया कि सरकार ने जब स्कूल से लेकर मॉल तक, यहां तक की बसों को भी नियमित रूप से शुरू करने का फैसला किया है तो रेल ट्रैफिक को बहाल करने में क्या परेशानी है? रेल ट्रैफिक बहाल नहीं होने से आए दिन लोगों को परेशान होना पड़ता है.
वहीं रेल ट्रैफिक को नियमित रूप से बहाल करने को लेकर हमने नॉर्दन रेलवे मेंस यूनियन के डिविजनल सेक्रेटरी चरणजीत सिंह बाजवा से बातचीत की. उन्होंने इसके पीछे सरकार का हिडन एजेंडा बताया. सरकार 109 रूट पर 151 प्राइवेट ट्रेनें चलाने जा रही है. उन ट्रेनों को कामयाब बनाने के लिए ये हथकंडे अपना रही है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में अंबाला रेल मंडल में एक भी पैसेंजर ट्रेन नहीं चल रही. मात्र 10% मेल ट्रेन चलाई जा रही हैं, हालांकि सभी रूट पर रेल यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. उसके बावजूद भी रेल ट्रैफिक को नियमित रूप से बहाल नहीं करने का फैसला सबकी समझ से बाहर है.
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रेल ट्रैफिक को बहाल करने के मुद्दे पर हमारी टीम ने डीआरएम गुरिंदर मोहन सिंह से बात की. उन्होंने माना कि एक भी पैसेंजर ट्रेन मौजूदा समय में अंबाला रेल मंडल से नहीं चल रही. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद से धीरे-धीरे ट्रैफिक को खोला जा रहा है और जरूरत के हिसाब से रेल रूटस पर गाड़ियां चलाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि जनवरी 2020 में अंबाला रेलवे में 55 से 60 हजार करोड़ रेवेन्यू जनरेट हुआ था. इस साल जनवरी 2021 में ये 50 फीसदी भी नहीं है.
डीआरएम गुरविंदर मोहन ने कहा कि सिटिंग कैपेसिटी को ध्यान में रखकर धीरे-धीरे ट्रेनों को चलाया जा रहा है. अगर कोई ट्रेन पूरी सीटिंग कैपेसिटी के साथ चल रही है तो वहां दूसरी ट्रेन भी चलाई जा रही है. अगर वो भी पूरी सीटिंग कैपेसिटी के साथ चल रही है तो एक और ट्रेन को चलाया जा रहा है. इस तरह धीरे-धीरे सीटिंग कैपेसिटी को ध्यान में रखकर ट्रेनों की संख्या को बढ़ाया जा रहा है.