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स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में ही निजी अस्पताल कोरोना मरीजों से वसूल रहे मनमाने दाम, देखें ये रिपोर्ट

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Published : Sep 15, 2020, 9:04 PM IST

प्राइवेट अस्पताल कोरोना पॉजिटिव मरीजों से मोटा पैसा वसूल रहे हैं. ताजा मामला अंबाला के मिशन अस्पताल से सामने आया है. जिसे स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड केयर सेंटर बनाया गया है.

प्राइवेट अस्पताल
प्राइवेट अस्पताल

अंबाला: कोरोना वायरस फैलने का दौर है. सरकारी अस्पतालों पर कोरोना मरीजों के इलाज और देख-रेख का बड़ा जिम्मा है. साथ ही सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज का आदेश दे रखा है, लेकिन शिकायतें आ रही हैं कि प्राइवेट अस्पताल मरीजों से मोटा पैसा वसूल रहे हैं. वे लैब टेस्ट, दवाओं और पीपीई किट जैसे सामान पर जमकर मुनाफा कूट रहे हैं.

ऐसा ही एक मामला अंबाला के कोविड सेंटर मिशन अस्पताल से सामने आया. यहां कोरोना संक्रमित एक मरीज का इलाज 7 दिन चला, जिसका बिल 54 हजार रुपये बना दिया गया. अब यहां सवाल ये है कि जिन मरीजों को सिविल अस्पताल के माध्यम से निजी अस्पताल भेजा जाता है. उनका सारा खर्च सरकार उठाती है तो वो आखिर किस बात का पैसा दें ?

निजी अस्पताल कोरोना मरीजों से वसूल रहे मनमाने दाम, देखें ये स्पेशल रिपोर्ट

वहीं जब इस पूरे मामले की तह तक जाने के लिए हमने अंबाला स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाए गए कोविड केयर सेंटर मिशन हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. एस सादिक से बातचीत की तो उन्होंने साफ कहा कि अंबाला स्वास्थ्य विभाग द्वारा रेफर किए गए मरीजों से वो पैसे नहीं वसूलते, लेकिन अगर किसी मरीज की हालत क्रिटिकल हो तो वो बाकायदा उनसे राजीनामा लिखवाते हैं कि उनको इलाज में ये दवाइयां लगेंगी. जिसका चार्ज उनको देना होगा नहीं तो वो बाहर से भी वो दवाइयां खरीद सकते हैं.

ये भी पढ़ें- कृषि मंत्री ने चढूनी को बताया रजिस्टर्ड आढ़ती, कांग्रेस से मिलीभगत के लगाए आरोप

इस पूरे मामले पर जो जवाब डॉ. एस सादिक ने दिया वो बेहद हैरत में डालने वाला था. क्योंकि जब सरकार सारा खर्च उठा रही है तो निजी अस्पताल अपने मन मुताबिक राजीनामा कैसे लिखवा सकते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने सिविल सर्जन डॉ. कुलदीप सिंह से मुलाकात की. उन्होंने साफ कहा कि जो भी मरीज स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से निजी अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है उसका सारा खर्च सरकार उठाती है.

खैर ये बात समझ के बाहर है कि जब अंबाला स्वास्थ्य विभाग ने मिशन अस्पताल को कोविड सेंटर बनाया है तो वहां मरीजों से मनमर्जी पैसा क्यों वसूला जा रहा है. दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन ये बात मानने को तैयार भी है कि वो मरीजों का राजीनामा लिखवाकर पैसा वसूलते हैं. ऐसे में अंबाला स्वास्थ्य विभाग किस बात का इंतजार कर रहा है?

अंबाला: कोरोना वायरस फैलने का दौर है. सरकारी अस्पतालों पर कोरोना मरीजों के इलाज और देख-रेख का बड़ा जिम्मा है. साथ ही सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज का आदेश दे रखा है, लेकिन शिकायतें आ रही हैं कि प्राइवेट अस्पताल मरीजों से मोटा पैसा वसूल रहे हैं. वे लैब टेस्ट, दवाओं और पीपीई किट जैसे सामान पर जमकर मुनाफा कूट रहे हैं.

ऐसा ही एक मामला अंबाला के कोविड सेंटर मिशन अस्पताल से सामने आया. यहां कोरोना संक्रमित एक मरीज का इलाज 7 दिन चला, जिसका बिल 54 हजार रुपये बना दिया गया. अब यहां सवाल ये है कि जिन मरीजों को सिविल अस्पताल के माध्यम से निजी अस्पताल भेजा जाता है. उनका सारा खर्च सरकार उठाती है तो वो आखिर किस बात का पैसा दें ?

निजी अस्पताल कोरोना मरीजों से वसूल रहे मनमाने दाम, देखें ये स्पेशल रिपोर्ट

वहीं जब इस पूरे मामले की तह तक जाने के लिए हमने अंबाला स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाए गए कोविड केयर सेंटर मिशन हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. एस सादिक से बातचीत की तो उन्होंने साफ कहा कि अंबाला स्वास्थ्य विभाग द्वारा रेफर किए गए मरीजों से वो पैसे नहीं वसूलते, लेकिन अगर किसी मरीज की हालत क्रिटिकल हो तो वो बाकायदा उनसे राजीनामा लिखवाते हैं कि उनको इलाज में ये दवाइयां लगेंगी. जिसका चार्ज उनको देना होगा नहीं तो वो बाहर से भी वो दवाइयां खरीद सकते हैं.

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इस पूरे मामले पर जो जवाब डॉ. एस सादिक ने दिया वो बेहद हैरत में डालने वाला था. क्योंकि जब सरकार सारा खर्च उठा रही है तो निजी अस्पताल अपने मन मुताबिक राजीनामा कैसे लिखवा सकते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने सिविल सर्जन डॉ. कुलदीप सिंह से मुलाकात की. उन्होंने साफ कहा कि जो भी मरीज स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से निजी अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है उसका सारा खर्च सरकार उठाती है.

खैर ये बात समझ के बाहर है कि जब अंबाला स्वास्थ्य विभाग ने मिशन अस्पताल को कोविड सेंटर बनाया है तो वहां मरीजों से मनमर्जी पैसा क्यों वसूला जा रहा है. दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन ये बात मानने को तैयार भी है कि वो मरीजों का राजीनामा लिखवाकर पैसा वसूलते हैं. ऐसे में अंबाला स्वास्थ्य विभाग किस बात का इंतजार कर रहा है?

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