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किन्नर डेरों पर कोरोना की मार, खर्च चलाना मुश्किल

लॉकडाउन से पहले ये किन्नर महीने में 70 से 80 हजार रुपये कमा लिया करती थी. लेकिन अब 5 से 10 हजार रुपये की कमाई भी मुश्किल से होती है.

lockdown impact economic crisis on Shemale
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Published : Sep 28, 2020, 4:02 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 4:48 PM IST

अंबाला: समाज के हर तबके पर कोरोना महामारी का असर इस कदर पड़ा है कि लोगों को दो जून की रोटी भी मुश्किल से नसीब हो रही है. हर वर्ग इस महामारी से जूझ रहा है. ऐसा ही एक वर्ग है किन्नर. लॉकडाउन के बाद से किन्नर समाज भी आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. बात करें अंबाला की तो शहर में 4 से 5 किन्नर समाज के डेरे हैं. जिसमें करीब 20 से 25 किन्नर रहते हैं.

ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में अंबाला छावनी के केसरी इलाके में रहने वाली किन्नर शिवानी ने बताया की लॉकडाउन से उनके काम पर खासा असर पड़ा है. आलम ये है कि डेरे का गुजारा चलाना भी मुश्किल हो गया है.

लॉकडाउन के बाद आर्थिक मंदी की मार से जूझता किन्नर समुदाय, सरकार से मदद की आस

किन्ररों के डेरे में उनके चेले और संगीत के इंस्टूमेंट बजाने वाले कारीगर भी काम करते थे. लॉकडाउन के बाद से काम बंद हुआ तो कारीगर की सैलरी देना भी मुश्किल हो गया. किन्नर शिवानी की चेला मनीषा ने बताया की अगर जल्द ही हालात सही नहीं हुए तो उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी. बता दें कि इन किन्नरों ने लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की सेवा की है. घरों तक राशन पहुंचने का काम हो या फिर कोई दूसरी जरूरत की चीजें. हर चीज में इन्होंने लोगों की सहायता कर अहम योगदान दिया है.

लॉकडाउन से पहले ये किन्नर महीने में 70 से 80 हजार रुपये कमा लिया करती थी. लेकिन अब 5 से 10 हजार रुपये की कमाई भी मुश्किल से होती है. इन किन्नरों की नस्ल गुरु महंत इंदिरा और महंत पारो शर्मा ने 5 लड़कियों को अडॉप्ट किया था. जिनमें से चार लड़कियों को पढ़ा लिखा कर शादी दी, अभी एक की करनी है. इसके अलावा उनके पास बहुत से पशु भी हैं. जिनका खर्च उन्हें ही उठाना पड़ता है. ऐसे में किन्नरों ने गृह मंत्री अनिल विज से मदद की गुहार लगाई है.

ये भी पढ़ें- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर बीजेपी के एक पोस्टर ने करा दी पार्टी की किरकिरी

ईटीवी भारत हरियाणा के जरिए किन्नर समाज ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किन्नरों का कहना है कि जल्द ही सबकुछ सामान्य नहीं हुआ या फिर उनकी मदद नहीं की गई तो उनपर आर्थिक संकट और गहरा जाएगा.

अंबाला: समाज के हर तबके पर कोरोना महामारी का असर इस कदर पड़ा है कि लोगों को दो जून की रोटी भी मुश्किल से नसीब हो रही है. हर वर्ग इस महामारी से जूझ रहा है. ऐसा ही एक वर्ग है किन्नर. लॉकडाउन के बाद से किन्नर समाज भी आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. बात करें अंबाला की तो शहर में 4 से 5 किन्नर समाज के डेरे हैं. जिसमें करीब 20 से 25 किन्नर रहते हैं.

ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में अंबाला छावनी के केसरी इलाके में रहने वाली किन्नर शिवानी ने बताया की लॉकडाउन से उनके काम पर खासा असर पड़ा है. आलम ये है कि डेरे का गुजारा चलाना भी मुश्किल हो गया है.

लॉकडाउन के बाद आर्थिक मंदी की मार से जूझता किन्नर समुदाय, सरकार से मदद की आस

किन्ररों के डेरे में उनके चेले और संगीत के इंस्टूमेंट बजाने वाले कारीगर भी काम करते थे. लॉकडाउन के बाद से काम बंद हुआ तो कारीगर की सैलरी देना भी मुश्किल हो गया. किन्नर शिवानी की चेला मनीषा ने बताया की अगर जल्द ही हालात सही नहीं हुए तो उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी. बता दें कि इन किन्नरों ने लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की सेवा की है. घरों तक राशन पहुंचने का काम हो या फिर कोई दूसरी जरूरत की चीजें. हर चीज में इन्होंने लोगों की सहायता कर अहम योगदान दिया है.

लॉकडाउन से पहले ये किन्नर महीने में 70 से 80 हजार रुपये कमा लिया करती थी. लेकिन अब 5 से 10 हजार रुपये की कमाई भी मुश्किल से होती है. इन किन्नरों की नस्ल गुरु महंत इंदिरा और महंत पारो शर्मा ने 5 लड़कियों को अडॉप्ट किया था. जिनमें से चार लड़कियों को पढ़ा लिखा कर शादी दी, अभी एक की करनी है. इसके अलावा उनके पास बहुत से पशु भी हैं. जिनका खर्च उन्हें ही उठाना पड़ता है. ऐसे में किन्नरों ने गृह मंत्री अनिल विज से मदद की गुहार लगाई है.

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ईटीवी भारत हरियाणा के जरिए किन्नर समाज ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किन्नरों का कहना है कि जल्द ही सबकुछ सामान्य नहीं हुआ या फिर उनकी मदद नहीं की गई तो उनपर आर्थिक संकट और गहरा जाएगा.

Last Updated : Sep 28, 2020, 4:48 PM IST
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