अंबाला: कृषि कानूनों को वापस करने की मांग को लेकर किसान 12 दिन से दिल्ली से लगते बॉडर्र पर डटे हैं. एक तरफ किसान कड़कती ठंड में सड़क पर डेरा डालकर बैठे हैं तो दूसरी तरफ महिलाओं ने खेतों की कमान संभाल रखी है. पशुओं को चारा डालना, उनका दूध निकालना, उनके लिए खेत से चारा लाना.
किसानों की गैर मौजूदगी में घर की औरतें खेत में डटी हुई हैं. आस-पड़ोस के लोग इस काम में उनका हाथ बंटा रहे हैं. स्थानीय निवासी धर्मसिंह ने बताया कि अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र के जलबेड़ा गांव में 200 से 300 किसान आंदोलन में हिस्सा लेने गए हैं.
गांव के बुजुर्ग संभाल रहे खेतों का काम
धर्मबीर सिंह के मुताबिक आम तौर पर इस गांव में इन दिनों अच्छी खासी चहल-पहल होती थी, लेकिन आज ये गांव सूना पड़ा है. एक तरफ बहूएं घर का काम संभाल रही हैं तो बुजुर्ग महिलाएं खेत का काम संभाल रही हैं. पूर्णी देवी और रमिंदर कौर नाम की महिला ने बताया कि जलबेड़ा गांव के लगभग हर घर से किसान आंदोलन में शामिल होने दिल्ली गया है. ऐसे में उनकी अनुपस्थिति में खेतों का काम किसी चुनौति से कम नहीं है.
युवा पीढ़ी को खेती के बारे में ज्यादा पता नहीं. इसलिए गांव के बुजुर्ग और पड़ोसी उन्हें गाइड कर रहे हैं. किसान के परिजन भी सरकार से रवैये से खफा नजर आए. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी. तब तक किसान वहां पर डटे रहेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी अनुपस्तिथि में गांव के सब लोग मिलकर खेत खलीहान का काम संभालेंगे.
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बता दें कि 12 दिन से किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली लगते बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इस बीच सरकार और किसानों के बीच पांच दौर की बैठक हो चुकी है. लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है. इस बीच किसानों ने कल यानी 8 दिसंबर मंगलवार को भारत बंद भी बुलाया है.