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अंबाला में नियमों को ठेंगा दिखाकर बेचा जा रहा है मीट, आंखें मूंदे बैठा नगर परिषद! - अंबाला नगर परिषद न्यूज

अंबाला में नगर परिषद द्वारा आज तक एक भी मीट का काम करनेवाले को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. इसके बावजूद भी बाजार में खुलेआम मीट-मछली की दुकानें खुली हुई हैं और प्रदूषित तरीके से मीट मच्छी खुले में बेची जा रही है.

illegal meat shops in ambala
अंबाला में नियमों को ठेंगा दिखाकर बेचा जा रहा है मीट
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Published : Dec 22, 2019, 12:57 PM IST

अंबालाः छावनी में बिना लाइसेंस के दुकानों में मीट-मांस की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. उसके बावजूद नगर परिषद इन दुकानों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है. जानकारी के मुताबिक नगर परिषद द्वारा आज तक एक भी मीट का काम करनेवाले को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. इसके बावजूद भी बाजार में खुलेआम मीट-मछली की दुकानें खुली हुई हैं और प्रदूषित तरीके से मीट मच्छी खुले में बेचीं जा रही है.

क्या है प्रक्रिया
नगर परिषद सीमा में मांस की दुकानों के लिए परिषद के द्वारा एक लाइसेंस जारी किया जाता है. जिसमें मछली और मुर्गे के मीट के लिए लाइसेंस जारी होता है, जबकि सूअर और बकरे के मीट के लिए लाइसेंस जारी नहीं होता. इस प्रकार के लाइसेंस के लिए मीट कारोबारी को ऑनलाइन या मैनुअल आवेदन करना पड़ता है और परिषद के द्वारा लाइसेंस के मानक पूरे होने पर ही मीट की दुकान का लाइसेंस जारी किया जाता है.

पहले होती है जांच फिर मिलता है लाइसेंस
लाइसेंस जारी करने से पहले निगम कर्मी दुकान पर जाकर भौतिक सत्यापन कर मानकों की जांच भी करता है. जांच के दौरान दुकान में साफ-सफाई मीट के काटने की व्यवस्था के मानकों की जांच की जाती है और उसके बाद ही मीट कारोबारी को लाइसेंस जारी होता है. लेकिन यहां इसके विपरीत नगर परिषद द्वारा आज तक एक भी मीट का काम करनेवाले को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है.

खुले में प्रदूषित हो जाता है मीट
वहीं जब हमने लोगों से इस बारे में बातचीत की तो उनका कहना था की खुले में मीट नहीं बेचना चाहिए क्योंकि ना तो ये खाने लायक होता है और जो लोग मीट-मच्छी नहीं खाते उन लोगों को एक तो इस तरह खुले में मीट मच्छी देखकर घृणा होती है और दूसरी तरफ जो लोग मीट मच्छी खाते हैं उन लोगों को प्रदूषित मीट मच्छी खाने को मिलती है.

ये भी पढ़ेंः झज्जर: बदमाशों को नहीं है 'खाकी' का खौफ! सरेराह बंदूक के दम पर युवक से छीनी गाड़ी

डॉक्टर करे मीट की जांच
उन्होंने कहा कि प्रशासन को चाहिए कि वो मीट बेचने वालों को खुले में मीट बेचने से रोके और एक स्लॉटर हाउस व दुकानें बनवा कर बकायदा मीट मच्छी बेचने का लाइसेंस इशू करें. इसके अलावा वहां पर बेचे जाने वाले मीट की जांच करने के लिए एक डॉक्टर भी नियुक्त करें जो इस बात की जांच करें कि जिस जानवर का मीट बेचा जा रहा है. चाहे वो मच्छी हो या मुर्गा वो लोगों के खाने लायक हैं भी या नहीं.

खुले में मीट बेचना है गैरकानूनी
नगर परिषद के सेक्रेटरी राजेश कुमार से इस मामले में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि खुले में मीट बेचना गैरकानूनी है. उन्होंने बताया कि इसके लिए सख्त हिदायत दी गई है. इसके अलावा सफाई व्यवस्था का पूरा ध्यान रखने की भी हिदायत दी गई है.

मीट दुकानों को लाइसेंस जारी होने को लेकर उन्होंने बताया कि अभी तक किसी भी मीट के कारोबारी को आज तक इस प्रकार का कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है और स्लॉटर हाउस की बात करने पर उन्होंने बताया कि जल्दी ही प्रशासन की ओर से इनके लिए ऐसी व्यवस्था कर दी जाएगी.

अंबालाः छावनी में बिना लाइसेंस के दुकानों में मीट-मांस की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. उसके बावजूद नगर परिषद इन दुकानों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है. जानकारी के मुताबिक नगर परिषद द्वारा आज तक एक भी मीट का काम करनेवाले को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. इसके बावजूद भी बाजार में खुलेआम मीट-मछली की दुकानें खुली हुई हैं और प्रदूषित तरीके से मीट मच्छी खुले में बेचीं जा रही है.

क्या है प्रक्रिया
नगर परिषद सीमा में मांस की दुकानों के लिए परिषद के द्वारा एक लाइसेंस जारी किया जाता है. जिसमें मछली और मुर्गे के मीट के लिए लाइसेंस जारी होता है, जबकि सूअर और बकरे के मीट के लिए लाइसेंस जारी नहीं होता. इस प्रकार के लाइसेंस के लिए मीट कारोबारी को ऑनलाइन या मैनुअल आवेदन करना पड़ता है और परिषद के द्वारा लाइसेंस के मानक पूरे होने पर ही मीट की दुकान का लाइसेंस जारी किया जाता है.

पहले होती है जांच फिर मिलता है लाइसेंस
लाइसेंस जारी करने से पहले निगम कर्मी दुकान पर जाकर भौतिक सत्यापन कर मानकों की जांच भी करता है. जांच के दौरान दुकान में साफ-सफाई मीट के काटने की व्यवस्था के मानकों की जांच की जाती है और उसके बाद ही मीट कारोबारी को लाइसेंस जारी होता है. लेकिन यहां इसके विपरीत नगर परिषद द्वारा आज तक एक भी मीट का काम करनेवाले को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है.

खुले में प्रदूषित हो जाता है मीट
वहीं जब हमने लोगों से इस बारे में बातचीत की तो उनका कहना था की खुले में मीट नहीं बेचना चाहिए क्योंकि ना तो ये खाने लायक होता है और जो लोग मीट-मच्छी नहीं खाते उन लोगों को एक तो इस तरह खुले में मीट मच्छी देखकर घृणा होती है और दूसरी तरफ जो लोग मीट मच्छी खाते हैं उन लोगों को प्रदूषित मीट मच्छी खाने को मिलती है.

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डॉक्टर करे मीट की जांच
उन्होंने कहा कि प्रशासन को चाहिए कि वो मीट बेचने वालों को खुले में मीट बेचने से रोके और एक स्लॉटर हाउस व दुकानें बनवा कर बकायदा मीट मच्छी बेचने का लाइसेंस इशू करें. इसके अलावा वहां पर बेचे जाने वाले मीट की जांच करने के लिए एक डॉक्टर भी नियुक्त करें जो इस बात की जांच करें कि जिस जानवर का मीट बेचा जा रहा है. चाहे वो मच्छी हो या मुर्गा वो लोगों के खाने लायक हैं भी या नहीं.

खुले में मीट बेचना है गैरकानूनी
नगर परिषद के सेक्रेटरी राजेश कुमार से इस मामले में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि खुले में मीट बेचना गैरकानूनी है. उन्होंने बताया कि इसके लिए सख्त हिदायत दी गई है. इसके अलावा सफाई व्यवस्था का पूरा ध्यान रखने की भी हिदायत दी गई है.

मीट दुकानों को लाइसेंस जारी होने को लेकर उन्होंने बताया कि अभी तक किसी भी मीट के कारोबारी को आज तक इस प्रकार का कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है और स्लॉटर हाउस की बात करने पर उन्होंने बताया कि जल्दी ही प्रशासन की ओर से इनके लिए ऐसी व्यवस्था कर दी जाएगी.

Intro:अम्बाला छावनी में बिना लाइसेंस के दुकानों में मांस की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है यह होने पर भी नगर परिषद् मास की दुकानों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है नगर परिषद् सीमा में मांस की दुकानों के लिए परिषद् के द्वारा एक लाइसेंस जारी किया जाता है जिसमें मछली और मुर्गे के मीट के लिए लाइसेंस जारी होता है जबकि सूअर और बकरे के मीट के लिए लाइसेंस जारी नहीं होता इस प्रकार के लाइसेंस के लिए मीट कारोबारी को ऑनलाइन या मैनुअल आवेदन करना पड़ता है और परिषद् के द्वारा लाइसेंस के मानक पूरे होने पर ही मीट की दुकान का लाइसेंस जारी किया जाता है और इसके लिए निगम कर्मी दुकान पर जाकर भौतिक सत्यापन कर मानकों की जांच भी करता है इस दौरान दुकान में साफ-सफाई मीट के काटने की व्यवस्था के मानकों की जांच की जाती है उसके बाद ही मीट कारोबारी को लाइसेंस जारी होता है इसके विपरीत नगर परिषद द्वारा आज तक एक भी मीट का काम करनेवाले को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है इसके बावजूद भी बाजार में खुलेआम मीट मछली की दुकानें खुली हुई हैं।और प्रदूषित तरीके से मीट मच्छी खुले में बेचीं जा रही है। Body: वही जब हमने लोगों से इस बारे में बातचीत की तो उनका कहना था की खुले में मीट नहीं बेचना चाहिए क्योंकि ना तो यह खाने लायक होता है और जो लोग मीट मच्छी वगैरह नहीं खाते उन लोगों को एक तो इस तरह खुले में मीट मच्छी देखकर घृणा होती है और दूसरी तरफ जो लोग मीट मच्छी खाते हैं उन लोगों को प्रदूषित मीट मच्छी खाने को मिलती है, इसलिए प्रशासन को चाहिए कि वह मीट बेचने वालों को खुले में मीट बेचने से रोके और एक स्लॉटर हाउस व दुकानें बनवा कर बकायदा मीट मच्छी बेचने का लाइसेंस इशू करें और वहां पर बेचे जाने वाले मीट की जांच करने के लिए एक डॉक्टर भी नियुक्त करे जो इस बात की जांच करें कि जिस जानवर का मीट बेचा जा रहा है या जो मच्छी वहां पर बेची जा रही हैं वह लोगों के खाने लायक हैं भी या नहीं।

BYTE -1 दीपक
BYTE -2 रोशनदीप

वीओ- वहीं जब हमने नगर परिषद के सेक्रेटरी राजेश कुमार से इस मामले में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि खुले में मीट बेचने वालों खुले में मीट बेचना बिल्कुल इल्लीगल है और मीट बेचने वालों को सख्त हिदायत दी गई है की खुले में मीट न बेचें और सफाई व्यवस्था का पूरा ध्यान रक्खें उनसे पूछे जाने पर कि क्या मीट बेचने वालों को लाइसेंस नगर परिषद के द्वारा दिया गया है तो उन्होंने बताया कि अभी तक किसी भी मीट के कारोबारी को आज तक इस प्रकार का कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है और स्लॉटर हाउस की बात करने पर उन्होंने बताया कि जल्दी ही प्रशासन की ओर से इनके लिए ऐसी व्यवस्था स्लॉटर हाउस की व्यवस्था भी कर दी जाएगी।

BYTE -3 राजेश कुमार , सेक्रेटरी , नगर परिषद् , अम्बाला छावनी।

एन्ड अप - यदि इस प्रकार से देखा जाए तो इस मामले में मीट बेचने वालों से ज्यादा दोषी प्रशासन नजर आता है क्योंकि प्रशासन की ओर से मीट बेचने वालों के लिए किसी भी प्रकार की मार्केट वह स्लॉटर हाउस वह किसी डॉक्टर की नियुक्ति की कोई व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही बावजूद इसके कि खुले में मीट बेचना एक अपराध है इल्लीगल है नगर परिषद की ओर से या प्रशासन की ओर से सब कुछ देख कर भी अनदेखा किया जा रहा है इसे प्रशासन की लापरवाही ना कहें तो और क्या कहा जाए।
Conclusion:
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