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अंबाला में सरकारी खरीद के नए नियमों का विरोध, किसानों ने किया मार्केट कमेटी के दफ्तर का घेराव

फसलों की सरकारी खरीद को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए नए आदेश का विरोध शुरू हो गया है. इस आदेश के खिलाफ (Ambala farmers protest on quality cut) किसान अंबाला में मार्केट कमेटी के दफ्तर का घेराव कर रहे हैं.

Ambala farmers protest on quality cut
अंबाला में सरकारी खरीद के नए नियमों का विरोध
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Published : Apr 13, 2023, 1:18 PM IST

अंबाला में किसानों ने मार्केट कमेटी दफ्तर का घेराव किया.

अंबाला: अनाज मंडियों में किसानों की गेहूं की फसल की आवक शुरू हो चुकी है लेकिन अभी तक खरीद सुचारू ढंग से शुरू नहीं हुई है. इसी बीच केंद्र सरकार ने सरकारी खरीद को लेकर क्वालिटी कट के नए आदेश जारी कर दिए हैं. इन आदेश में खराब हुई फसल की खरीद पर 37 रुपये प्रति क्विंटल कट लगाने के आदेश दिए गए हैं, जिसका स्थानीय किसान विरोध कर रहे हैं. सरकार के इस फरमान से खफा किसान अंबाला में धरने पर बैठ गए हैं. किसानों ने अंबाला में मार्केट कमेटी दफ्तर का घेराव किया. उन्होंने कहा कि उनकी फसल पहले की तरह ही खरीदी जाए, अन्यथा उन्हें आंदोलन की राह अपनानी पड़ेगी.

केंद्र सरकार द्वारा सरकारी खरीद के नियमों में किए गए बदलाव का किसान विरोध कर रहे हैं. केंद्र द्वारा बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से की खराब हुई फसल की खरीद पर लगाई गई शर्तों को लेकर किसान खफा हैं. इन शर्तों का अंबाला में किसानों ने विरोध किया और अंबाला मार्केट कमेटी के दफ्तर का घेराव किया. इस दौरान किसानों ने कहा कि सरकारी फसल खरीद पहले की तरह ही की जाए और वे इस तरह की शर्तों को नहीं मानेंगे.

पढ़ें : भिवानी में अब तक हो चुकी है कि 1418 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद

किसानों का कहना है कि पहले ही उन पर मौसम की मार पड़ी है और उनकी फसलों का दाना खराब हो गया है और अब उन पर 37 रुपए प्रति किं्वटल कट लगाया जाना ठीक नहीं है. अगर उन्होंने इस कंडीशन को इस बार स्वीकार कर लिया तो उन पर यह हर बार-बार थोपा जाएगा. इसलिए वे इन शर्तों को कतई नहीं मानेंगे. वहीं मंडी में अपनी फसल बेचने आए किसान भी सरकार के इन नए नियमों से परेशान नजर आए.

किसान जरनैल सिंह का कहना है कि वह कल अंबाला मंडी में अपनी फसल लेकर आया है लेकिन कल से न तो उसकी फसल की भराई हुई है और न ही कोई बिल दिया गया है. इस पर सरकार कट लगाने की सोच रही है जबकि जमींदार पहले ही मरा पड़ा है. आढ़ती लाभ सिंह का कहना है कि अंबाला मंडी में गेहूं की आवक बढ़ गई है लेकिन मंडी में अब गेहूं रखने की जगह नहीं रही है. अगर थोड़ा नमी युक्त फसल आती है तो उसे सुखाने की जगह नहीं है.

पढ़ें : हरियाणा सरकार बेसहारा गौवंश के लिए पंचायती जमीन पर बनायेगी गौ वन, गौशालाओं को लीज पर दी जायेगी शामलात जमीन

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है. वह किसानों को बताए कि कट कितना लगेगा. केवल अखबारों में बयान आ रहे है लेकिन कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया जा रहा है. अधिकारियों को फसल नोट करने के लिए कहते हैं तो वो कहते हैं कि हमारे पास सरकार के ऑर्डर नहीं है. वहीं मंडी अधिकारियों का कहना है कि किसानों में संशय बना हुआ है कि केंद्र सरकार के नए आदेश के अनुसार क्वालिटी कट को कौन वहन करेगा, जबकि सीएम के आदेश आ चुके हैं कि जब तक सेंटर सरकार से नया आदेश नहीं आता है तब तक यह वहन राज्य सरकार करेगी. किसानों का आरोप है कि इसको लेकर अभी तक राज्य सरकार से कोई लेटर जारी नहीं हुआ है.

अंबाला में किसानों ने मार्केट कमेटी दफ्तर का घेराव किया.

अंबाला: अनाज मंडियों में किसानों की गेहूं की फसल की आवक शुरू हो चुकी है लेकिन अभी तक खरीद सुचारू ढंग से शुरू नहीं हुई है. इसी बीच केंद्र सरकार ने सरकारी खरीद को लेकर क्वालिटी कट के नए आदेश जारी कर दिए हैं. इन आदेश में खराब हुई फसल की खरीद पर 37 रुपये प्रति क्विंटल कट लगाने के आदेश दिए गए हैं, जिसका स्थानीय किसान विरोध कर रहे हैं. सरकार के इस फरमान से खफा किसान अंबाला में धरने पर बैठ गए हैं. किसानों ने अंबाला में मार्केट कमेटी दफ्तर का घेराव किया. उन्होंने कहा कि उनकी फसल पहले की तरह ही खरीदी जाए, अन्यथा उन्हें आंदोलन की राह अपनानी पड़ेगी.

केंद्र सरकार द्वारा सरकारी खरीद के नियमों में किए गए बदलाव का किसान विरोध कर रहे हैं. केंद्र द्वारा बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से की खराब हुई फसल की खरीद पर लगाई गई शर्तों को लेकर किसान खफा हैं. इन शर्तों का अंबाला में किसानों ने विरोध किया और अंबाला मार्केट कमेटी के दफ्तर का घेराव किया. इस दौरान किसानों ने कहा कि सरकारी फसल खरीद पहले की तरह ही की जाए और वे इस तरह की शर्तों को नहीं मानेंगे.

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किसानों का कहना है कि पहले ही उन पर मौसम की मार पड़ी है और उनकी फसलों का दाना खराब हो गया है और अब उन पर 37 रुपए प्रति किं्वटल कट लगाया जाना ठीक नहीं है. अगर उन्होंने इस कंडीशन को इस बार स्वीकार कर लिया तो उन पर यह हर बार-बार थोपा जाएगा. इसलिए वे इन शर्तों को कतई नहीं मानेंगे. वहीं मंडी में अपनी फसल बेचने आए किसान भी सरकार के इन नए नियमों से परेशान नजर आए.

किसान जरनैल सिंह का कहना है कि वह कल अंबाला मंडी में अपनी फसल लेकर आया है लेकिन कल से न तो उसकी फसल की भराई हुई है और न ही कोई बिल दिया गया है. इस पर सरकार कट लगाने की सोच रही है जबकि जमींदार पहले ही मरा पड़ा है. आढ़ती लाभ सिंह का कहना है कि अंबाला मंडी में गेहूं की आवक बढ़ गई है लेकिन मंडी में अब गेहूं रखने की जगह नहीं रही है. अगर थोड़ा नमी युक्त फसल आती है तो उसे सुखाने की जगह नहीं है.

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उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है. वह किसानों को बताए कि कट कितना लगेगा. केवल अखबारों में बयान आ रहे है लेकिन कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया जा रहा है. अधिकारियों को फसल नोट करने के लिए कहते हैं तो वो कहते हैं कि हमारे पास सरकार के ऑर्डर नहीं है. वहीं मंडी अधिकारियों का कहना है कि किसानों में संशय बना हुआ है कि केंद्र सरकार के नए आदेश के अनुसार क्वालिटी कट को कौन वहन करेगा, जबकि सीएम के आदेश आ चुके हैं कि जब तक सेंटर सरकार से नया आदेश नहीं आता है तब तक यह वहन राज्य सरकार करेगी. किसानों का आरोप है कि इसको लेकर अभी तक राज्य सरकार से कोई लेटर जारी नहीं हुआ है.

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