अंबालाः कोरोना ने इस साल हर त्यौहार पर असर डाला है. रक्षाबंधन, कृष्ण जन्माष्ठमी, ईद औऱ अब गणेश चतुर्थी. हर जगह कोरोना का प्रभाव नजर आ रहा है. ईटीवी भारत ने अंबाला छावनी स्तिथ राजस्थान के जयपुर से आये मूर्तिकारों से बातचीत की और उनसे उनके कारोबार को बारे में जानना चाहा. मूर्तिकारों ने बताया कि यह उनका पुश्तैनी पेशा है, उन्हें राजस्थान में भाटी जात के नाम से जाना जाता है.
मूर्तिकारों के बीच ETV BHARAT
जयपुर से आये मूर्तिकार रमेश ने बताया कि उनका परिवार राजस्थान के जयपुर से 30 वर्ष पूर्व अंबाला छवानी आ गया था. तब से पूरा परिवार मूर्ति बनाने का कार्य करता है. रमेश ने बताया कि लॉक डाउन से पहले हमारा काम बहुत बढ़िया चल रहा था, लेकिन कोरोना महामारी ने सब कुछ चौपट कर दिया. पहले हम लोग सारे खर्चे निकालकर सालाना 2-3 लाख रुपये कमा लेते थे. लॉक डाउन के बाद से हमारा काम पूरी तरह बंद पड़ा है. कोई हमारी सुध लेने तक नहीं आया.
मूर्तिकारों में मायूसी
उन्होंने कहा कि गणेश चतुर्थी आगामी 22 अगस्त को मनाई जाएगी. जितनी रौनक इस उत्सव को लेकर रहती थी. इस बार उतना ही सन्नाटा पसरा हुआ है. रमेश ने कहा कि इस बार कोरोना के चलते हमने 3 फ़ीट से अधिक ऊची मूर्ति नहीं बनाई ताकि ग्राहक इन मूर्तियों को ही खरीद ले तो हमारे घरों का खर्च निकल जाये.
राशन की भी सताने लगी चिंता
इसके अलावा स्वरूपी देवी भी मूर्ति बनाने का ही कार्य करती है, बताती हैं कि हमारा काम धन्दा पूरी तरह चौपट है. घर का खर्च तो लॉक डाउन के दौरान सरकार द्वारा दिये जा रहे मुफ्त राशन से चल रहा था, लेकिन जब से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई है. राशन की भी चिंता सताने लगी है. इस बार बहुत कम ग्राहक गणेश चतुर्थी को भो मूर्तिया खरीद रहे है.
ग्राहक भी नदारद
इसके अलावा अगर बात करें ग्राहकों की तो गिने-चुने ग्राहक ही नजर आ रहे हैं. मूर्ति खरीदने आए एक ग्राहक विश्वदीप जोशी ने बताया कि इस बार जिस तरह के दिशानिर्देश हैं, जैसे आप पंडाल नही लगा सकते. अधिक लोग एक जगह इकट्ठा नही हो सकते. ऐसे में अमूमन सभी लोग छोटी मूर्तिया खरीद रहे हैं, ताकि घरों में ही उनका विसर्जन किया जा सके.
बता दें कि कोरोना संक्रमण फैलने के खतरे के मद्देनजर सरकार ने गणेश चतुर्थी पंडाल सजाने और मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी है. अब सरकार को चाहिए कि इन लोगों की मदद की जाए, अन्यथा इन लोगों का धंधां चौपट हो सकता है.
पढ़ेंः लॉकडाउन लगा तो डेयरी मालिकों ने दूध से बनाया घी और मिल्क पाउडर अब बेचने की चुनौती