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भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह का खुला पत्र, एसकेएम नेताओं पर लगाए गंभीर आरोप - serious allegations on SKM leaders

किसान नेता एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी (BKU National President Gurnam Singh) ने जेल में बंद किसान नेताओं को रिहा कराने को लेकर खुला पत्र (Gurnam Singh Open letter) लिखा है. जिसमें उन्होंने एसकेएम के नेताओं पर (serious allegations on SKM leaders) गंभीर आरोप लगाए हैं.

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भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह का खुला पत्र, एसकेएम नेताओं पर लगाए गंभीर आरोप
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Published : Dec 6, 2022, 6:50 PM IST

अंबाला: किसानों के हित में एकजुट हुए किसान संगठनों के नेता एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी (BKU National President Gurnam Singh) ने संयुक्त किसान मोर्चा को खुला पत्र (Gurnam Singh Open letter) लिखा है. इसमें चढूनी ने एसकेएम नेताओं पर कई गंभीर आरोप (serious allegations on SKM leaders) भी लगाए है.

उन्होंने पत्र में लखीमपुर खीरी कांड से पूर्व किसानों पर दर्ज किए गए झूठे मामले रद्द कराने की मांग की है. उन्होंने जेल में बंद किसानों को रिहा करवाने को लेकर ठोस रणनीति बनाने की वकालत की. उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि एसकेएम कोई ठोस नीति अपनाता है तो वे मोर्चा से बाहर होते हुए भी हर संभव मदद करेंगे. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने आगाह किया कि अगर संयुक्त किसान मोर्चा किसानों को रिहा करवाने के लिए कोई कदम नहीं उठाता है तो भाकियू किसानों की रिहाई के लिए जो निर्णय लेगी, उसमें वो किसी तरह का हस्तक्षेप न करें.

किसान आंदोलन में एकजुट होकर करीब एक वर्ष से अधिक समय तक दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के हक के लिए संघर्ष करने वाले किसान नेता एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. इस बार भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी में गिरफ्तार हुए किसानों को रिहा करवाने के लिए ठोस रणनीति बनाने की मांग की है.

पढ़ें: कृषि मंत्री का अधिकारियों को निर्देश: जलभराव के पानी को निकलवाकर जल्द करवाएं फसलों की बिजाई

चढूनी (Sardar Gurnam Singh Chadhuni) ने आरोप लगाया कि जब लखीमपुर में किसानों का नरसंहार हुआ था, तब वे पंजाब में थे. अगले दिन जब वे लखीमपुर के लिए रवाना हुए तो उन्हें रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया गया. एसकेएम के नेताओं ने उन्हें रिहा करवाने की कोशिश तक नहीं की. इतना ही नहीं सरकार के साथ हुआ इनका समझौता भी झूठा निकला है. क्योंकि इससे पहले ही किसानों पर आईपीसी की धारा 302 के झूठे मामले दर्ज हो गए थे, जिसके कारण आज भी किसान जेल में बंद हैं. चढूनी ने पत्र में लिखा कि यदि मोर्चा के नेता जेल में बंद किसानों के लिए कोई आंदोलन करने की हिम्मत नहीं रखते हैं तो भाकियू खुद अपने दम पर किसानों को रिहा करवाने का प्रयास करेगी.

पढ़ें: गुरनाम चढूनी ने अनिल विज से की मुलाकात, सभी मांगों पर बनी सहमति, GT रोड जाम नहीं करेंगे किसान

अंबाला: किसानों के हित में एकजुट हुए किसान संगठनों के नेता एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी (BKU National President Gurnam Singh) ने संयुक्त किसान मोर्चा को खुला पत्र (Gurnam Singh Open letter) लिखा है. इसमें चढूनी ने एसकेएम नेताओं पर कई गंभीर आरोप (serious allegations on SKM leaders) भी लगाए है.

उन्होंने पत्र में लखीमपुर खीरी कांड से पूर्व किसानों पर दर्ज किए गए झूठे मामले रद्द कराने की मांग की है. उन्होंने जेल में बंद किसानों को रिहा करवाने को लेकर ठोस रणनीति बनाने की वकालत की. उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि एसकेएम कोई ठोस नीति अपनाता है तो वे मोर्चा से बाहर होते हुए भी हर संभव मदद करेंगे. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने आगाह किया कि अगर संयुक्त किसान मोर्चा किसानों को रिहा करवाने के लिए कोई कदम नहीं उठाता है तो भाकियू किसानों की रिहाई के लिए जो निर्णय लेगी, उसमें वो किसी तरह का हस्तक्षेप न करें.

किसान आंदोलन में एकजुट होकर करीब एक वर्ष से अधिक समय तक दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के हक के लिए संघर्ष करने वाले किसान नेता एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. इस बार भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी में गिरफ्तार हुए किसानों को रिहा करवाने के लिए ठोस रणनीति बनाने की मांग की है.

पढ़ें: कृषि मंत्री का अधिकारियों को निर्देश: जलभराव के पानी को निकलवाकर जल्द करवाएं फसलों की बिजाई

चढूनी (Sardar Gurnam Singh Chadhuni) ने आरोप लगाया कि जब लखीमपुर में किसानों का नरसंहार हुआ था, तब वे पंजाब में थे. अगले दिन जब वे लखीमपुर के लिए रवाना हुए तो उन्हें रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया गया. एसकेएम के नेताओं ने उन्हें रिहा करवाने की कोशिश तक नहीं की. इतना ही नहीं सरकार के साथ हुआ इनका समझौता भी झूठा निकला है. क्योंकि इससे पहले ही किसानों पर आईपीसी की धारा 302 के झूठे मामले दर्ज हो गए थे, जिसके कारण आज भी किसान जेल में बंद हैं. चढूनी ने पत्र में लिखा कि यदि मोर्चा के नेता जेल में बंद किसानों के लिए कोई आंदोलन करने की हिम्मत नहीं रखते हैं तो भाकियू खुद अपने दम पर किसानों को रिहा करवाने का प्रयास करेगी.

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