अंबाला: केंद्र सरकार और यूनाइटेड फॉर्म ऑफ बैंक यूनियन की वार्ता विफल होने के बाद मांगे नहीं माने जाने के विरोध में बैंक कर्मियों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान बैंक कर्मी सरकार के खिलाफ नारे लगाते दिखाई दिए. वहीं बैंक कर्मियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वे हड़ताल करेंगे.
5 मार्च को होगी सरकार से दोबारा मीटिंग
पहली वार्ता विफल होने के बाद केंद्र सरकार ने बैंक कर्मियों को पांच मार्च को दोबारा बुलावा भेजा है. इस बारे में बैंक कर्मियों ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि यदि सरकार ने अब भी बातें नहीं मानी और वेतन वृद्धि समझौता लागू नहीं किया तो वे 11 से 13 मार्च में तीन दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे.
अपनी मांगों को लेकर बैंक कर्मचारी पहले भी कर चुके हैं हड़ताल: जी एस ओबेरॉय
यूनाइटेड फॉर्म ऑफ बैंक यूनियन के महासचिव जीएस ओबरॉय ने कहा कि वेतन वृद्धि को लेकर यूनाइटेड फॉर्म ऑफ बैंक यूनियन के करीब 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी पहले भी कई बार हड़ताल कर चुके हैं. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आईबीए और सरकार उनकी मांगों पर टाल मटोल का रवैया अपना रही है.
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वेतन वृद्धि है मुख्य मुद्दा: जीएस ओबेरॉय
यूनियन के महासचिव जीएस ओबरॉय ने कहा कि मुख्य मुद्दा वेतन वृद्दि का है जो कि नवंबर 2017 से लंबित पड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है.
ये हैं बैंक कर्मचारियों की मांगे-
- रिटायर्ड कर्मियों के लिए पेंशन अपडेशन किया जाए
- फेमिली इम्प्रूवमेंट बैंक में कार्यरत कच्चे कर्मचारियों को बराबर वेतनमान दिया जाए
- एनपीए निरस्त करके ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाए
उन्होंने कहा कि यदि सरकार उनकी बातें नहीं मानी और वेतन वृद्दि समझौता लागू नहीं किया तो वे 11 से 13 मार्च को तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे.