अंबाला: धान की कटाई के बाद एक बार फिर पराली जलाने का सीजन शुरू हो चुका है. भले ही हरियाणा में पराली जलाना गैर कानूनी हो, ऐसा करने पर किसानों के खिलाफ केस दर्ज होता हो. फिर भी कई किसान ऐसे हैं जो आज भी चोरी छिपे पराली को आग लगाते हैं और ऐसा करने के पीछे सबसे बड़ा कारण है पराली को जलाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प ना मिलना, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अंबाला कृषि विभाग ने इस समस्या से निजात पाने के लिए एक अनूठा विकल्प अपनाया है.
अंबाला कृषि विभाग के उपनिदेशक गिरीश नागपाल ने बताया कि जिला उपायुक्त की मदद से नारायणगढ़ शुगर मिल के साथ अनुबंध किया गया है, जिसके तहत प्रदेश से और पड़ोसी राज्यों से बेलर मशीने किसानों को उपलब्ध करवाई जा रही हैं ताकि उनकी पराली को इकट्ठा किया जा सके और उसके बाद एक सप्लाई एजेंसी द्वारा पराली को नारायणगढ़ शुगर मिल तक पहुंचाया जा रहा है. जहां पराली से बिजली बनाने का कार्य किया जाएगा.
पराली जलाओ नहीं, बिजली बनाओ
उन्होंने बताया इस पायलट प्रोजेक्ट को अंबाला जिले के ग्राम पंचायत बाड़ा और उगाडा में शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि अनुबंध में 1800 रुपये प्रति टन पराली नारायणगढ़ शुगर मिल पहुंचाई जा रही है, जिसके बाद मशीनों के खर्चे निकालकर प्रति एकड़ जितने पैसे किसानों के बनेंगे उन्हें दिए जाएंगे. मोटे तौर पर इस प्रोजेक्ट से किसानों को प्रति एकड़ 500 से 700 रुपये का मुनाफा होगा.
प्रशासन की मदद के लिए आगे आए किसान
जब ईटीवी भारत ने ग्राम पंचायत बाड़ा के सरपंच विकास बेहगल से बात की तो उन्होंने कहा कि इस बार उनके गांव के किसी भी खेत में पराली ना तो जली है और ना ही आगे जलेगी. उन्होंने बताया कि गांव में मौजूदा समय में एक बेलर, कटर स्ट्रींगर और स्ट्रेक्टर मशीन उपलब्ध है. जिनकी मदद से पराली को इकट्ठा करके नारायणगढ़ शुगर मिल तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है. इसमें किसान भी खासी रुचि दिखा रहे हैं.
हर रोज 15 किसान करा रहे पंजीकरण
उन्होंने बताया कि रोजाना 10 से 15 किसान हमारी पंचायत में पराली उठाने को लेकर पंजीकरण करवाते हैं. उसके बाद उनके खेतों में मशीनों को भेजा जाता है और उनकी पराली को उठाया जाता है. इससे ना सिर्फ वायु प्रदूषण से निजात मिलेगी बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि हो रही है.
किसानों को मिला विकल्प
प्रशासन की इस पहल से गांव के किसान भी खुश नजर आए. उन्होंने कहा कि वो मजबूरी में पराली को जला रहे थे, लेकिन अब उन्हें ना सिर्फ पराली का विकल्प मिल गया है बल्कि अब इससे उन्हें प्रति एकड़ 500 से 700 रुपये का मुनाफा हो रहा है.
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पराली किसानों की वो मजबूरी है, जिसका विकल्प वो हमेशा से ढूंढते आए हैं. अंबाला प्रशासन और कृषि विभाग ने ना सिर्फ किसानों को इस पायलट प्रोजेक्ट के जरिए एक अच्छा विकल्प दिया है बल्कि किसानों को अपनी आय बढ़ाने का भी मौका दिया हैऔर निश्चित तौर पर आने वाले वक्त में पूरा प्रदेश और यहां तक की पड़ोसी राज्य भी इसे जरूर अपनाना चाहेंगे.