अंबाला: कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों. दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को अंबाला जिले के बाड़ा ग्राम पंचायत ने सही साबित करके दिखाया है. बाड़ा गांव अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाला एक ऐसा गांव है जहां हर तरह की सुविधाएं मौजूद हैं. गांव में प्रवेश करते ही आपको साफ सफाई, पक्की और चौड़ी सड़कें, पक्की गलियां, जगह-जगह स्ट्रीट लाइट्स, सीसीटीवी और लाउडस्पीकर देखने को मिलेंगे. गांव में एक ग्राम सचिवालय भी बनाया गया है. जहां से सरपंच अनाउंसमेंट करके सरकार द्वारा चलाई जा रही स्कीमों एवं जरूरी सूचना को लोगों तक पहुंचाने का काम करता है.
गांव बाड़ा में लगभग 2500 के करीब लोग रहते हैं. इस गांव में रहने वाले लोगों की कमाई का मुख्य साधन दिहाड़ी मजदूरी करना है. इसके बावजूद भी लोगों के प्रयासों से मुख्मंत्री मनोहर लाल ने इस गांव को दो बार सम्मानित किया है. 7 स्टार पंचायत रेनबो स्कीम के तहत सीएम ने इस गांव को 2 स्टार और 3 स्टार से पुरस्कृत किया है. ग्राम पंचायत बाड़ा के सरपंच विकास बेहगल की माने तो दस्तावेज पूरे नहीं होने के चलते उन्हें 3 स्टार से नवाजा गया, नहीं तो उनके गांव को 7 स्टार से पुरस्कृत किया जाता.
गांव में 55 के करीब नाइट विजन सीसीटीवी
इसके अलावा समूचे गांव के अंदर लगभग 55 के करीब नाइट विजन सीसीटीवी लगाए गए हैं. जिसका मॉनिटर रूम भी सचिवालय में बनाया गया है. ताकि किसी भी तरह की घटना पर नजर रखी जा सके. सुरक्षा के लिहाज से लगाए गए इन सीसीटीवी का सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिला है. क्योंकि इस गांव में क्राइम ना के बराबर रह गया है. नाइट विजन होने की वजह से रात के वक्त में भी हर तरह की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है.
सबसे बड़ी बात ये कि गांव में ही सचिवालय खोला गया है. इस सचिवालय मं अटल सेवा केंद्र और बैंक मित्र की सुविधाएं भी है. इतना ही नहीं गांव के सीसीटीवी का कंट्रोल रूम भी इस सचिवालय में बनाया गया है.
छात्रों की सुविधा के लिए गांव में पुस्तकालय
गांव में पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक राजकीय माध्यमिक विद्यालय है. इसके अलावा एक प्राइवेट स्कूल भी गांव में खुला हुआ है. सरकारी स्कूल में करीब 100 बच्चे पढ़ते हैं. स्कूल के अंदर पंचायत ने शौचालयों का निर्माण किया. इसमें हैंडीकैप बच्चों के लिए अलग से शौचालय का निर्माण किया गया है. इसके अलावा स्वच्छ पीने के पानी के लिए पंचायत ने आरो भी लगवाया है. बच्चों को पढ़ने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए गांव में लाइब्रेरी भी बनवाई गई है. छात्रों के मुताबिक पहले उन्हें पढ़ने के लिए दूर जाना पड़ता था, जिससे आने-जाने में उनका वक्त तो खराब होता ही था. जबकि वो जोखिम भरा भी होता था, लेकिन अब गांव में पुस्तकालय होने से उन्हें काफी सहूलियत हुई है.
नवोदय विद्यालय में हुआ 4 छात्रों का दाखिला
यहां के शिक्षा के स्तर का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस साल 6 बच्चे जवाहर नवोदय विद्यालय के लिए सिलेक्ट हुए थे. जिनमें से 4 बच्चों का एडमिशन हो चुका है. इनमें तीन छात्राएं शामिल हैं. गांव के अंदर 2 एकड़ की जमीन में खेल का मैदान बनाया गया है. जिनमें स्ट्रीट लाइट लगाई गई हैं ताकि रात के समय भी बच्चे खेल सकें. इन सबके बीच जब ईटीवी भारत की टीम गांव की धर्मशाला में पहुंची तो, वहां पर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मिलीं. ये महिलाएं आजीविका कमाने के लिए प्रदर्शनी का आयोजन करती हैं. ताकि वो भी आत्मनिर्भर बन सकें. हर सुविधाओं से लैस ये गांव आज शहरों को टक्कर दे रहा है.
क्यों खास है अंबाला का आदर्श गांव बाड़ा
- गांव में सचिवालय बनाया गया है
- सचिवालय में अटल सेवा केंद्र चलता है
- अटल केंद्र पर पैन कार्ड, आधार कार्ड, जॉब की वैकेंसी के डॉक्यूमेंट समेत सभी सुविधाएं मौजूद
- बैंक मित्र की सुविधा भी सचिवालय में है
- जिससे लोगों को कैश की परेशानी नहीं होती
- गांव की हर गली पक्की है, साफ सफाई की व्यवस्था
- बाड़ी गांव में 55 के करीब नाइट विजन सीसीटीवी हैं
- सीसीटीवी का कंट्रोल रूम सचिवालय में बनाया गया है
- गांव में लाउड स्पीकर लगाए गए हैं ताकि कोई भी जानकारी एक समय में एक साथ ग्रामीणों तक पहुंचाई जा सके
- सरकारी स्कूल में पीने के पानी के लिए आरओ लगवाया गया है
- स्कूल में बिजली और पेड़ों की व्यवस्था की गई है
- दिव्यांगों के लिए अलग से टॉयलेट बनवाया गया है
- स्कूल के बच्चों को फ्री में ट्यूशन पढ़ाया जाता है, ताकि शिक्षा का स्तर बेहतर हो सके
- खिलाड़ियों के लिए 2 एकड़ में खेल का मैदान
- मैदान में रात को खेलने के लिए लाइट की व्यवस्था
- आजीविका कमाने के लिए महिलाएं चलाती है स्वयं सहायता समूह
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गांव में एक पुस्तकालय भवन का निर्माण भी किया गया है. जहां पर बच्चे अपने घरों से आकर पढ़ाई करते हैं. सरपंच ने बताया कि गांव में बने पुस्तकालय के लिए अंबाला जिले के कृषि उपनिदेशक डॉक्टर गिरीश नागपाल ने कुछ किताबें डोनेट की हैं. जब हमारी टीम ने पुस्तकालय में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि पहले उन्हें पढ़ाई करने के लिए अंबाला छावनी या फिर अंबाला शहर के पुस्तकालय में जाना पड़ता था. जिससे उन्हें काफी दिक्कतें आती थी, लेकिन अब पंचायत की कोशिशों के चलते हमें अपने ही गांव में पुस्तकालय मिल गया है. जिसका उन्हें काफी फायदा मिल रहा है. उन्होंने सरकार से अपील की कि वो उन्हें पुस्तकालय के अंदर पुस्तकें वाईफाई सिस्टम एवं एक या दो कंप्यूटर सिस्टम लगवा दें.