भिवानी: 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 7 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. वहीं इनेलो ने 2 और कांग्रेस ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी. हालांकि इस बार चुनाव में हर सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. इस खास पेशकश में पढ़िए भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट के बारे में-
लोकसभा चुनाव 2019 प्रत्याशी
- श्रुति चौधरी कांग्रेस
- धर्मबीर सिंह बीजेपी
- स्वाति यादव जेजेपी
- बलवान सिंह इनेलो
- रमेश राव बीएसपी
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र का दायरा
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट के विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो इसमें 3 जिलों की 9 विधानसभा सीटें आती हैं.
- भिवानी
- लोहारू
- भिवानी
- तोशाम
- चरखी दादरी
- दादरी
- बाढ़डा
- महेंद्रगढ़
- अटेली
- महेंद्रगढ़
- नारनौल
- नांगल चौधरी
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट में मतदाता
कुल- 15,86,312
- पुरुष- 8,42,401
- महिला- 7,43,911
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे
- धर्मबीर सिंह बीजेपी जीत 4,04,542 वोट मिले
- राव बहादुर सिंह इनेलो हार 2,75,148 वोट मिले
भिवानी-महेंद्रगढ़ का इतिहास
भिवानी को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही देश को कई बड़े-बड़े खिलाड़ी यहीं से मिले हैं. दुनिया भर में दंगल गर्ल्स के नाम से मशहूर फोगाट बहनें भी यहीं से हैं. भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट की बात करें तो ये हमेशा से ही पूरे देश में एक चर्चित सीट रही है. इसकी वजह है यहां हरियाणा के तीन लालों देवीलाल, भजनलाल और बंसीलाल में से एक लाल बंसीलाल का गढ़ होना. हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री रहे स्व. चौधरी बंसीलाल का भिवानी-दादरी क्षेत्र कर्मस्थल रहा है, इसी वजह से भिवानी की जनता ने उन्होंने अनेकों बार यहां से अपना नुमाईंदा बनाया.
पहले भिवानी और महेंद्रगढ़ नाम से अलग-अलग लोकसभा सीटें थी, लेकिन परिसीमन के बाद भिवानी-महेंद्रगढ़ के संयुक्त नाम से नई सीट सृजित हुई. भिवानी नाम से लोकसभा सीट का अस्तित्व वर्ष 1977 से 2004 तक रहा जबकि महेंद्रगढ़ नाम से लोकसभा सीट का अस्तित्व वर्ष 1957 के दूसरे आम चुनाव से वर्ष 2004 तक रहा. वर्ष 2009 से परिसीमन में आई भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय सीट से अब तक हुए चुनावों में भिवानी-दादरी जिले के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से श्रुति चौधरी ने जीत दर्ज की थी और 2014 के चुनाव में भाजपा के धर्मबीर सिंह जीते. ये दोनों ही भिवानी-दादरी जिले से हैं. इस सीट पर जाट और यादव मतदाताओं की प्रभाव ज्यादा है. इस सीट का एक दिलचस्प पहलू ये भी है कि जिस पार्टी का यहां सांसद बनता है, उसकी ही केंद्र में सरकार आती है.