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Women's Day: रोहतक की इस छोरी के इशारे पर चलती है शिमला समरहिल रेलवे स्टेशन की ट्रेन

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Published : Mar 8, 2021, 8:25 PM IST

शिमला-कालका ट्रैक के समरहिल रेलवे स्टेशन पर रोहतक की रहने वाली तनुजा पॉइंटमैन के पद पर तैनात हैं. इस ट्रैक पर पॉइंटमैन के पद पर तैनात होने वाली तनुजा पहली महिला हैं. हरियाणा के रोहतक की रहने वाली तनुजा डेढ़ साल पहले रेलवे में पॉइंटमैन के पद पर भर्ती हुईं.

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रोहतक की इस छोरी के इशारे पर चलती है शिमला समरहिल रेलवे स्टेशन की ट्रेन

शिमला/रोहतक: ट्रैक पर चलने वाली गाड़ियों को दिशा दिखाने का काम करते हुए पॉइंटमैन को पटरियों पर तैनात देखा होगा, लेकिन विश्व धरोहर कालका-शिमला ट्रैक पर चलने वाली गाड़ियां पॉइंटमैन नहीं बल्कि पॉइंटवूमेन तनुजा के इशारों की मोहताज है. शिमला-कालका ट्रैक के समरहिल रेलवे स्टेशन पर तनुजा पॉइंटमैन के पद पर तैनात हैं. इस ट्रैक पर पॉइंटमैन के पद पर तैनात होने वाली तनुजा पहली महिला हैं.

हालांकि, देश में बहुत कम महिलाएं ट्रेनों को दिशा दिखाने और ट्रैक बदलने का काम कर रही हैं. शिमला-कालका ट्रैक की बात करें तो यहां पर अभी भी ट्रैक बदलने का काम मेनुअल ही किया जाता है. इन ट्रैक को बदलने के लिए लिवर को खींचने में काफी जोर भी लगता है. जिन्हें अमूमन पुरुष ही बदलने का काम करते हैं, लेकिन अब इस काम को महिलाएं भी करने लगी हैं.

रोहतक की इस छोरी के इशारे पर चलती है शिमला समरहिल रेलवे स्टेशन की ट्रेन

रेलवे में पॉइंटमैन के पद पर भर्ती हुई पहली महिला

हरियाणा के रोहतक की रहने वाली तनुजा डेढ़ साल पहले रेलवे में पॉइंटमैन के पद पर भर्ती हुई हैं. उसके बाद उनकी पहली पोस्टिंग शिमला के समरहिल रेलवे पर हुई. शुरू में तो काम करने में तनुजा को काफी दिक्कत हुई, लेकिन बाद में तनुजा इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं.

हिम्मत दिखाकर सीखा काम

तनुजा का कहना है कि काम देख कर एक बार परिवार वाले डर गए थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाई और दो दिन में काम सिख लिया. अब हर रोज 6 गाड़ियों का रूट बनाने के साथ ही सिग्नल डाउन करने के साथ गाड़ियों को झंडी दिखाने का काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इस काम में मेहनत काफी ज्यादा लगती है. रूट बदलने के लिए काफी मेहनत लगती है. शुरू-शुरू में काफी दिक्कत हुई, लेकिन अब आसानी से इस काम को अंजाम दे रही हैं.

ये भी पढ़ेंः- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: 102वें दिन महिलाओं ने संभाला टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन का जिम्मा

इरादे पक्के हों तो कोई काम मुश्किल नहीं

तनुजा का कहना है कि इसमें काफी मेहनत लगती है, लेकिन इरादे पक्के हो तो कोई काम मुश्किल नहीं होता है. उन्होंने कहा कि लड़कियों को भी लड़कों की तर्ज आजादी देनी चाहिए तभी वो कुछ कर सकती हैं.

तनुजा पहली पॉइंटमैन के पद पर तैनात

वहीं, समरहिल स्टेशन मास्टर संजय गेरा का कहना है कि शिमला कालका ट्रैक पर तनुजा पहली पॉइंटमैन के पद पर तैनात हुई है और ये अपना काम बखूबी कर रही है. लिवर खिंचने का काम बहुत मुश्किल होता है और इस पद पर अधिकतर जगहों पर पुरुष ही तैनात है.

ये भी पढ़ेंः- महिला दिवस पर पर्वतारोही अनीता कुंडू से खास बातचीत

लिवर खींचकर ट्रैक बदलने में काफी मुश्किल

संजय गेरा ने कहा कि यहां पर इस पद पर तनुजा सेवा दे रही है और हर रोज 6 बार लिवर खींचकर ट्रैक बदलना पड़ता है और इसमें काफी मेहनत लगती है. उन्होंने कहा कि शुरू में सबको लगता था कि तनुजा ये काम नहीं कर पाएगी, लेकिन उन्होंने सभी को गलत साबित कर दिया और आज डेढ़ साल से इस काम को बखूबी कर रही हैं.

बेटियों को आगे बढ़ाने की अपील

वहीं, तनुजा की मां संतोष का कहना है कि आज बेटी पॉइंटमैन के पद पर हैं, इस बात को लेकर पूरे परिवार के लोग काफी खुश हैं. संतोष बेटी को बड़ा अफसर बनते देखना चाहती हैं. उन्होंने दूसरे लोगों को भी बेटियों को आगे बढ़ने देने की अपील भी की.

ये भी पढ़ेंः- फरीदाबाद: महिला दिवस पर छात्रा को एक दिन के लिए बनाया थाना प्रभारी

बता दें कि देश में महिलाओं को भले ही समानता का दर्जा दिया गया, लेकिन इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है कि हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है. अभी भी महिलाओं को बहुत से मामलों में पुरुषों से कम आंका जाता है. जिसमें शारीरिक बल भी शामिल है, लेकिन तनुजा ने इस मानसिकता को पछाड़ते हुए समाज को ये बता दिया है कि अगर महिला ठान ले तो किसी भी असम्भव कार्य को संभव करके दिखा सकती है.

शिमला/रोहतक: ट्रैक पर चलने वाली गाड़ियों को दिशा दिखाने का काम करते हुए पॉइंटमैन को पटरियों पर तैनात देखा होगा, लेकिन विश्व धरोहर कालका-शिमला ट्रैक पर चलने वाली गाड़ियां पॉइंटमैन नहीं बल्कि पॉइंटवूमेन तनुजा के इशारों की मोहताज है. शिमला-कालका ट्रैक के समरहिल रेलवे स्टेशन पर तनुजा पॉइंटमैन के पद पर तैनात हैं. इस ट्रैक पर पॉइंटमैन के पद पर तैनात होने वाली तनुजा पहली महिला हैं.

हालांकि, देश में बहुत कम महिलाएं ट्रेनों को दिशा दिखाने और ट्रैक बदलने का काम कर रही हैं. शिमला-कालका ट्रैक की बात करें तो यहां पर अभी भी ट्रैक बदलने का काम मेनुअल ही किया जाता है. इन ट्रैक को बदलने के लिए लिवर को खींचने में काफी जोर भी लगता है. जिन्हें अमूमन पुरुष ही बदलने का काम करते हैं, लेकिन अब इस काम को महिलाएं भी करने लगी हैं.

रोहतक की इस छोरी के इशारे पर चलती है शिमला समरहिल रेलवे स्टेशन की ट्रेन

रेलवे में पॉइंटमैन के पद पर भर्ती हुई पहली महिला

हरियाणा के रोहतक की रहने वाली तनुजा डेढ़ साल पहले रेलवे में पॉइंटमैन के पद पर भर्ती हुई हैं. उसके बाद उनकी पहली पोस्टिंग शिमला के समरहिल रेलवे पर हुई. शुरू में तो काम करने में तनुजा को काफी दिक्कत हुई, लेकिन बाद में तनुजा इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं.

हिम्मत दिखाकर सीखा काम

तनुजा का कहना है कि काम देख कर एक बार परिवार वाले डर गए थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाई और दो दिन में काम सिख लिया. अब हर रोज 6 गाड़ियों का रूट बनाने के साथ ही सिग्नल डाउन करने के साथ गाड़ियों को झंडी दिखाने का काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इस काम में मेहनत काफी ज्यादा लगती है. रूट बदलने के लिए काफी मेहनत लगती है. शुरू-शुरू में काफी दिक्कत हुई, लेकिन अब आसानी से इस काम को अंजाम दे रही हैं.

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इरादे पक्के हों तो कोई काम मुश्किल नहीं

तनुजा का कहना है कि इसमें काफी मेहनत लगती है, लेकिन इरादे पक्के हो तो कोई काम मुश्किल नहीं होता है. उन्होंने कहा कि लड़कियों को भी लड़कों की तर्ज आजादी देनी चाहिए तभी वो कुछ कर सकती हैं.

तनुजा पहली पॉइंटमैन के पद पर तैनात

वहीं, समरहिल स्टेशन मास्टर संजय गेरा का कहना है कि शिमला कालका ट्रैक पर तनुजा पहली पॉइंटमैन के पद पर तैनात हुई है और ये अपना काम बखूबी कर रही है. लिवर खिंचने का काम बहुत मुश्किल होता है और इस पद पर अधिकतर जगहों पर पुरुष ही तैनात है.

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लिवर खींचकर ट्रैक बदलने में काफी मुश्किल

संजय गेरा ने कहा कि यहां पर इस पद पर तनुजा सेवा दे रही है और हर रोज 6 बार लिवर खींचकर ट्रैक बदलना पड़ता है और इसमें काफी मेहनत लगती है. उन्होंने कहा कि शुरू में सबको लगता था कि तनुजा ये काम नहीं कर पाएगी, लेकिन उन्होंने सभी को गलत साबित कर दिया और आज डेढ़ साल से इस काम को बखूबी कर रही हैं.

बेटियों को आगे बढ़ाने की अपील

वहीं, तनुजा की मां संतोष का कहना है कि आज बेटी पॉइंटमैन के पद पर हैं, इस बात को लेकर पूरे परिवार के लोग काफी खुश हैं. संतोष बेटी को बड़ा अफसर बनते देखना चाहती हैं. उन्होंने दूसरे लोगों को भी बेटियों को आगे बढ़ने देने की अपील भी की.

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बता दें कि देश में महिलाओं को भले ही समानता का दर्जा दिया गया, लेकिन इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है कि हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है. अभी भी महिलाओं को बहुत से मामलों में पुरुषों से कम आंका जाता है. जिसमें शारीरिक बल भी शामिल है, लेकिन तनुजा ने इस मानसिकता को पछाड़ते हुए समाज को ये बता दिया है कि अगर महिला ठान ले तो किसी भी असम्भव कार्य को संभव करके दिखा सकती है.

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