चडीगढ़/रोहतक: एक साथ किसानों की कई समस्याओं के समाधान के लिए बनाए गए 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल से अब तक प्रदेश के 10 लाख 83 हजार 423 किसान जुड़ चुके हैं. 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' स्कीम किसानों को कई सहूलियतें देती है. एक तरफ सरकार का दावा है कि मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर यदि प्रदेश का कोई किसान रजिस्ट्रेशन करवाता है तो उसे कई तरह के लाभ लेने में आसानी होती है और सरकार लाभ लेने में भी आसानी रहती है. लेकिन दूसरी ओर किसान इस योजना के प्रति उत्साहित नहीं हैं.
बता दें कि कोरोना काल में सरकार ने किसानों से गेहूं और सरसों की खरीद इसी पोर्टल से की. पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसानों के मोबाइल पर प्रशासन ने बारी-बारी से एसएमएस भेजकर मंडी में बुलाया और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ फसल की खरीद की गई.
'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल के लाभ
- 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल में रजिस्ट्रेशन का फायदा न केवल किसानों को मिलता है बल्कि सरकार के लिए भी राहत रहती है.
- पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने से किसानों की फसलों को बेचने में सुविधा मिलती है.
- बाढ़, बारिश या ओलावृष्टि समेत अन्य प्राकृतिक आपदाओं में खराब हुई फसलों का मुआवजा लेने में आसानी रहती है.
- बीमा करवाने में भी किसानों को सहूलियत रहती है.
- सरकार द्वारा मुआवजा देने में भी समय की बचत होती है.
- किसानों के लिए नीतिगत फैसले लेने में भी राहत रहती है.
- कितने किसानों ने कितनी एकड़ में किस फसल की बुवाई की है, इसकी जानकारी सरकार के पास रहती है.
- सरकार आंकड़े के तहत बीज समेत खाद की उपलब्धता कराती है.
- किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ सीधा मिल पाता है.
चीफ मार्केटिंग एनफोर्समेंट ऑफिसर राजकुमार बेनीवाल ने बताया कि प्रदेश के 10 लाख 83 हजार 423 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. प्रदेश में 65 लाख 49 हजार 772 एकड़ जमीन का रजिस्ट्रेशन हुआ है. हरियाणा में 80 लाख 41 हजार 676 भूमि अनुमानित है, जिसके तहत 81.45 प्रतिशत प्रोग्रेसिव रजिस्ट्रेशन एरिया है.
कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि हरियाणा में करीब 16 लाख से अधिक किसान हैं. मेरी फसल मेरा ब्यौरा महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं.
कैसे होता है रजिस्ट्रेशन ?
- इस पोर्टल पर किसान को खुद अपना रजिस्ट्रेशन करना होता है.
- किसान पोर्टल पर जानकारी देता है कि उसके पास कितनी जमीन है.
- कितनी फसल पर बुवाई का विचार कर रहा है.
- ये आंकड़ा किसान खुद भर सकता है या कॉमन फैसिलिटी सेंटर से भरवा सकता है.
- प्रशासन गिरदावरी से आंकड़ों का वेरिफिकेशन करता है
- किसान अपनी मर्जी से सोच के हिसाब जानकरी पोर्टल पर भरता है.
- किसान के पास आधार कार्ड और नंबर होना जरूरी है.
- फसल से संबंधित जानकारी रजिस्टर्ड किए गए मोबाइल नंबर पर SMS से मिलेगी.
- जमीन की जानकारी के लिए रेवेन्यू रिकॉर्ड के नकल की कॉपी, खसरा नंबर देख कर भरना होगा.
- फसल के नाम, किस्म और बुआई का समय पोर्टल पर भरना होगा.
- बैंक पासबुक की कॉपी भी लगानी होगी, ताकि किसी भी स्कीम का लाभ सीधे अकाउंट में भेजा जा सके.
- हर साल किसानों को अपनी फसलों का रजिस्ट्रेशन करवाना होता है.
क्या बोले किसान ?
5 जुलाई 2019 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा शुरू की गई 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' स्कीम से किसान खुश नहीं हैं. किसानों ने कहा कि उनकी फसलों का पैसा नहीं मिला है. वहीं कुछ किसानों ने कहा कि 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है. रोहतक के किसानों का कहना है कि इस योजना से उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ क्योंकि इस बार ऑनलाइन पंजीकरण करवा कर ही अपनी फसल बेची थी लेकिन अभी तक न तो गेहूं और न ही सरसों की फसल का पैसा आया है.
यही नहीं किसानों ने कहा कि आढ़ती और किसानों के बीच में काफी मधुर संबंध होते थे लेकिन सरकार की ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली से यह संबंध बिगड़ से गए हैं. क्योंकि किसान को फसल के बीच में यदि पैसे की जरूरत होती है तो वो आढ़ती से पैसा उठाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पता. यही नहीं जब किसानों से पूछा गया कि क्या इस योजना के बारे में आप लोगों को जानकारी है तो किसानों ने कहा कि वह इस योजना के बारे में नहीं जानते. हालंकि ये योजना किसानों के बीच तेजी से पॉपूलर हो रही है. तभी इतनी ज्यादा तदाद में किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया है.
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