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प्लाज्मा थेरेपी से जागी उम्मीद की किरण, रोहतक पीजीआई में हो सकता है इस्तेमाल - रोहतक पीजीआई के डायरेक्टर डॉक्टर रोहतास यादव

कोरोना काल में एक राहत भरी खबर सामने आई है. दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग कर कुछ कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक किया गया है. जिसके बाद से एक उम्मीद की किरण दिखाई दी है. वहीं रोहतक पीजीआई प्लाज्मा थेरेपी को करने में पूरी तरह से सक्षम है और जहां पर प्लाज्मा बनाने के लिए मशीनें भी उपलब्ध है.

Rohtak PGI capable of plasma therapy
रोहतक: कोरोना काल में प्लाज्मा थेरेपी से जागी उम्मीद की किरण, रोहतक पीजीआई प्लाज्मा थेरेपी करने में सक्षम
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Published : Apr 23, 2020, 8:10 AM IST

Updated : May 17, 2020, 2:33 PM IST

रोहतक: देश और प्रदेश में कोरोना का कहर थमने का नाम नही ले रहा है. प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 250 पार कर चुका है. जिसको लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग की चिंतित हैं. वहीं इस कोरोना काल में एक उम्मीद किरण दिखाई दी है.

कोरोना वायरस को मात देने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयोग कर रहा है. बताया जा रहा है कि दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग कर कुछ मरीजों को स्वस्थ किया गया है. इसके बाद से डॉक्टरों में एक आशा की नई किरण जगी है. वहीं मरीजों के लिए ये थेरेपी काफी फायदेमंद सिद्ध हो रही है.

रोहतक पीजीआई के डायरेक्टर डॉक्टर रोहतास यादव ने बताया कि पीजीआई प्लाज्मा थेरेपी को करने में पूरी तरह से सक्षम है और प्लाज्मा बनाने के लिए रोहतक पीजीआई में मशीनें उपलब्ध हैं. हालांकि उन्होंने कहा अभी तक उन्हें इस थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ी है. लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो वह पूरी तरीके से तैयार है.

निदेशक डॉ. रोहताश यादव ने बताया कि प्लाज्मा रक्त का एक सॉलिड पार्ट होता है. जिसका काम शरीर में एंटीबॉडी तैयार करना होता है और जिस तरह से दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी से कई मरीज ठीक हुए हैं. उससे एक आशा की किरण दिखाई देने लगी है.

उन्होंने बताया कि प्लाजमा थेरेपी का प्रयोग इबोला, H1 N1 वायरस को लेकर भी किया गया था. रोहतक पीजीआई भी इस तरह की थेरेपी करने में पूरी तरीके से सक्षम है. यहां पर काफी हाईटेक ब्लड बैंक है और प्लाज्मा निकालने के लिए सेल सेपरेटर मशीनें भी उपलब्ध है.

उन्होंने बताया कि कोविड-19 में उनका प्लाजमा प्रयोग किया जा सकता है. जो मरीज ठीक हो चुके हैं. इस थेरेपी से संक्रमित मरीज में ऐसी एंटीबॉडीज उत्पन्न हो जाती हैं जो इस वायरस से लड़ने में सक्षम होती है. उन्होंने बताया कि अभी तक रोहतक पीजीआई में प्लाज्मा थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ी है. क्योंकि ये थेरेपी उन मरीजों पर प्रयोग की जा सकती है. जो मरीज गंभीर स्थिति में वेंटिलेटर पर हैं. उन्होंने कहा कि पीजीआई में अगर इस थेरेपी के इलाज की जरूरत पड़ती है तो वो पूरी तरह से तैयार हैं.

रोहतक: देश और प्रदेश में कोरोना का कहर थमने का नाम नही ले रहा है. प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 250 पार कर चुका है. जिसको लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग की चिंतित हैं. वहीं इस कोरोना काल में एक उम्मीद किरण दिखाई दी है.

कोरोना वायरस को मात देने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयोग कर रहा है. बताया जा रहा है कि दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग कर कुछ मरीजों को स्वस्थ किया गया है. इसके बाद से डॉक्टरों में एक आशा की नई किरण जगी है. वहीं मरीजों के लिए ये थेरेपी काफी फायदेमंद सिद्ध हो रही है.

रोहतक पीजीआई के डायरेक्टर डॉक्टर रोहतास यादव ने बताया कि पीजीआई प्लाज्मा थेरेपी को करने में पूरी तरह से सक्षम है और प्लाज्मा बनाने के लिए रोहतक पीजीआई में मशीनें उपलब्ध हैं. हालांकि उन्होंने कहा अभी तक उन्हें इस थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ी है. लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो वह पूरी तरीके से तैयार है.

निदेशक डॉ. रोहताश यादव ने बताया कि प्लाज्मा रक्त का एक सॉलिड पार्ट होता है. जिसका काम शरीर में एंटीबॉडी तैयार करना होता है और जिस तरह से दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी से कई मरीज ठीक हुए हैं. उससे एक आशा की किरण दिखाई देने लगी है.

उन्होंने बताया कि प्लाजमा थेरेपी का प्रयोग इबोला, H1 N1 वायरस को लेकर भी किया गया था. रोहतक पीजीआई भी इस तरह की थेरेपी करने में पूरी तरीके से सक्षम है. यहां पर काफी हाईटेक ब्लड बैंक है और प्लाज्मा निकालने के लिए सेल सेपरेटर मशीनें भी उपलब्ध है.

उन्होंने बताया कि कोविड-19 में उनका प्लाजमा प्रयोग किया जा सकता है. जो मरीज ठीक हो चुके हैं. इस थेरेपी से संक्रमित मरीज में ऐसी एंटीबॉडीज उत्पन्न हो जाती हैं जो इस वायरस से लड़ने में सक्षम होती है. उन्होंने बताया कि अभी तक रोहतक पीजीआई में प्लाज्मा थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ी है. क्योंकि ये थेरेपी उन मरीजों पर प्रयोग की जा सकती है. जो मरीज गंभीर स्थिति में वेंटिलेटर पर हैं. उन्होंने कहा कि पीजीआई में अगर इस थेरेपी के इलाज की जरूरत पड़ती है तो वो पूरी तरह से तैयार हैं.

Last Updated : May 17, 2020, 2:33 PM IST
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