ETV Bharat / city

प्रवासी मजदूरों का छलका दर्द, 'दो दिन से भूखे हैं साहब, हमें घर भिजवा दो' - हरियाणा प्रवासी मजदूर परेशान

कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में सबसे ज्यादा मुसीबतों का सामना प्रवासी मजदूरों को करना पड़ा है. ये सिर्फ हरियाणा की बात नहीं है बल्कि पूरे देश का हाल है. हर राज्य से प्रवासी मजदूरों को खाना ना मिलने, रहने की जगह ना मिलने जैसी खबरें सामने आई हैं. जिसमें ताजा मामला रोहतक से सामने आया है.

rohtak
rohtak
author img

By

Published : May 3, 2020, 8:01 AM IST

Updated : May 3, 2020, 11:10 AM IST

रोहतक: 'हमारे बच्चे ही नहीं रहेंगे तो हम जिंदा रह कर क्या करेंगे साहब, इससे अच्छा तो हम भूखे, प्यासे या बीमारी से ही मर जाएं, पर हमें घर भेज दो साहब'. ये प्रवासी मजदूरों का दर्द है जो लॉकडाउन की वजह से करीब डेढ़ महीने से रोहतक में फंसे हुए हैं. घर जाने के लिए डीएम साहब से परमिशन लेने के लिए मिलने जाते हैं तो पुलिस वाले रास्ते में ही डरा धमकाकर भगा देते हैं.

परमिशन मिले तो पैदल भी घर जाने को तैयार

पुलिसवाले डीएम तक पहुंचने ही नहीं देते. यही नहीं उनका कहना है कि कभी खाना मिल जाता है तो कभी भूखे ही रहते हैं. प्रशासन और सरकार की कोई मदद नहीं पहुंच रही. ऐसे में अगर परमिशन मिल जाए तो हम लोग पैदल ही घर जाने के लिए तैयार हैं. ये प्रवासी मजदूर हर उस अधिकारी से गुहार लगाना चाहते हैं जो उन्हें घर भेज सके.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन 3.0 : जानिए किस जोन में क्या खुला रहेगा और क्या रहेगा बंद

पेट भरने के लिए अपने घरों से करीब 500 किलोमीटर दूर रोहतक में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले करीब 30 से 40 महिला और पुरुष प्रवासी मजदूर घर जाना चाहते हैं. घर जाने की परमिशन मिलने की उम्मीद लेकर यह मजदूर डीसी कार्यालय तक पहुंचने की कोशिश करते हैं लेकिन पुलिसकर्मी रास्ते में ही उन्हें डरा धमकाकर भगा देते हैं. यह बात हम नहीं बल्कि खुद प्रवासी मजदूर ही कैमरे के सामने कह रहे हैं.

हर रोज नहीं नसीब होता खाना

मजदूरों का यह भी कहना है कि प्रशासन के खाना पहुंचाने के जो दावे हैं वह भी सही नहीं हैं. मजदूरों के अनुसार कभी उन्हें खाना मिल जाता है तो कभी वह भूखे ही रहते हैं. कुछ मजदूर तहसील के पास जिस बिल्डिंग में दिहाड़ी मजदूरी करते थे फिलहाल उसी में रहने का ठिकाना बनाए हुए हैं तो कुछ रोहतक की दुर्गा भवन मंदिर के पास रहते हैं और मंदिर में कभी-कभार कुछ लोग खाना दे जाते हैं, बस उसी से अपना और बच्चों का पेट भर लेते हैं लेकिन ऐसा हर रोज नहीं होता.

प्रवासी मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से वह पिछले डेढ़ महीने से फंसे हुए हैं, उन्हें बस घर जाना है. डीसी साहब से मिलने की कोशिश करते हैं लेकिन पुलिसकर्मी उन्हें डरा धमकाकर भगा देते हैं इसलिए चाहे भूखे मरे या बीमारी से हमें घर भिजवा दो साहब हमारे बच्चे अकेले हैं.

ये भी पढ़ें- सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए जारी किया हेल्पलाइन नंबर- 1950

गौरतलब है कि लॉकडाउन की वजह से मध्य प्रदेश और यूपी के कई प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं. घर जाने की परमिशन के लिए प्रशासन के कई बार चक्कर लगा चुके हैं लेकिन वहां तक पहुंचने ही नहीं दिया जाता. हालांकि कई राज्यों द्वारा दूसरे राज्यों में फंसे अपने मजदूरों को वापस लाने का काम शुरू किया जा चुका है लेकिन देखना ये होगा कि रोहतक में फंसे इन मजदूरों का नंबर कब आएगा और ये लोग कब अपने घर जा सकेंगे.

रोहतक: 'हमारे बच्चे ही नहीं रहेंगे तो हम जिंदा रह कर क्या करेंगे साहब, इससे अच्छा तो हम भूखे, प्यासे या बीमारी से ही मर जाएं, पर हमें घर भेज दो साहब'. ये प्रवासी मजदूरों का दर्द है जो लॉकडाउन की वजह से करीब डेढ़ महीने से रोहतक में फंसे हुए हैं. घर जाने के लिए डीएम साहब से परमिशन लेने के लिए मिलने जाते हैं तो पुलिस वाले रास्ते में ही डरा धमकाकर भगा देते हैं.

परमिशन मिले तो पैदल भी घर जाने को तैयार

पुलिसवाले डीएम तक पहुंचने ही नहीं देते. यही नहीं उनका कहना है कि कभी खाना मिल जाता है तो कभी भूखे ही रहते हैं. प्रशासन और सरकार की कोई मदद नहीं पहुंच रही. ऐसे में अगर परमिशन मिल जाए तो हम लोग पैदल ही घर जाने के लिए तैयार हैं. ये प्रवासी मजदूर हर उस अधिकारी से गुहार लगाना चाहते हैं जो उन्हें घर भेज सके.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन 3.0 : जानिए किस जोन में क्या खुला रहेगा और क्या रहेगा बंद

पेट भरने के लिए अपने घरों से करीब 500 किलोमीटर दूर रोहतक में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले करीब 30 से 40 महिला और पुरुष प्रवासी मजदूर घर जाना चाहते हैं. घर जाने की परमिशन मिलने की उम्मीद लेकर यह मजदूर डीसी कार्यालय तक पहुंचने की कोशिश करते हैं लेकिन पुलिसकर्मी रास्ते में ही उन्हें डरा धमकाकर भगा देते हैं. यह बात हम नहीं बल्कि खुद प्रवासी मजदूर ही कैमरे के सामने कह रहे हैं.

हर रोज नहीं नसीब होता खाना

मजदूरों का यह भी कहना है कि प्रशासन के खाना पहुंचाने के जो दावे हैं वह भी सही नहीं हैं. मजदूरों के अनुसार कभी उन्हें खाना मिल जाता है तो कभी वह भूखे ही रहते हैं. कुछ मजदूर तहसील के पास जिस बिल्डिंग में दिहाड़ी मजदूरी करते थे फिलहाल उसी में रहने का ठिकाना बनाए हुए हैं तो कुछ रोहतक की दुर्गा भवन मंदिर के पास रहते हैं और मंदिर में कभी-कभार कुछ लोग खाना दे जाते हैं, बस उसी से अपना और बच्चों का पेट भर लेते हैं लेकिन ऐसा हर रोज नहीं होता.

प्रवासी मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से वह पिछले डेढ़ महीने से फंसे हुए हैं, उन्हें बस घर जाना है. डीसी साहब से मिलने की कोशिश करते हैं लेकिन पुलिसकर्मी उन्हें डरा धमकाकर भगा देते हैं इसलिए चाहे भूखे मरे या बीमारी से हमें घर भिजवा दो साहब हमारे बच्चे अकेले हैं.

ये भी पढ़ें- सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए जारी किया हेल्पलाइन नंबर- 1950

गौरतलब है कि लॉकडाउन की वजह से मध्य प्रदेश और यूपी के कई प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं. घर जाने की परमिशन के लिए प्रशासन के कई बार चक्कर लगा चुके हैं लेकिन वहां तक पहुंचने ही नहीं दिया जाता. हालांकि कई राज्यों द्वारा दूसरे राज्यों में फंसे अपने मजदूरों को वापस लाने का काम शुरू किया जा चुका है लेकिन देखना ये होगा कि रोहतक में फंसे इन मजदूरों का नंबर कब आएगा और ये लोग कब अपने घर जा सकेंगे.

Last Updated : May 3, 2020, 11:10 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.