चंडीगढ़ : खेल का मैदान हो और हरियाणा की बात ना हो ऐसा होना मुमकिन नहीं है. देश को आजाद हुए 75 साल हो (Indian Independence Day) चुके हैं और इस मौके को आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) कहा जा रहा है. आजादी के इस अमृत महोत्सव का उत्साह देश के उन खिलाड़ियों के बगैर अधूरा (Achievements75) है जिन्होंने खेल के मैदानों में दुनियाभर के खिलाड़ियों को पस्त किया है. ऐसे वक्त में बर्मिघम कॉमनवेल्थ गेम्स में पदकवीरों की बात करना भी जरूरी है, कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भी हरियाणा के खिलाड़ियों का दम देखने को मिला.
हरियाणा के खिलाड़ियों ने लगाई मेडल्स की झड़ी- कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games 2022) भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 61 मेडल जीते (CWG Medal Tally) हैं. इनमें से 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज मेडल (India in CWG Medal Tally) हैं. इस बार भारत पदक तालिका में चौथे स्थान पर (Haryana in CWG) है. बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की हर ओर तारीफ हो रही है. भारत इस प्रदर्शन में हरियाणा के खिलाड़ियों का अहम योगदान है. कुल मिलाकर CWG 2022 में हरियाणा के छोरे छोरियों ने ही मेला लूटा है, और इसकी गवाही आंकड़े भी देते हैं.
40% से अधिक गोल्ड मेडल हरियाणा के खिलाड़ी जीते- भारत की झोली में आए कुल 61 में से 17 मेडल हरियाणा के खिलाड़ियों ने हासिल (Haryana Players in CWG) किए हैं. इनमें टीम इंवेट शामिल नहीं है. वहीं गोल्ड मेडल के मामले में हरियाणा के खिलाड़ियों का कोई सानी नहीं है. कुल 22 गोल्ड में से 9 गोल्ड मेडल अकेले हरियाणा के खिलाड़ियों ने (CWG Gold Medals From Haryana) जीते हैं. इस तरह 40 फीसदी गोल्ड मेडल हरियाणा के खिलाड़ियों के अपने नाम किए हैं. हरियाणा के छोरे-छोरियों ने इस बार कॉमनवेल्थ में ऐसा दम दिखाया कि दुनिया देखती (Haryana in Commonwealth Games 2022) रह गई. हरियाणा के होनहारों में ये वो नवरत्न हैं जिन्होंने सोने का तमगा देश की झोली में (CWG Gold Medal from Haryana) डाला है.
बजरंग पूनिया- सोनीपत के रेसलर बजरंग पूनिया टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं. कॉमनवेल्थ में उनका मेडल पक्का माना जा (Haryana gold medalist in cwg 2022) रहा था. 65 किलोग्राम भार वर्ग के फ्रीस्टाइल रेसलिंग इवेंट में गोल्ड मेडल जीता. बजरंग ने फाइनल मुकाबले में कनाडा के एल मैकलीन को 9-2 से धूल चटाई. पहले हाफ में बजरंग पूनिया ने चार अंक लिए. दूसरे हाफ में मैकलीन ने दो प्वाइंट लेकर वापसी की कोशिश की, लेकिन बजरंग पूनिया ने पलटवार करते हुए देश के नाम एक और गोल्ड मेडल (wrestler bajrang punia won gold medal) जीत लिया.
रवि दहिया- पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले रेसलर रवि दहिया को लेकर पूरे देश को उनसे मेडल की उम्मीद थी और वो इस उम्मीद पर सोने की तरह खरे उतरे. रवि दहिया ने 57 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता. सोनीपत के रवि दहिया ने अपने चिर प्रतिद्वंदी नाइजीरियन खिलाड़ी को एकतरफा मुकाबले में हराते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा कर लिया.
दीपक पूनिया- झज्जर जिले के रहने वाले दीपक पूनिया ने 86 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया. खास बात ये रही कि दीपक ने फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के पहलवान मोहम्मद इनाम बट्ट को 3-0 से पटखनी दी. कॉमनवेल्थ गेम्स में ये दीपक का पहला मेडल है.
अमित पंघाल- 22वें कॉमनवेल्थ गेम्स में रोहतक के छोरे अमित पंघाल ने गोल्डन पंच लगाया और फाइनल मुकाबले में मेजबान देश इंग्लैंड के मैकडोनाल्ड को 5-0 से चित करके 51 किलोग्राम भार वर्ग का गोल्ड मेडल भारत की झोली में डाल दिया. 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में अमित पंघाल ने सिल्वर मेडल जीता था और इस बार उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर मेडल का रंग सुनहरा कर दिया.
नीतू घणघस- पहली बार कॉमनवेल्थ के रिंग में उतरी भिवानी की छोरी नीतू घणघस ने भी गोल्ड मेडल जीतकर हरियाणा और देश का नाम रोशन कर दिया. 48 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल मुकाबले में नीतू के पंच के आगे अंग्रेज बॉक्सर डेमी जाडे पस्त हो गया. नीतू ने फाइनल मुकाबला 5-0 से अपने नाम किया और देश को कॉमनवेल्थ गेम्स में 14वां स्वर्ण पदक दिलाया. नीतू घणघस का अगला मिशन ओलंपिक पदक जीतना है.
नवीन मलिक- पहलवान नवीन मलिक ने भी 74 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर अपना दम दिखाया. नवीन ने फाइल मुकाबले में पाकिस्तान के पहलवान ताहिर को 9-0 से पटखनी दी. रेसलिंग में भले नवीन एक नया नाम हो लेकिन इस गोल्ड मेडल के बाद रेसलिंग की दुनिया 19 साल के नवीन मलिक के नाम से अच्छी तरह वाकिफ हो गई है.
साक्षी मलिक- ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली रेसलर साक्षी मलिक ने कॉमनवेल्थ गेम्स में सोने का तमगा हासिल किया. साक्षी ने फ्री स्टाइल 62 किग्रा वर्ग में कनाडा की एन्ना गोडिनेज गोंजालेज को हराया. साक्षी ने पहले विपक्षी खिलाड़ी को चित्त कर चार अंक हासिल किए. उसके बाद पिनफॉल से जीत हासिल की. पिन फॉल में विरोधी खिलाड़ी के दोनों कंधों को जमीन पर लगना होता है. साक्षी इससे पहले राष्ट्रमंडल खेलों में रजत (2014) और कांस्य पदक (2018) जीत चुकी थीं.