रोहतक: बेमौसमी बरसात, ओलावृष्टि और अब नकली खाद, बीज व दवाई, किसान के हिस्से में केवल नुकसान ही आता है. अब नकली खाद, बीज व खरपतवार की दवा किसानों के लिए नासूर बन गई है. इन सबसे बेबस होकर किसान अपने गेंहू की फसल पकने से पहले ही काटने को मजबूर है, वो भी पेट भरने के लिए नहीं बल्कि पशुओं के चारे के लिए.
दरअसल गेंहू में खरपतवार ज्यादा होने से किसान परेशान था और इसके चलते खेत में गेहूं के पौधे कम और खरपतवार ज्यादा हो गया था जिसके बाद किसान ने समय से पहले ही गेहूं की फसल की कटाई कर दी ताकि कम से कम पशुओं को चारा मिल सके. बता दें कि खरपतवार एक ऐसी घास है जो खुद उगती है और फसल को बर्बाद कर देती है.
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किसान की मजबूरी देखिए जिस फसल का वो सालभर इंतजार करता है आज उसी पर समय से पहले दराती चलाने को मजबूर है और इस सबका कारण है बाजार में मक्कड़ जाल की तरह भरी पड़ी नकली बीज, खाद व खरपतवार की दवाई. किसान का आरोप है कि खेत मे कई बार खरपतवार की दवा का छिड़काव किया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
किसान ने ये भी आरोप लगाया कि बाजार में नकली खरपतवार की दवा है इसलिए कोई फायदा नहीं होता. आखिर में परेशान होकर कच्ची फसल ही कटाई कर दी ताकि अपना न सही पशुओं का ही पेट भर सके. किसानों ने कहा कि खरपतवार की नकली दवा के कारण मजबूरन कटाई करनी पड़ी.
किसानों ने कहा गेहूं की बिजाई से लेकर खरपतवार और खाद-बीज में 10 से 15 हजार रुपए लग जाते हैं और अब समय से पहले कटाई करके नुकसान हुआ है. बेबस किसानों की आय दोगुनी करने वाली भाजपा सरकार से किसान बस उम्मीद लगाए हुए है कि उसके नुकसान का कुछ तो मुवावजा दें और नकली दवा व खाद पर नियंत्रण करें ताकि सबका पेट भरने वाला अन्नदाता खुद भूखा न सोए.
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