पानीपत: हरियाणा की अनाज मंडियों में सरकार द्वारा गेहूं की फसल खरीद के एलान को बड़ा धक्का लगा. आढ़तियों ने पहले से घोषित अपनी हड़ताल को सरकार से विवाद सुलझने तक जारी रखा. आढ़तियों का कहना है कि सरकार द्वारा लॉक डाउन की स्थिति में जिस तरह से किसानों और आढ़ती के बीच में दरार पैदा करने की कोशिश की है इससे आढ़ती और किसान में अपने लेनदेन को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं.
आढ़तियों के प्रधान धर्मवीर मलिक का कहना है कि किसानों द्वारा जो कर्ज अपने आढ़तियों से लिया गया है. इस व्यवस्था से वह वसूल नहीं कर पाएगा और फसल के बाद किसान उस पैसे को आढ़तियों को वापस नहीं करेगा. इससे आगे की व्यवस्था चलना मुश्किल हो जाएगा. इससे आढ़ती की आर्थिक स्तिथि खराब हो जाएगी.
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आढ़ती चाहते हैं कि लॉक डाउन की स्थिति में पुरानी व्यवस्था चालू रखी जाए ताकि आढ़ती और किसान आपस में मिलकर उस व्यवस्था को कारगर तरीके से जारी रख सकें. वही मंडी के अंदर अनाज ना पहुंचने से मजदूर वर्ग भी दुखी है. उन्हें बड़ी आस थी कि 20 अप्रैल से मंडी में गेहूं की आवक शुरू होने से उन्हें काम मिलेगा और वह अपना घर चला सकेंगे क्योंकि पिछले 1 महीने से कोरोना महामारी की वजह से मजदूरों को कोई काम नहीं मिल रहा था.
इस विवाद से जहां उनमें मायूसी छाई है वहीं किसान भी बेचैन है क्योंकि पिछले कई दिनों से किसान ने अपनी फसल को खेत से लाकर घर में रखा हुआ था और इस इंतजार में था कि 20 अप्रैल से मंडी में एजेंसी द्वारा खरीद शुरू की जाएगी और उसके घर उसकी मेहनत का पैसा घर आएगा. जिससे वह अपनी स्थिति ठीक कर पाएगा लेकिन प्रशासन और आढ़तियों के बीच विवाद ना सुलझ पाने के कारण मंडियों में खरीद नहीं शुरू हो सकी.
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