पानीपत: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के पास जम्मू कश्मीर में आंतकवादियों के हाथों मारे गए लोगों और पलायन करके वापस लौटे नागरिकों की कोई जानकारी नहीं है. यही नहीं जम्मू क्षेत्र में पिछले 31 सालों में आंतकवादियों के हाथों कुल 274 लोग मारे गये जिसमें से केवल 2 कश्मीरी पंडित हैं. ये बात सुनकर आपको हैरानी हो सकती है लेकिन आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर (RTI activist PP Kapoor) की मानें ये सौ फीसदी सच है.
हरियाणा के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर के मुताबिक उन्होंने सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत जम्मू कश्मीर से पलायन करने वालों की जानकारी केंद्र सरकार से मांगी थी. पीपी कपूर का कहना है कि सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि मोदी सरकार के पास 1989 से आज तक जम्मू कश्मीर में आंतकवादियों के हाथों मारे गए कश्मीरी पंडितों, मुसलमानों और अन्य की कोई सूचना ही नहीं है. सरकार को यह भी नहीं पता कि पलायनकर्ता कुल कितने कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर में बसाया जा चुका है.
कश्मीर में मारे गये पंडितों की संख्या- यह चौंकाने वाला खुलासा पानीपत (हरियाणा) आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरटीआई से मिली सूचना के आधार पर किया है. कपूर को केंद्रीय गृह मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी एवं केंद्रीय जन सूचना अधिकारी कबिराज साबर ने (26 अप्रैल 2022 के पत्र द्वारा) बताया कि उनके पास जम्मू कश्मीर में 1989 से आंतकवादियों के हाथों मारे गए मृतकों की कुल संख्या की सूचना उपलब्ध नहीं है. जम्मू कश्मीर से कुल 44 हजार 684 परिवारों (कुल 1,54,712 लोगों ) ने पलायन किया. इन पलायनकर्ताओं में से कितने कश्मीरी पंडित थे, कितने मुस्लिम या अन्य थे, यह जानकारी भी केंद्र सरकार के पास मौजूद नहीं है. केंद्र सरकार के पास यह सूचना भी नहीं है कि कितने कश्मीरी पंडितों को आज तक वापस कश्मीर में बसाया गया. प्रधानमंत्री के विकास पैकेज के तहत कुल 2015 कश्मीरी पलायनकर्ताओं को नौकरी दी गई है.
कश्मीर से पलायन करने वाले पंडितों की संख्या- इसके अलावा पीपी कपूर ने दूसरा हैरान करने वाला दावा ये किया है कि जम्मू कश्मीर पुलिस के जम्मू मुख्यालय की डीएसपी एवं जन सूचना अधिकारी स्वाति शर्मा ने आरटीआई में अपने 27 अप्रैल 2022 के पत्र द्वारा बताया है कि आंतकवादियों के हाथों जम्मू क्षेत्र में 1989 से आज तक सिर्फ 2 कश्मीरी पंडित मारे गए हैं. जबकि इस दौरान आंतकवादियों द्वारा मारे गए कुल 274 लोगों में से 197 हिंदू, 37 मुस्लिम, 36 सिख और 2 अज्ञात लोग शामिल हैं. दूसरी ओर जोनल पुलिस हेड क्वार्टर कश्मीर के जन सूचना अधिकारी ने अपने 1 अप्रैल 2022 के पत्र द्वारा सूचना देने से इनकार करते हुए कहा कि आंतकवादियों के हाथों मारे गए कश्मीरी पंडितों, मुस्लिमों व अन्य धर्म के लोगों की संख्या बताने और पलायनकर्ताओं की घर वापसी की सूचना देने से देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ जायेगी.
एक तरफ तो 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) फिल्म को भारत सरकार और मोदी सरकार ने कश्मीरियों का नरसंहार बताते हुए प्रमोट किया. बीजेपी सरकारों ने इसे टैक्स फ्री किया. लेकिन उसके बारे में कोई सूचना, कोई भी रिकॉर्ड भारत सरकार के पास नहीं है. जम्मू कश्मीर का प्रशासन ये सूचना देने को तैयार नहीं है. इससे साफ हो चुका है कि कश्मीरी पंडितों के नाम पर भारत सरकार, आरएसएस-बीजेपी की सरकार ने देश में नफरत फैलाने का काम किया. इन्होंने कश्मीरी पंडितों को अपना मोहरा बनाकर इस्तेमाल किया. जबकि उनके हित के लिए इन्होंने कोई काम नहीं किया. पीपी कपूर, आरटीआई एक्टिविस्ट
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