पानीपत: जिला प्रशासन 16 राहगीरी कार्यक्रम कर चुका है लेकिन जिला पुलिस को ये भी नहीं पता कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य व औचित्य क्या है. ना ही ये पता है कि इसका संचालन कौन कर रहा है. सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि हर कार्यक्रम में डीजे, स्टेज, माईक, जनरेटर, डांस कार्यक्रम, बैंड, ढोल, पेंटिंग, नुक्कड़ नाटक आदि कार्यक्रम होते हैं लेकिन इन पर प्रशासन का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ तो फिर ये खर्चा करता कौन है.
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से जिला प्रशासन द्वारा राहगीरी कार्यक्रम किए जा रहे हैं. इसमें डीसी, एसपी सहित जिला प्रशासन के तमाम प्रमुख अधिकारी शामिल होते हैं. इसी बारे में उन्होंने 23 अप्रैल 2019 को एसपी कार्यालय में 11 सूत्री आरटीआई लगाई थी. राज्य सूचना अधिकारी एवं डीएसपी (मुख्यालय) ने पहले तो भ्रामक व गोलमोल जवाब थमाकर टरकाना चाहा. लेकिन राज्य सूचना आयोग में मामला पहुंचने पर 30 जनवरी व 7 फरवरी 2020 के पत्रों द्वारा डीएसपी (मुख्यालय) सतीश वत्स ने चौंकाने वाली सूचनाएं दी हैं.
राहगीरी कार्यक्रम के उद्देश्य व औचित्य के बारे में डीएसपी (मुख्यालय) सतीश वत्स ने बताया कि इस सूचना का उनके पास कोई रिकार्ड नहीं है. यह कार्यक्रम जनता अपने तौर पर करती है. पुलिस द्वारा सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी दी जाती है. डीजीपी कार्यालय से 23 अप्रैल 2019 को मिले 2.30 लाख रुपये में से कोई पैसा खर्च नहीं किया गया.
ये भी पढ़ें- कृषि मंत्री ने किया कुरुक्षेत्र में बने दूसरे पैक हाउस का शुभारंभ, 7 करोड़ की लागत से हुआ तैयार
राहगीरी की संचालन कमेटी व इसके सदस्यों का भी कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है. इस कार्यक्रम के कारवाई रजिस्टर व मीटिंगों के निर्णयों बारे कोई सूचना होने से मना किया है. जिले में राहगीरी कार्यक्रम 16 मई 2018 से जारी है. मई 2018 से अप्रैल 2019 तक किए गए कुल 16 कार्यक्रमों में कुल करीब एक लाख लोगों के शामिल होने का दावा जिला पुलिस ने किया है.
इस कार्यक्रम को करने का कोई आदेश पत्र रिकार्ड में मौजूद नहीं है. दिनांक 27 नवम्बर 2016 की सीएम घोषणा के तहत कार्यक्रम किए जा रहे हैं. कपूर ने आरोप लगाया कि इन राहगीरी कार्यक्रमों में प्रशासन का एक भी पैसा खर्च नहीं होने के दावों से स्पष्ट है कि इसमें भ्रष्टाचारियों का पैसा खर्च हो रहा है. डीजीपी द्वारा भेजी गई 6.40 लाख व एसपी को मिली 2.30 लाख रुपये की राशि की जांच होनी चाहिए.
डीएसपी (मुख्यालय) सतीश वत्स ने अपने 30 जनवरी 2020 के पत्र द्वारा आरटीआई में बताया कि 23 अप्रैल 2019 को उन्हें 2.30 लाख रुपये ग्रांट डीजीपी कार्यालय से मिली है. दूसरी ओर डीजीपी कार्यालय ने आरटीआई में बताया कि 27 नवम्बर 2019 के पत्र द्वारा 6.40 लाख रुपये एसपी पानीपत को भेजे जा चुके हैं. आठ अप्रैल 2019 को 2.30 लाख, 8 जुलाई 2019 को 1.80 लाख व 14 अक्टूबर 2019 को 2.30 लाख रुपये की राशि एसपी पानीपत को दी गई. सवाल है कि 4.10 लाख रुपये की राशि कौन खा गया.
ये भी पढ़ें- हरियाणा बजट 2020: जानिए सरकार से क्या है सिरसा की जनता की उम्मीदें ?
जिला प्रशासन के उच्चाधिकारी अपने कुछ चहेतों, वफादारों व मोटी फीसें वसूलने वाले तीन-चार निजी स्कूलों, कालेजों से भीड़ जुटाकर नौटंकी करते हैं. इसकी एवज में ये वफादार व धना सेठ प्रशासन से नजदीकियां बढ़ाकर अपने निजी स्वार्थ पूरे करते हैं. सरकार व अफसरों की छवि चमकाने के इस आडम्बर से आम जनता का कोई लेना देना नहीं. दो वर्षों से सीएम अनाउंसेमेंट के तहत चल रहे प्रोग्राम से प्रशासनिक अधिकारियों का अनभिज्ञ होना गंभीर सवाल खड़े करता है. इतना ही नहीं पानीपत राहगीरी को प्रथम पुरस्कार मिलने पर पिछले वर्ष होटल स्वर्ण महल में पार्टी पर खर्च किए लाखों रुपये के बारे में भी प्रशासन मौन है.