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पंचतत्व में विलीन पर्वतारोही नीतीश दहिया, बर्फीले तूफान में फंसकर उत्तरकाशी में चली गई थी जान

उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा-2 के आरोहण के लिए गए पर्वतारोहियों के बर्फीले तूफान की चपेट में आने के बाद से ही लापता प्रशिक्षुओं में से शुक्रवार को कई शवों को खोज निकाला गया. इनमें सोनीपत के गांव मटिंडू के युवा पर्वतारोही नीतीश दहिया का शव भी शामिल है. आज सुबह पर्वतारोही नीतीश दहिया का शव उनके गांव पहुंचा. इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया.

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पंचतत्व में विलीन पर्वतारोही नीतीश दहिया, बर्फीले तूफान में फंसकर उत्तरकाशी में चली गई थी जान
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Published : Oct 9, 2022, 2:37 PM IST

सोनीपत: पर्वतारोही नीतीश दहिया के पार्थिव शरीर का उनके गांव के शमशान घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया. ग्रामीणों के साथ ही आसपास के गांवों व अन्य स्थानों से आए हजारों लोगों ने नम आंखों से नीतीश के अंतिम विदाई दी. इस दौरान नीतीश अमर रहे के नारे लगाते हुए सुनाई दिए. बता दें कि द्रौपदी का डांडा चोटी पर हुए हिमस्खलन (एवलांच) (Avalanche on Draupadi Danda )की चपेट में आने नीतीश की जान चली गई.

सोनीपत के मटिंडू गांव के रहने वाले नीतीश दहिया एडवांस कोर्स के लिए 23 सितंबर को द्रौपदी का डांडा-2 (Draupadi Danda 2) में अपने सहयोगी प्रशिक्षु पर्वतारोही, प्रशिक्षकों व नर्सिंग स्टाफ के साथ गए थे. इसी बीच 4 अक्टूबर को सुबह करीब आठ बजे इस दल के ज्यादातर सदस्य बर्फीले तूफान की चपेट में आ गए थे. इसके बाद से चलाए गए बचाव अभियान में लगातार खराब मौसम बाधा बना हुआ था.

दल के लापता सदस्यों को ढूंढ पाना मुश्किल हो रहा था. इसी बीच जब पर्वतारोही नीतीश दहिया (Mountaineer Nitish Dahiya) के परिजनों को नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की तरफ से नीतीश के बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया तो परिवार के कई सदस्य उत्तराखंड के लिए 5 अक्तूबर को ही रवाना हो गए थे. 7 अक्टूबर को कई पर्वतारोहियों के शवों को बरामद किया गया. जिसके बाद सात शवों को द्रौपदी का डांडा बेस कैंप से हेलीकाप्टर के जरिए मातली हेलीपैड पहुंचाया गया था. जहां से इन शवों की शनाख्त व पोस्टमार्टम के लिए उत्तरकाशी सरकारी अस्पताल में भेजा गया था. यहीं पर एक शव की पहचान परिजनों ने नीतीश के रूप में की थी.

रविवार सुबह पर्वतारोही नीतीश दहिया का उनके गांव मटिंडू लाया गया. उनके अंतिम दर्शन को लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. हर आंख नम थी. परिजन और गांव वाले नीतीश अमर रहे के नारे लगाते हुए उनके पार्थिव शरीर को लेकर शमशान घाट पहुंचे.

गांव के लोगों ने कहा कि नीतीश ने छोटी सी उम्र में देश व प्रदेश का नाम रोशन कर दिया है. उन्हें सरकार की तरफ से शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए. आपको बता दे कि नीतीश अपने परिवार का इकलौता पुत्र था. नीतीश के पिता राजवीर ने बताया कि उसके बेटे ने छोटी सी उम्र में वह मुकाम हासिल कर लिया जो कि बड़े-बड़े नहीं कर पाए.

सोनीपत: पर्वतारोही नीतीश दहिया के पार्थिव शरीर का उनके गांव के शमशान घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया. ग्रामीणों के साथ ही आसपास के गांवों व अन्य स्थानों से आए हजारों लोगों ने नम आंखों से नीतीश के अंतिम विदाई दी. इस दौरान नीतीश अमर रहे के नारे लगाते हुए सुनाई दिए. बता दें कि द्रौपदी का डांडा चोटी पर हुए हिमस्खलन (एवलांच) (Avalanche on Draupadi Danda )की चपेट में आने नीतीश की जान चली गई.

सोनीपत के मटिंडू गांव के रहने वाले नीतीश दहिया एडवांस कोर्स के लिए 23 सितंबर को द्रौपदी का डांडा-2 (Draupadi Danda 2) में अपने सहयोगी प्रशिक्षु पर्वतारोही, प्रशिक्षकों व नर्सिंग स्टाफ के साथ गए थे. इसी बीच 4 अक्टूबर को सुबह करीब आठ बजे इस दल के ज्यादातर सदस्य बर्फीले तूफान की चपेट में आ गए थे. इसके बाद से चलाए गए बचाव अभियान में लगातार खराब मौसम बाधा बना हुआ था.

दल के लापता सदस्यों को ढूंढ पाना मुश्किल हो रहा था. इसी बीच जब पर्वतारोही नीतीश दहिया (Mountaineer Nitish Dahiya) के परिजनों को नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की तरफ से नीतीश के बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया तो परिवार के कई सदस्य उत्तराखंड के लिए 5 अक्तूबर को ही रवाना हो गए थे. 7 अक्टूबर को कई पर्वतारोहियों के शवों को बरामद किया गया. जिसके बाद सात शवों को द्रौपदी का डांडा बेस कैंप से हेलीकाप्टर के जरिए मातली हेलीपैड पहुंचाया गया था. जहां से इन शवों की शनाख्त व पोस्टमार्टम के लिए उत्तरकाशी सरकारी अस्पताल में भेजा गया था. यहीं पर एक शव की पहचान परिजनों ने नीतीश के रूप में की थी.

रविवार सुबह पर्वतारोही नीतीश दहिया का उनके गांव मटिंडू लाया गया. उनके अंतिम दर्शन को लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. हर आंख नम थी. परिजन और गांव वाले नीतीश अमर रहे के नारे लगाते हुए उनके पार्थिव शरीर को लेकर शमशान घाट पहुंचे.

गांव के लोगों ने कहा कि नीतीश ने छोटी सी उम्र में देश व प्रदेश का नाम रोशन कर दिया है. उन्हें सरकार की तरफ से शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए. आपको बता दे कि नीतीश अपने परिवार का इकलौता पुत्र था. नीतीश के पिता राजवीर ने बताया कि उसके बेटे ने छोटी सी उम्र में वह मुकाम हासिल कर लिया जो कि बड़े-बड़े नहीं कर पाए.

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