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Sharadiya Navratri 2022: मां शैलपुत्री के दर्शन को मंदिर में जुटी भीड़, मां के जयकारों से गुंजायमान हुआ परिसर - हरियाणा में नवरात्रि की धूम

आज से शारदीय नवरात्रि 2022 की शुरुआत हो चुकी है. मंदिरों में भक्तों का तांता लगने लगा है. मां शैलपुत्री की एक झलक पाने के लिए मां के भक्त बेताब नजर आ रहे हैं. हरियाणा के पानीपत में भी भक्तों ने मंदिर परिसर में मां के जयकारे लगाए.

haradiya Navratri 2022
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा
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Published : Sep 26, 2022, 11:40 AM IST

पानीपत: सोमवार से शारदीय नवरात्रि 2022 (Sharadiya Navratri 2022) की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती (Maa Shailputri Worship on first day of Navratri) है. मां के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों का तातां लगा हुआ है. नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ शक्ति रूपों की पूजा की जाएगी. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. कलश स्थापना के बाद मां का आवाहन किया जाता है. उनकी आराधना की जाती है. भक्तों को नवरात्रि का बड़े ही बेसब्री से इंतजार रहता है. मंदिरों में भी मां के जयकारे से पूरा परिसर गुंजायमान हो जाता है. नौ दिन नौ अलग-अलग रूपों के दर्शन मां के मिलते हैं.

वहीं, हरियाणा में भी नवरात्रि की धूम (Navratri celebrations in Haryana) है. नवरात्रि के पहले दिन पानीपत के प्राचीन देवी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचे हैं. सुबह 4 बजे ही मंदिर के कपाट खोल दिए गए. ऐसे में माता की पाजी के लिए सुबह से ही श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं. प्राचीन देवी मंदिर को इस बार बेंगलुरु और कोलकाता से मंगवाए गए फूलों से सजाया जाएगा.

नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा
मंदिर के पुजारी पंडित लालमणि पांडे ने बताया कि भगवती दुर्गा का पहला स्वरूप शैल पुत्री का है. हिमालय के यहां जन्म लेने से उन्हें शैल पुत्री कहा गया. इनका वाहन वृषभ है. उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है. इन्हें पार्वती का स्वरूप भी माना गया है. ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी. इनके दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक कष्ट दूर हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें-Shardiya Navratri 2022: जाने कैसे करें नवरात्रि में कलश स्थापना ...

पानीपत: सोमवार से शारदीय नवरात्रि 2022 (Sharadiya Navratri 2022) की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती (Maa Shailputri Worship on first day of Navratri) है. मां के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों का तातां लगा हुआ है. नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ शक्ति रूपों की पूजा की जाएगी. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. कलश स्थापना के बाद मां का आवाहन किया जाता है. उनकी आराधना की जाती है. भक्तों को नवरात्रि का बड़े ही बेसब्री से इंतजार रहता है. मंदिरों में भी मां के जयकारे से पूरा परिसर गुंजायमान हो जाता है. नौ दिन नौ अलग-अलग रूपों के दर्शन मां के मिलते हैं.

वहीं, हरियाणा में भी नवरात्रि की धूम (Navratri celebrations in Haryana) है. नवरात्रि के पहले दिन पानीपत के प्राचीन देवी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचे हैं. सुबह 4 बजे ही मंदिर के कपाट खोल दिए गए. ऐसे में माता की पाजी के लिए सुबह से ही श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं. प्राचीन देवी मंदिर को इस बार बेंगलुरु और कोलकाता से मंगवाए गए फूलों से सजाया जाएगा.

नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा
मंदिर के पुजारी पंडित लालमणि पांडे ने बताया कि भगवती दुर्गा का पहला स्वरूप शैल पुत्री का है. हिमालय के यहां जन्म लेने से उन्हें शैल पुत्री कहा गया. इनका वाहन वृषभ है. उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है. इन्हें पार्वती का स्वरूप भी माना गया है. ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी. इनके दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक कष्ट दूर हो जाते हैं.

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