पानीपत: जिस सीएए, एनआरसी, डिटेंशन सेन्टर्स व शरणार्थियों को नागरिकता देने के मुद्दे पर पूर देश में हाहाकार आया हुआ है, उसके बारे में आरटीआई के तहत मोदी सरकार व असम सरकार मुंह खोलने को तैयार नहीं है. दोनों सरकारें आरटीआई आवेदन को एक दूसरे के पाले में फेंककर जवाब देने से कतरा रही हैं.
केन्द्र सरकार ने जहां इसे राज्य का मामला बताते हुए पल्ला झाड़ लिया तो वहीं असम सरकार ने भी ऐसी कोई सूचना ना होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया है. भारत में शरण व नागरिकता लेने के लिए प्राप्त आवेदनों की संख्या, धर्म व राष्ट्रीयता के सहित सूचना को राज्यों का मामला बताकर मोदी सरकार ने सूचना देने से किनारा कर लिया है.
पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि असम में एनआरसी के कारण गैर नागरिक बने लाखों हिन्दुओं की संख्या देश ना जान पाए इसलिए केन्द्र व असम सरकार सूचनाएं छिपा रही हैं. देश ना जान पाए कि डिटेंशन सेन्टर्स में कैदियों में सर्वाधिक संख्या हिन्दुओं की है और हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद असम में एनआरसी फेल हो चुका है. सूचनाएं तो केन्द्र व असम सरकार के पास हैं लेकिन जानबूझकर नहीं दी जा रही.
पीपी कपूर ने बताया कि उन्होंने एक जनवरी 2020 को केन्द्रीय गृह मंत्रालय, मुख्यसचिव असम को अलग-अलग आरटीआई के आवेदन लगाए थे. इसके तहत असम में एनआरसी के तहत पाए गए समस्त गैर नागरिकों की संख्या की सूचना धर्म के उल्लेख सहित सूचना एवं एनआरसी के उपरांत जेलों में रखे गैर नागरिकों की संख्या व इनके धर्म की सूचना, असम में बनाए गए डिटेंशन सेंटर्स की सूचना व गैर नागरिकों को उनके देश वापिस भेजने बारे सूचना मांगी थी.
ये भी पढ़ें- सोनीपत: जाखोली गांव में हुई हत्या के मामले में 12 आरोपियों को उम्रकैद की सजा
इसी तरह उन्होंने 12 दिसम्बर 2019 के आरटीआई आवेदन के तहत केन्द्रीय गृह मंत्रालय से भारत में गिरफ्तार किए गए गैर नागरिकों की संख्या की सूचना, धर्म, राष्ट्रीयता के उल्लेख सहित मांगी थी. भारत में शरण लेने के लिए प्राप्त सभी आवेदनों की कुल संख्या, धर्म व राष्ट्रीयता के उल्लेख सहित सूचना मांगी थी लेकिन किसी ने कोई सूचना नहीं दी. चौंकाने वाले जवाब दिए कि ऐसी कोई सूचना है ही नहीं.
असम में डिटेंशन सेंटर्स व इनमें बंदियों के बारे में 31 जनवरी 2020 के पत्र अनुसार केन्द्रीय गृह मंत्रालय को उप सचिव (डब्लयू एस-2) एवं केन्द्रीय जनसूचना अधिकारी पवन मेहता ने बताया कि यह सूचना उनके पास नहीं है. इसके अतिरिक्त भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के सूची-2 की प्रविष्टि-4 के तहत कारागार राज्य का विषय है और कारागारों का प्रबंधन संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.
सात फरवरी 2020 के पत्र द्वारा कु० चन्दना महंता डिप्टी सेक्रेटरी गृह व राजनितिक विभाग असम सरकार एवं राज्य जनूसचना अधिकारी एनआरसी असम ने असम में एनआरसी के तहत पाए गए समस्त गैर नागरिकों की संख्या व जाति, धर्म के उल्लेख सहित सूचना उपलब्ध ना होने की बात कही. डिटेंशन सेन्टर्स में गैर नागरिकों को रखने बारे भी सूचना उपलब्ध ना होना बताया गया.
ये भी पढ़ें- गुरुग्राम में प्रॉपर्टी टैक्स जमा न करने वालों पर कार्रवाई शुरू, सील होगी प्रॉपर्टी
असम में एनआरसी सर्वे होने व इस पर हुए खर्च के बारे में बताया कि असम में एनआरसी सर्वे नहीं हुआ. बताया कि नागरिकता कानून-1955 के सेक्शन-6ए के अनुसार आवेदकों से आवेदन पत्र मांगकर एनआरसी को अपडेट किया गया था. असम में डिटेंशन सेन्टर होने व गैर नागरिकों को वापस भेजने के बारे में की गई कार्रवाई की सूचना भी उपलब्ध ना होना बताया गया.
पूरे देश में गिरफ्तार किए गए विदेशी नागरिकों की संख्या, भारत में शरण लेने के लिए प्राप्त सभी आवेदनों की कुल संख्या के बारे में 14 जनवरी 2020 के अपने पत्र में निदेशक (विदेशी) एवं केन्द्रीय जनसूचना अधिकारी गृह मंत्रालय (विदेश प्रभाग) प्रमोद कुमार ने बताया कि केन्द्र के पास यह अपेक्षित सूचना नहीं है. मांगी गई सूचना गृह मंत्रालय के अप्रवासन ब्यूरो, विदेश मंत्रालय और नागरिकता विंग (विदेशी विषयक प्रभाग) के पास होने की सम्भावना व्यक्त करते हुए उन्होंने आवेदन पत्र को गृह मंत्रालय (विदेश प्रभाग) के निदेशक वीसी जोशी के पाले में डाल दिया.
इस पर 6 फरवरी 2020 के पत्र द्वारा गृह मंत्रालय (इंटेलीजेंस ब्यूरो) के अस्सिटेंट डायरेक्टर यूके सिन्हा ने भारत में शरण लेने के लिए प्राप्त सभी आवेदनों व नागरिकता आवदेनों की संख्या के बारे में उनके पास सूचना ना होने का हवाला देते हुए आवदेन पत्र गृह मंत्रलाय के निर्देशक (विदेशी प्रभाग) प्रमोद कुमार को वापिस लौटा दिया.
ये भी पढ़ें- दिल्ली हिंसा मामला: हरियाणा के मंत्री रंजीत चौटाला बोले, दंगे होते रहते हैं