पानीपत: पानीपत की तीसरी लड़ाई के गवाह पानीपत के मैदान के इतिहास को फिल्मकार आशुतोष ने अपने अंदाज से फिल्म बनाकर रुपहले परदे पर उतारा है जिसके बाद से ही प्रदेश भर में जाट समाज ने विरोध जताना शुरू किया.
आज पानीपत के मित्तल मेगा मॉल के गेट पर विवादित फिल्म पानीपत के प्रसारण को बंद करने की मांग को लेकर युवा जाट समाज के युवाओं ने धरना देकर प्रदर्शन किया और फिल्म पर रोक लगाने की मांग की. युवाओं की चेतावनी के बाद फिल्म प्रसारण पर मेगा मॉल के सिनेमाघर में रोक लगाई गई है. वहीं पानीपत प्रशासन को जैसे ही आंदोलन की सूचना मिली तो आनन-फानन में पुलिस बल को मित्तल मेगा मॉल पर भेजा गया.
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जाट नेता रविन्द्र मिन्ना और बलराज सिंह देसवाल ने आरोप लगाया कि फिल्म निर्माता ने फिल्म को बनाने से पहले होमवर्क नहीं किया और ना ही भरतपुर राजवंश फिल्म को लेकर विश्वास में लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म निर्माता आशुतोष ने जोधा अकबर फिल्म बनाने के दौरान भी भारत के आखिरी हिंदू सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य हेमू को भी फिल्म एक विलन की तरह प्रस्तुत किया था जबकि अकबर को हीरो के रूप में पेश किया था.
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उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व में की गई गलतियों से भी आशुतोष ने कोई सबक नहीं लिया और मराठा को खुश करने के लिए उन्होंने पानीपत फिल्म में महाराजा सूरजमल के चरित्र को एक लालची के स्वरूप में प्रसारित किया. उन्होंने आरोप लगाया कि आशुतोष ने इस फिल्म में न तो महाराजा सूरजमल के बलिदान, त्याग और वीरता को दर्शाया और ना ही जाट समाज की भावनाओं का ख्याल रखा.
रविन्द्र मिन्ना ने दावा किया कि यदि मराठा सेना और सेनापति सदाशिव, महाराजा सूरजमल के साथ समझौते को नहीं तोड़ते और महाराजा सूरजमल की कूटनीति के अनुसार कार्य करते तो अब्दाली की हिम्मत ही युद्ध करने की नहीं होती. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से महाराजा सूरजमल हमारे पूर्वज हैं ठीक उसी तरह से मराठा भी हमारे पूर्वज हैं.
ये कड़वा सच है कि मराठा सेनापति सदाशिव भाऊ को उत्तर भारत की जानकारी नहीं थी और वे यहां की वस्तुस्थिति से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे. इतिहासकारों के अनुसार सदाशिव भी जिद्दी स्वभाव के थे. मराठा सेना के अनुभवी सरदारों की सलाह को नहीं मानते थे.
मिन्ना ने कहा की यदि फिल्म को पूर्ण रूप से बैन नहीं किया तो हमें सडकों पर उतरना पड़ेगा. दूसरी ओर फन सिनेमा ने मित्तल मेगा मॉल में पानीपत का प्रसारण बंद करने की घोषणा की है. आंदोलनकारी फिल्म का प्रसारण बंद होने के बाद उपायुक्त को ज्ञापन देने पहुंचे. वहीं आंदोलन में बड़ी संख्या में युवा जाट समाज के युवाओं ने भाग लिया और महाराजा सूरजमल अमर रहे के नारे लगाए.
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बता दें कि पानीपत के खिलाफ लोगों का गुस्सा इसलिए फूटा है क्योंकि ऐसा आरोप लग रहा है कि फिल्म में इतिहास के साथ छेड़खानी करने की कोशिश की गई है. फिल्म में महाराजा सूरजमल की छवि को गलत ढंग से दिखाया गया है. खुद को महाराजा सूरजमल का वंशज बताने वाले राजस्थान सरकार में मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई है. उनकी मानें तो पानीपत बनाते समय इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है.