पंचकूला: आधुनिकता के दौर में लुप्त हो रहे ठठेरों की क्षमता को पंचकूला की रहने वाली युवा कीर्ती गोयल ने पहचान है. नई दिल्ली से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने वाली कीर्ती अब पीतल के बर्तनों की डिजाइनिंग कर रही है. कीर्ती ने पीटेल के नाम से अपनी कंपनी भी रजिस्टर्ड करवा ली है. पंजाब इन्वेस्टर्स कॉन्फ्रेंस में कीर्ति का स्टॉल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा.
'साल भर पहले पीतल के बर्तनों पर शोध किया'
कीर्ती ने बताया कि उन्होंने 1 साल तक पीतल के बर्तनों पर शोध किया. कीर्ती ने बताया कि अमृतसर जिले के जंडियाला गुरु के ठठेरों को 2014 में यूनेस्को ने मान्यता दी थी, जिसका अध्ययन उसने बारीकी से किया.
'लोग पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल करेंगे'
कीर्ती ने बताया कि उनके द्वारा बनाए गए जाग, गिलास, चाय के कप, घड़े लोगों को आकर्षित कर रहा है. कीर्ती के अनुसार आम लोगों में धातु के बर्तन को लेकर जागरूकता आई है. क्योंकि प्लास्टिक, एलुमिनियम और बोन चाइना आदि के साइड इफेक्ट को लेकर लोगों को पता चलना शुरू हो गया है और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में लोग पीतल के बर्तनों को फिर से इस्तेमाल में लाएंगे. कीर्ती ने कहा कि पीतल के बर्तनों में खाने पीने से कई प्रकार की बीमारियां दूर रहती हैं.
कीर्ती गोयल ने बताया कि पंजाब इन्वेस्टर्स कॉन्फ्रेंस में जाने का उन्हें बहुत फायदा मिला. उन्होंने बताया कि इन्वेस्टर्स कॉन्फ्रेंस में बहुत से इन्वेस्टर्स आए थे, जिनसे उनकी मुलाकात भी हुई और उन्हें कीर्ती के पीतल के क्राफ्ट के बारे में पता लगा. कीर्ती ने बताया कि फिलहाल उनकी आमदनी अच्छी है, हालांकि बिजनेस में तब्दील हुए अभी 1 साल पूरा नहीं हुआ और इस साल उनका टर्नओवर 40 लाख तक पहुंचने वाला है.
'हरियाणा सरकार से मदद नहीं ली'
सरकार से मदद मिलने के बारे जब कीर्ती से पूछा गया तो कीर्ती ने बताया कि हरियाणा सरकार से किसी प्रकार के लोन की मांग उनकी तरफ से नहीं की गई. कीर्ती ने बताया कि फिलहाल वो पंजाब सरकार के साथ काम कर रही थीं और पंजाब सरकार में मिनिस्टर रहे नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ से 10 लाख की ग्रांट सेंक्शन हुई थी. कीर्ति ने बताया कि वो आगे ग्रांट लेने की बजाय मुद्रा लोन लेने की सोच रही हैं.
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