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हरियाणा बोल्या: कुरुक्षेत्र में पानी के लिए मचा है हाहाकार, 20 साल से नहर में नहीं आया पानी !

ईटीवी भारत हरियाणा की टीम डार्क जोन क्षेत्र की ग्राउंड रिपोर्ट करने निकली है. हमने जानने की कोशिश की है कि कम भूजल स्तर वाले इलाके के लोग अपना गुजर बसर कैसे करते हैं. इस मुद्दे को लेकर हमने किसानों से बातचीत की. हमारी इस रिपोर्ट में जो बात सामने आई है वो हैरान करने वाली हैं.

severe water crisis
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Published : Jun 14, 2019, 8:09 PM IST

कुरुक्षेत्र: हमने कुरुक्षेत्र के पिहोवा खंड में किसानों से खास बातचीत की. यहां के किसानों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि लगातार हो रही पानी की कमी से खेतों में पैदावार भी नहीं होती और भूमिगत जल से सिंचाई करने के लिए परमिशन लेनी पड़ती है. जब परमिशन मिलती है तब समय पर बिजली नहीं मिलती तो इसलिए कई बार खेतों पर लगाई लागत भी नहीं निकल पाती है.

कुरुक्षेत्र के पिहोवा में पानी की कमी पर स्पेशल रिपोर्ट.

किसानों ने बताया कि प्रशासन व सरकार इसकी तरफ कोई खास ध्यान नहीं दे रही. नहर से पानी आये लगभग 20 साल बीत गए. खेतों के बीचों-बीच बनी नहरों में बड़ी-बड़ी घास उग गई हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि खेतों में पानी के देने के लिए बनाई गई ये नहर एक बरसाती पानी की ड्रेन बनकर रह गई है. पानी की कमी को देखते हुए सरकार धान की फसल उगाने के लिए नई विधि डीएसआर से किसानों को प्रेरित कर रही है लेकिन किसानों की मानें तो ये एक घाटे का सौदा है. इस विधि द्वारा खेतों में फसल की पैदावार कम होती है.

किसानों के बाद हमारी टीम पिहोवा क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या का हाल जानने पहुंची. वार्ड नंबर-10 की एक कॉलोनी में जहां पीने के पानी को लेकर हाहाकार मचा है. टैंकर से पानी लोगों तक पहुंचाया जाता है और लाख शिकायत करने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. लोगों को पीने के पानी के लिए भी तरसना पड़ा रहा है.

कुरुक्षेत्र: हमने कुरुक्षेत्र के पिहोवा खंड में किसानों से खास बातचीत की. यहां के किसानों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि लगातार हो रही पानी की कमी से खेतों में पैदावार भी नहीं होती और भूमिगत जल से सिंचाई करने के लिए परमिशन लेनी पड़ती है. जब परमिशन मिलती है तब समय पर बिजली नहीं मिलती तो इसलिए कई बार खेतों पर लगाई लागत भी नहीं निकल पाती है.

कुरुक्षेत्र के पिहोवा में पानी की कमी पर स्पेशल रिपोर्ट.

किसानों ने बताया कि प्रशासन व सरकार इसकी तरफ कोई खास ध्यान नहीं दे रही. नहर से पानी आये लगभग 20 साल बीत गए. खेतों के बीचों-बीच बनी नहरों में बड़ी-बड़ी घास उग गई हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि खेतों में पानी के देने के लिए बनाई गई ये नहर एक बरसाती पानी की ड्रेन बनकर रह गई है. पानी की कमी को देखते हुए सरकार धान की फसल उगाने के लिए नई विधि डीएसआर से किसानों को प्रेरित कर रही है लेकिन किसानों की मानें तो ये एक घाटे का सौदा है. इस विधि द्वारा खेतों में फसल की पैदावार कम होती है.

किसानों के बाद हमारी टीम पिहोवा क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या का हाल जानने पहुंची. वार्ड नंबर-10 की एक कॉलोनी में जहां पीने के पानी को लेकर हाहाकार मचा है. टैंकर से पानी लोगों तक पहुंचाया जाता है और लाख शिकायत करने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. लोगों को पीने के पानी के लिए भी तरसना पड़ा रहा है.

Intro:कुरुक्षेत्र जिले का पिहोवा खंड में मंडरा रहा भूमिगत जल का खतरा लगातार घट रहे जलस्तर को लेकर पिहोवा क्षेत्र डार्क जोन में।

ईटीवी भारत की टीम ने कुरुक्षेत्र के पिहोवा खंड में किसानों से की खास बातचीत चला कि यहां के किसानों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है किसानों का कहना है पानी की लगातार हो रही कमी से खेतों में पैदावार भी नहीं होती और भूमिगत जल से सिंचाई करने के लिए परमिशन लेना पड़ता है है और जब परमिशन मिलती है तब समय पर बिजली नहीं मिलती तो कई बार खेतों पर लगाई लागत भी उनके हाथ नहीं लगती

किसानों ने बताया कि प्रशासन व सरकार इसकी तरफ कोई खास ध्यान नहीं दे रही किसानों का कहना था कि सरकार नहर से पानी आये लगभग 20 वर्ष बीत गए खेतो के बीचों बीच बानी नहरों में बड़ी बड़ी घास उग गई है इसी से अंदाज़ लगाया जा सकती है नहर खेतो में पानी के देने के लिए बनाई गई नहर एक बरसाती पानी की ड्रेन बनकर रह गई है। पानी की कमी को देखते हुए सरकार धान की फसल उगाने के लिए नई विधि डीएसआर से किसानों को प्रेरित कर रही है वह विधि किसानों की माने तो एक घाटे का सौदा है इस विधि द्वारा खेतो में फसल की फैदावार कम होती है।
किसानों के बाद हमारी टीम ने पिहोवा क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या का हाल जाना और पहुंचे वार्ड नंबर 10 की एक कॉलोनी में जहां पिमे के पानी को लेकर हाहाकार मचा है यह के लोगो से बात की तो पता चला यह का टयूबवेल लगभग 3 महीने से बंद पड़ा है प्रशासन द्वारा टेंकरो से पानी लोगो तक पहुचाया जाता है है लाख शिकायत करने के बाद भी समस्या ज्यो की त्यों बांकी हुई है


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