कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में पहली पातशाही गुरुद्वारा से सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर नगर कीर्तन निकाला गया. इसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की फूलों से सजी पालकी थी. नगर कीर्तन की अगुवाई पंज प्यारों ने की. पंज प्यारों के आगे-आगे महिला श्रद्धालु सफाई कर रही थी.
जहां-जहां से नगर कीर्तन निकल रहा था. वहां-वहां लोग उनके ऊपर फूलों की वर्षा कर रहे थे. नगर कीर्तन में महाराज जी की पालकी को बहुत ही सुंदर ढंग से फूलों से सुशोभित किया गया, जिसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी विराजमान थे और हजारों श्रद्धालु गुरु के समक्ष शीश झुका रहे थे. नगर कीर्तन गुरुद्वारा पहली पातशाही से होकर शहर में घूमते हुए गुरुद्वारा साहिब ऑफिस पहुंचा.
क्यों खास है गुरुद्वारा पहली पातशाही?
कुरुक्षेत्र जिले के पहली पातशाही गुरुद्वारा में सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी सन् 1515 में पहुंचे थे. एसजीपीसी के मेंबर हरभजन सिंह ने बताया कि यहां नगर कीर्तन का बहुत ही बड़ा महत्व है क्योंकि सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव जी यहां पहुंचे थे और उन्हें उन्हीं की याद में पहली पातशाही गुरुद्वारा बनाया गया है. श्रद्धालुओं के लिए लोगों ने जगह-जगह पर लंगर और प्रसाद के भी बांटा गया.
बता दें कि गुरु नानक देव जी के 550 वें गुरु पर्व के मौके पर हरियाणा के कई हिस्सों में जात-पात और धर्म से ऊपर उठकर मानवाका का संदेश देने के लिए नगर कीर्तन का आयोजन किया जा रहा है.
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