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कुरुक्षेत्र: लॉकडाउन से मंदिरों पर लटका ताला, पुजारियों की आर्थिक हालत बिगड़ी

मंदिरों के पुजारियों ने सरकार से अपील की है कि जिस तरह हर जरूरतमंद तक राशन और खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. उसी प्रकार इन मंदिरों में रहने वाले पुजारियों के परिवारों तक भी कुछ आर्थिक मदद पहुंचाई जानी चाहिए.

पुजारियों की आर्थिक व्यवस्था पर लगा लॉक
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Published : Apr 28, 2020, 3:40 PM IST

Updated : Apr 28, 2020, 4:03 PM IST

कुरुक्षेत्र: कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में देश की आर्थिक व्यवस्था को बिगाड़ दिया है. वहीं, हरियाणा प्रदेश के सबसे बड़े तीर्थ स्थान कुरुक्षेत्र के मंदिरों में रहने वाले पुजारियों की आर्थिक स्थिति भी पूरी तरह बिगड़ चुकी है. बिना दान के मंदिरों के पुजारियों के परिवारों के लिए एक बड़ा संकट बन गया है.

धर्मनगरी में हैं हजारों मंदिर

कुरुक्षेत्र जिले के अंदर हजारों मंदिर हैं. यहां हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे और इन मंदिरों में दर्शन के लिए जाते थे और दान दक्षिणा किया करते थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी तीर्थ स्थानों पर रोक लगा दी गई है. ना तो अब यहां श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और ना ही मंदिरों में कोई चढ़ावा चल रहा है. जिसके चलते पंडितों के परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है.

लॉकडाउन से मंदिरों पर लटका ताला, पुजारियों की आर्थिक हालत बिगड़ी

मंदिर का चढ़ावा आजीविका का साधन

कुरुक्षेत्र जिले में लगभग 721 मठ और मंदिर हैं. इसके अलावा ब्रह्मसरोवर, सनहित सरोवर ओर पिहोवा के सरस्वती घाट पर कर्मकांड करने वाले सैकड़ों पुजारियों की आय कुरुक्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं से ही होती है. कुछ मंदिर ट्रस्ट या बड़े मठों द्वारा चलाए जा रहे हैं और इनमें रहने वाले पुजारियों की तनख्वाह भी निर्धारित है और छोटे मंदिरों के पुजारियों की आमदनी का सिर्फ एक मात्र साधन श्रद्धालुओं द्वारा दिया गया दान है.

सिर्फ आरती के लिए खोले जा रहे मंदिर

ईटीवी भारत से खास बातचीत में पुजारियों ने बताया कि मंदिर सिर्फ आरती करने के लिए ही खोले जाते हैं और एक मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए महीने में लगभग 8-10 हजार रुपये का खर्च आता है, जो वो अपनी जेब से ही खर्च कर रहे हैं. जिले में बहुत से मंदिर हैं और इनमें रहने वाले पुजारी भी काफी संख्या में हैं. जिनकी आजीविका मंदिर में चढ़ावे से चढ़ती है और ना यहां कोई श्रद्धालु आ रहा ना किसी प्रकार का कोई चढ़ावा चढ़ाया जा रहा है. जिसके चलते बहुत बुरे समय का सामना उन्हें करना पड़ रहा है.

सरकार से मदद की अपील

मंदिरों के पुजारियों ने सरकार से अपील करते हुए कहा है कि जिस तरह हर जरूरतमंद तक राशन और खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. उसी प्रकार इन मंदिरों में रहने वाले पुजारियों के परिवारों तक भी कुछ आर्थिक मदद पहुंचाई जानी चाहिए, ताकि उनके परिवार को भी खाना मिल सके.

पुजारियों ने बताया कि लॉकडाउन अभी तो काफी लंबे समय तक चलेगा जो उनके पास जमा राशि थी. वो सभी खर्च हो चुकी है और ना ही अभी कोई आमदनी है. जिससे उन्हें बहुत ही बुरे समय का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा की फुटवियर इंडस्ट्री पर लॉकडाउन की मार, 5000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

कुरुक्षेत्र: कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में देश की आर्थिक व्यवस्था को बिगाड़ दिया है. वहीं, हरियाणा प्रदेश के सबसे बड़े तीर्थ स्थान कुरुक्षेत्र के मंदिरों में रहने वाले पुजारियों की आर्थिक स्थिति भी पूरी तरह बिगड़ चुकी है. बिना दान के मंदिरों के पुजारियों के परिवारों के लिए एक बड़ा संकट बन गया है.

धर्मनगरी में हैं हजारों मंदिर

कुरुक्षेत्र जिले के अंदर हजारों मंदिर हैं. यहां हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे और इन मंदिरों में दर्शन के लिए जाते थे और दान दक्षिणा किया करते थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी तीर्थ स्थानों पर रोक लगा दी गई है. ना तो अब यहां श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और ना ही मंदिरों में कोई चढ़ावा चल रहा है. जिसके चलते पंडितों के परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है.

लॉकडाउन से मंदिरों पर लटका ताला, पुजारियों की आर्थिक हालत बिगड़ी

मंदिर का चढ़ावा आजीविका का साधन

कुरुक्षेत्र जिले में लगभग 721 मठ और मंदिर हैं. इसके अलावा ब्रह्मसरोवर, सनहित सरोवर ओर पिहोवा के सरस्वती घाट पर कर्मकांड करने वाले सैकड़ों पुजारियों की आय कुरुक्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं से ही होती है. कुछ मंदिर ट्रस्ट या बड़े मठों द्वारा चलाए जा रहे हैं और इनमें रहने वाले पुजारियों की तनख्वाह भी निर्धारित है और छोटे मंदिरों के पुजारियों की आमदनी का सिर्फ एक मात्र साधन श्रद्धालुओं द्वारा दिया गया दान है.

सिर्फ आरती के लिए खोले जा रहे मंदिर

ईटीवी भारत से खास बातचीत में पुजारियों ने बताया कि मंदिर सिर्फ आरती करने के लिए ही खोले जाते हैं और एक मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए महीने में लगभग 8-10 हजार रुपये का खर्च आता है, जो वो अपनी जेब से ही खर्च कर रहे हैं. जिले में बहुत से मंदिर हैं और इनमें रहने वाले पुजारी भी काफी संख्या में हैं. जिनकी आजीविका मंदिर में चढ़ावे से चढ़ती है और ना यहां कोई श्रद्धालु आ रहा ना किसी प्रकार का कोई चढ़ावा चढ़ाया जा रहा है. जिसके चलते बहुत बुरे समय का सामना उन्हें करना पड़ रहा है.

सरकार से मदद की अपील

मंदिरों के पुजारियों ने सरकार से अपील करते हुए कहा है कि जिस तरह हर जरूरतमंद तक राशन और खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. उसी प्रकार इन मंदिरों में रहने वाले पुजारियों के परिवारों तक भी कुछ आर्थिक मदद पहुंचाई जानी चाहिए, ताकि उनके परिवार को भी खाना मिल सके.

पुजारियों ने बताया कि लॉकडाउन अभी तो काफी लंबे समय तक चलेगा जो उनके पास जमा राशि थी. वो सभी खर्च हो चुकी है और ना ही अभी कोई आमदनी है. जिससे उन्हें बहुत ही बुरे समय का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा की फुटवियर इंडस्ट्री पर लॉकडाउन की मार, 5000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

Last Updated : Apr 28, 2020, 4:03 PM IST
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