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लॉकडाउन 2.0: साल 1970 के बाद स्वच्छ हुई कुरुक्षेत्र की हवा - लॉक डाउन में प्रदूषण घटा कुरुक्षेत्र

देश में लॉक डाउन के चलते आर्थिक स्थिति पर नुकसान हो रहा है, उद्योग धंधे बंद होने के कारण अर्थव्यवस्था दिन प्रतिदिन गिरती जा रही है. बहुत सी हानि इस लॉक डाउन के चलते हो रही है तो वहीं एक लाभ भी हो रहा, वह है पर्यावरण में प्रदूषण का गिरता स्तर.

kurukshetra in lockdown
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Published : Apr 19, 2020, 11:50 AM IST

कुरुक्षेत्र: पिछले 25 दिन से लगे लॉक डाउन के दौरान प्रदेश में प्रदूषण का स्तर नाम मात्र ही रह गया है. आधे प्रदेश में प्रदूषण का स्तर लॉक डाउन से पहले 100 से 230 माइक्रोग्राम तक बना था जो अब 100 से नीचे है. कुरुक्षेत्र जिले की बात करें तो 14 दिन पहले का प्रदूषण मात्र 30 माइक्रोग्राम था.

इसका मुख्य कारण कोरोना वायरस के चलते लगाया गया लॉ डाउन है. इस लॉक डाउन में अधिकतर कारखाने बंद है और सड़कों पर वाहन भी इक्का-दुक्का ही घूम रहे हैं जिनके कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता था. इन दिनों प्रदूषण से सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर कम है और 3 तारीख तक लगे इस लॉक डाउन में इसकी स्थिति और भी अच्छी हो जाएगी.

लॉक डाउन के चलते 1970 के बाद स्वच्छ हुई कुरुक्षेत्र की हवा

ये भी पढ़ें- गुरुग्राम: पति ने क्रिकेट बैट से पीट-पीटकर की पत्नी की हत्या

सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. शैली ने बताया कि ऐसा पर्यावरण हरियाणा में 1970 से 1980 के बीच में होता था. पर्यावरण स्वच्छ होने का मुख्य लाभ दमा के रोगियों को मिल रहा है. अस्पतालों में दमे के रोगियों की संख्या भी बहुत कम हो गई है और आसमान भी बिल्कुल साफ दिखाई देता है और पर्यावरण में प्रदूषण ना होने के कारण दूरदर्शिता भी अधिक हो गई है. बहुत से पक्षी की प्रजाति जो प्रदूषण के कारण लुप्त होने लगी थी अब वह दोबारा दिखाई देने लगे हैं.

बता दें कि कोरोना वायरस को लेकर लगाए लॉक डाउन से पूरे देश में कई जगह इसी तरह का असर देखने को मिला है. जहां गंगा, यमुना सहित कई नदियों का पानी साफ हो गया है तो वहीं प्रदूषण का स्तर भी गिर चुका है. विलुप्त होने की कगार पर पहुंची पक्षियों की प्रजातियां भी इस दौरान लोगों को देखने को मिली है.

ये भी पढ़ें- सिरसाः लॉकडाउन में फसल की कटाई के साथ खेत में पढ़ाई कर रहे छात्र

कुरुक्षेत्र: पिछले 25 दिन से लगे लॉक डाउन के दौरान प्रदेश में प्रदूषण का स्तर नाम मात्र ही रह गया है. आधे प्रदेश में प्रदूषण का स्तर लॉक डाउन से पहले 100 से 230 माइक्रोग्राम तक बना था जो अब 100 से नीचे है. कुरुक्षेत्र जिले की बात करें तो 14 दिन पहले का प्रदूषण मात्र 30 माइक्रोग्राम था.

इसका मुख्य कारण कोरोना वायरस के चलते लगाया गया लॉ डाउन है. इस लॉक डाउन में अधिकतर कारखाने बंद है और सड़कों पर वाहन भी इक्का-दुक्का ही घूम रहे हैं जिनके कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता था. इन दिनों प्रदूषण से सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर कम है और 3 तारीख तक लगे इस लॉक डाउन में इसकी स्थिति और भी अच्छी हो जाएगी.

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सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. शैली ने बताया कि ऐसा पर्यावरण हरियाणा में 1970 से 1980 के बीच में होता था. पर्यावरण स्वच्छ होने का मुख्य लाभ दमा के रोगियों को मिल रहा है. अस्पतालों में दमे के रोगियों की संख्या भी बहुत कम हो गई है और आसमान भी बिल्कुल साफ दिखाई देता है और पर्यावरण में प्रदूषण ना होने के कारण दूरदर्शिता भी अधिक हो गई है. बहुत से पक्षी की प्रजाति जो प्रदूषण के कारण लुप्त होने लगी थी अब वह दोबारा दिखाई देने लगे हैं.

बता दें कि कोरोना वायरस को लेकर लगाए लॉक डाउन से पूरे देश में कई जगह इसी तरह का असर देखने को मिला है. जहां गंगा, यमुना सहित कई नदियों का पानी साफ हो गया है तो वहीं प्रदूषण का स्तर भी गिर चुका है. विलुप्त होने की कगार पर पहुंची पक्षियों की प्रजातियां भी इस दौरान लोगों को देखने को मिली है.

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