कुरुक्षेत्र: प्रदेश में एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं. अब कुरुक्षेत्र में करोड़ों रुपये का जीएसटी घोटाला उजागर हुआ है. आरोप है कि शाहबाद की एक फर्म ने बोगस फर्म बनाकर फर्जी लेनदेन किया और जीएसटी का रिफंड लेकर लगभग 64 करोड़ रुपये डकार लिए. मामले में सेल्स टैक्स विभाग के अधिकारी एक दूसरे के पाले में गेंद फेंकते नजर आ रहे हैं. लॉकडाउन में कराधान विभाग अधिकारियों द्वारा शराब ठेकेदारों पर मेहरबानियां की स्याही अभी सूखी नहीं है कि विभाग के जुड़वा भाई आबकारी विभाग में करोड़ों रुपये का एक बड़ा जीएसटी घोटाला सामने आया है.
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
फ्राड़ पकड़ने की शुरुआत तब हुई जब सेल्स टैक्स विभाग की जांच टीम ने एक ट्रक पकड़ा. जिसके कागजात की जांच की गई तो E-WAY बिल फर्जी पाया गया. वहीं से मामले की कड़ियां जुड़ती चली गई और सामने आया हजारों लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपये के घोटाला. स्थानीय नागरिक राजेश सिंघल के मुताबिक चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से शाहबाद की एक फर्म ने फर्जी लेनदेन किया और जीएसटी का रिफंड लेकर लगभग 64 करोड़ रुपये डकार लिए.
कैसे किया 64 करोड़ का घोटाला?
सेल्स टैक्स विभाग के अधिकारी ताराचंद के शपथ पत्र के आधार पर सिंघल का आरोप है कि 1 जुलाई 2017 से 30 जून 2019 तक एक फर्म ने लगभग 700 करोड़ का लेनदेन किया. जिसमें 350 करोड़ का लेनदेन बोगस था. जांच के दौरान पता चला कि जिन फर्मों के द्वारा लेन देन किया गया था. वो फर्में धरातल पर नहीं थी. उनसे केवल कागजी लेनदेन किया गया. जिसके चलते आरोपी कंपनी चालक ने जीएसटी का रिफंड लेकर सरकार को 64 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया.
अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल
सिंघला का कहना है कि यदि और अधिक गहनता से जांच की जाए तो रिफंड का फर्जीवाड़ा दोगुना हो सकता है. राजेश सिंघल के मुताबिक जीएसटी कानून में प्रावधान है कि यदि 2 करोड़ से ऊपर का मामला हो तो तत्काल प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए, लेकिन जब विभाग के आला अधिकारी मेहरबान हो तो कुछ भी नहीं होता. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ.
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वहीं सेल्स टैक्स विभाग के आला अधिकारी भी मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण ज्यादा कुछ भी कहने से बचते नजर आए. विभाग के उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त पवन चौधरी ने कहा कि इस मामले की इंस्पेक्शन हुई थी. फिलहाल संबंधित वार्ड अधिकारी इस मामले को देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी नियम के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.