करनाल: कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है, सरकार स्कूल खोलने से बच रही है, लेकिन स्कूल वाले हैं कि मानते ही नहीं. उन्हें बच्चों की ज़िंदगी की कोई परवाह ही नहीं है. ये सब हम इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि करनाल के कलामपुरा गांव में सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. यहां बच्चों की जिंदगी को जोखिम में डाला जा रहा है.
करनाल के कलामपुरा गांव में बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में बुलाया जा रहा है, स्कूल में क्लास लग रही है. जब ईटीवी भारत की टीम स्कूल में पहुंची तो पाया कि ना तो स्कूल की प्रिंसिपल के मुंह पर मास्क था और ना ही बच्चों के मुंह पर. जब इस बारे में स्कूल की प्रिंसिपल से पूछा गया कि बच्चों को स्कूल में क्यों बुलाया जा रहा है तो उनका कहना था कि स्कालरशिप से जुड़ा हुआ कुछ काम था इसलिए बच्चों को बुलाया है. हालांकि जब उनसे कहा गया कि बच्चे तो क्लास में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं तो इस सवाल का प्रिसिंपल मैडम कोई जवाब नहीं दे पाई.
ये भी पढ़ें- एक घोटाले की जांच होती है शुरू तो दूसरा घोटाला आ जाता है सामने: हुड्डा
एक तरफ कोरोना के चलते स्कूल बंद हैं, लेकिन करनाल के कलामपुरा में बच्चों को ऐसे में मुश्किल समय मे स्कूल में बुलाकर और आफत खड़ी की जा रही है. वहीं स्कूल के अध्यापक का भी अपना ही तर्क है कि बच्चे अपनी क्लास की बुक इशु करवाने के लिए आ रहे हैं. जबकि लाइब्रेरी की मैडम का कहना है कि कोई भी बच्चा किताब लेने नहीं आया. अब प्रिंसिपल मैडम बच्चों को बुला लेती हैं तो हम उन्हें क्या कहें.
गुरु की जिम्मेदारी होती है कि बच्चों की जान को मुश्किल में डाल कर कोई भी कदम ना उठाया जाए पर यहां तो स्कूल प्रंबंधन को ना कोरोना का डर है, ना ही किसी कार्रवाई का अब देखना ये होगा कि जिला शिक्षा विभाग ऐसे स्कूलों के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है, जो सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे.
ये भी पढ़ें- दादी जी को याद कर भावुक हुए डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला