करनाल: गत वर्ष हरियाणा सरकार ने प्रदेश के 137 राजकीय विद्यालयों को संस्कृति मॉडल स्कूल का दर्जा देकर सीबीएसई से संबद्ध किया था. सरकार का दावा था कि इन विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई के साथ-साथ वे सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी जो प्राइवेट स्कूलों में मोटी फीस देकर ही प्राप्त होती हैं. इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के उन गरीब और मेधावी बच्चों को फायदा होगा जो प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस नहीं भर सकते हैं, लेकिन करनाल गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल निसिंग (Karnal Model Sanskriti School) में शिक्षकों को शिक्षकों और सुविधाओं की कमी (lack of facilities in model school)से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में छात्र और अभिभावक अपनी फरियाद लेकर डीसी के दफ्तर पहुंच गए हैं.
स्कूलों में शिक्षकों की कमी- लगभग पूरा शैक्षिक सत्र बीतने को है. परीक्षाएं नजदीक हैं. कोविड के चलते स्कूल पूरी क्षमता के साथ नहीं चले. ऑनलाइन कक्षाएं ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए सिरदर्द साबित हो रही हैं. अब जब स्कूल पूरी क्षमता के साथ खुले हैं तो सरकार ने मॉडल स्कूलों में अध्यापकों को दूसरे विद्यालयों में भेज दिया. जिन स्कूलों में शिक्षकों को हटाया गया है, वहां नई नियुक्ति अब तक नहीं की गई है.
स्टूडेंट कैसे करें तैयारी- एग्जाम की तैयारी में जुटे विद्यार्थियों को जोरदार झटका लगा है. उनको समझ में नहीं आ रहा है कि वह अब परीक्षाओं की तैयारी कैसे करें. सबसे ज्यादा परेशानी तो साइंस एवं कॉमर्स के स्टूडेंट की है, जिन्हें बोर्ड परीक्षा के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करनी है. सत्र के बीच में नए अध्यापक की नियुक्ति असंभव है, क्योंकि शिक्षकों की नई भर्ती के लिए अभी तक तो सरकार द्वारा कोई नोटिफिकेशन भी जारी नहीं किया गया है.
स्कूलों में सुविधाओं की कमी- शिक्षकों की कमी के साथ-साथ यह सरकारी मॉडल स्कूल अनेक परेशानियों से जूझ रहे हैं. सरकार इन विद्यालयों में दाखिले की संख्या में इजाफे को लेकर भले ही अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन जमीनी सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है. यह है कि इन विद्यालयों में विद्यार्थियों के बैठने के लिए कमरों की व्यवस्था नहीं की गई है. स्मार्ट क्लासरूम तो अभी इन विद्यालयों के लिए सपना ही है. जहां स्मार्ट बोर्ड लगाए भी गए हैं, वहां उनकी संख्या विद्यार्थियों की तुलना में बहुत कम है. इसके अतिरिक्त विद्यालयों में कंप्यूटर उपलब्ध नहीं है, या खराब पड़े हैं.
करनाल गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल निसिंग की कुछ खास बातें- विद्यालय में कक्षा नौवीं से बारहवीं तक 700 विद्यार्थी हैं, जिनमें से लगभग 400 विद्यार्थी विज्ञान विषय पड़ते हैं. विद्यालय में फिजिक्स अध्यापक का एक पद पहले से रिक्त है, अब केमिस्ट्री और बायोलॉजी के अध्यापक का पद भी रिक्त हो गया है. नौवीं से बारहवीं तक विज्ञान सब्जेक्ट पढ़ाने के लिए केवल एक फिजिक्स लेक्चरर हैं. 11वीं और 12वीं में 133 बच्चे केमिस्ट्री और 55 विद्यार्थी बायोलॉजी पढ़ रहे हैं. विद्यालय में 24 लड़कियां और 71 लड़के विज्ञान की शिक्षा ग्रहण करने के लिए लगभग 13 गांव से इस विद्यालय में आते हैं. सिरसल, बदनारा, चौचड़ा, उपलानी, बस्तली, अमूपुर, गुनियाना जैसे दूरवर्ती गांव के अलावा सिंगड़ा, ब्रास गुलरपुर, हथलान आदि गांव के भी बच्चे यहां विज्ञान विषय पढ़ने आते हैं.
मॉडल स्कूल से अभिभावकों हो रहा मोह भंग- संस्कृति मॉडल स्कूल द्वारा प्राइवेट विद्यालयों के समान शिक्षा और सुविधा उपलब्ध करवाया जाना उन विद्यार्थियों और अभिभावकों के साथ मजाक साबित हो रहा है. जिन अभिभावकों ने अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए इन मॉडल संस्कृति विद्यालय में एडमिशन एडमिशन कराया था. अब उनका मोह भंग हो रहा है. अभिभावकों का कहना है कि अपने बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूलों में कराने का मन बना रहे हैं. वहीं, इन तमाम समस्याओं को लेकर जब डीसी करनाल अनीष यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे खुद स्कूल का निरीक्षण करने जाएंगे. मौके पर जरूरी एक्शन लिया जाएगा. जरूरत पड़ी तो उच्चाधिकारियों से भी बात की जाएगी.
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