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क्या हार के डर से करनाल में जिला परिषद चुनाव सिंबल पर नहीं लड़ रही है बीजेपी? नगर निकाय चुनाव में भी मिली थी करारी शिकस्त

हरियाणा में नगर निकाय चुनाव अपने सिंबल पर लड़ने वाली बीजेपी पंचायत चुनाव पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नहीं लड़ रही है. बीजेपी ने इसका फैसला जिला कमेटी पर छोड़ दिया. इसके बाद अभी तक केवल 3 जिलों में पार्टी ने अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ने का फैसला किया है. सीएम सिटी करनाल जिला परिषद चुनाव भी पार्टी अपने सिंबल पर नहीं लड़ रही. इसलिए अब सवाल उठने लगे हैं कि नगर निकाय चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने वाली बीजेपी आखिर हरियाणा में जिला परिषद चुनाव (Karnal District Council Election) अपने सिंबल पर क्यों नहीं लड़ रही है. क्या बीजेपी को हार का डर सता रहा है.

करनाल में जिला परिषद चुनाव
करनाल में जिला परिषद चुनाव
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Published : Oct 18, 2022, 5:34 PM IST

करनाल: हरियाणा में सरपंच चुनाव से पहले जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव होने हैं. कई जिलों में बीजेपी पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ रही है लेकिन बीजेपी सीएम मनोहर लाल के गृह जिले करनाल में जिला परिषद चुनाव (Karnal District Council Elections) सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ेगी. भाजपा ने प्रत्येक जिले में पंचायती चुनाव पार्टी के सिंबल पर लड़ने के लिए जिला कमेटी के ऊपर फैसला छोड़ दिया था. ताकि स्थानीय नेता अपने जिले के बारे में जानकारी दे सकें और बता सकें कि उनको कहां पर पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ना चाहिए.

तीन जिलों में सिंबल पर लड़ रही बीजेपी- अभी तक हरियाणा में पंचायत समिति के चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ तीन जिले पंचकूला, यमुनानगर और नूंह में चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने की बात कही है. हरियाणा में केवल आम आदमी पार्टी है जो अपने सिंबल पर जिला परिषद का चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने भी पंचायत चुनाव सिंबल पर नहीं लड़ने का फैसला किया है. करनाल में जिला परिषद के 25 वार्डों में कांटे की टक्कर मानी जा रही है. करनाल में 9 नवंबर को जिला परिषद के लिए मतदान होना है. इससे पहले नामांकन की प्रक्रिया होगी और नामांकन पत्रों की जांच होगी. हालांकि जो पार्टी चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ रही वो किसी उम्मीदवार को समर्थन जरुर करेगी. सभी संभावित उम्मीदवार जोरशोर से चुनाव में ताल ठोंक रहे हैं.

नगर निकाय चुनाव में मिली थी हार- बड़ी बात यह है कि सीएम सिटी करनाल में भाजपा पार्टी चुनाव चिन्ह पर पंचायती चुनाव नहीं लड़ रही. इसका मुख्य कारण माना जा रहा है कि इसी वर्ष जून महीने में हुए निकाय चुनाव में बीजेपी को करनाल में करारी हार मिली थी. शायद यही वजह है कि सीएम सिटी करनाल में बीजेपी चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ रही. सीएम के गृह जिले करनाल में हुए निकाय चुनाव में बीजेपी को 4 में से सिर्फ एक चेयरमैन उम्मीदवार जीता था.

करनाल में जिला परिषद चुनाव
चौपाल में बैठे ग्रामीण.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में निर्विरोध पंचायत चुनने पर सरकार दे रही विकास की इनामी राश, जानिए कितने लाख रुपये मिल रहे हैं.

भाजपा जून 2022 में हुए निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री के गृह जिले में चेयरमैन की 4 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर ही जीत हासिल कर पाई थी. जो सीएम सिटी करनाल में बीजेपी की बहुत बड़ी हार थी. शुरू से ही कहा जा रहा है कि बीजेपी का वोट बैंक शहरी क्षेत्र में ज्यादा होता है लेकिन उसके बावजूद भी शहरी क्षेत्र में बीजेपी को करारी हार मिली थी. बड़ी बात ये रही कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के गृह जिले में चार नगर पालिकाओं में से बीजेपी का एक ही चेयरमैन उम्मीदवार जीता वो भी 31 वोटों के मामूली अंतर से.

घरौंडा नगर पालिका में बीजेपी चेयरमैन उम्मीदवार हैप्पी गुप्ता को 5108 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार रहे थे जिन्हें 5077 वोट मिले थे. करनाल में चार में से यही एक नगर पालिका है जिसमें बीजेपी को जीत मिली थी. बीजेपी चेयरमैन उम्मीदवार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार से मजह 31 वोटों मामूली अंतर से जीता था. यह नगर पालिका बीजेपी के दूसरी बार विधायक बने हरविंदर कल्याण के क्षेत्र मे आती है.

असंध नगर पालिका में बीजेपी चेयरमैन पद के उम्मीदवार कमलजीत सिंह लाडी को कुल 3855 वोट मिले थे. यहां विजयी रहे निर्दलीय उम्मीदवार सतीश कटारिया को 4408 वोट मिले. निर्दलीय उम्मीदवार सतीश ने 553 वोटों से जीत दर्ज की थी. बता दें कि सतीश कटारिया कांग्रेस नेता जिले राम शर्मा के समर्थित उम्मीदवार थे. निसिंग नगर पालिका चुनाव में आजाद उम्मीदवार रोमी सिंगला चेयरमैन बने थे. यहां पर बीजेपी ने अपना उमीदवार नहीं उतारा था. इसके अलावा तरावड़ी नगर पालिका से चेयरमैन पद के लिए वीरेंद्र कुमार उर्फ बिल्ला आजाद 538 वोटों से विजय हुए थे. वीरेंद्र उर्फ बिल्ला को 7059 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी चेयरमैन पद उम्मीदवार राजीव नारंग को 6521 वोट मिले थे.

करनाल में जिला परिषद चुनाव
करनाल के किसान सरकार से नाराज बताये जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में दो चरण में होंगे पंचायत चुनाव, ये है पहले चरण में 10 जिलों की वोटिंग का शेड्यूल

किसान अभी तक नाराज- ईटीवी भारत ने ग्रामीण क्षेत्र के लोगों से बात की और ये जानने की कोशिश की कि आखिर क्या वजह है कि भारतीय जनता पार्टी पंचायत समिति के चुनाव पार्टी के सिंबल पर नहीं लड़ना चाह रही है. करनाल के स्थानीय निवासी गजे सिंह ने कहा कि किसान 1 साल से ज्यादा किसान आंदोलन के चलते सड़कों पर बैठे रहे. जिसमें पूरे भारत में किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई थी. जो किसानों की बात सरकार ने मानी थी उनको अभी तक लागू नहीं किया गया. उनका मानना है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री ने किसानों की बात मानी लेकिन उनको अभी तक लागू नहीं किया. इसी से किसानों में अभी तक रोष है. इस रोष को देखते हुए ही भाजपा ने पार्टी के सिंबल पर पंचायत समिति के चुनाव लड़ने से पीछे हट गई.

अग्निवीर योजना के चलते युवाओं में है भारी रोष- भारत सरकार ने कुछ समय पहले ही आर्मी की भर्ती के लिए अग्निवीर योजना लागू की थी, जिसमें 4 साल नौकरी करने के बाद 25 फीसदी सैनिक परमानेंट नौकरी पर रहेंगे बाकी 75 फीसदी युवाओं को नौकरी से निकाल दिया जाएगा. जिसका ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं पर गहरा प्रभाव पड़ा है और वह बीजेपी से खफा चल रहे हैं.

हरियाणा बेरोजगारी में नंबर वन- सीएम सिटी करनाल के युवा सुनील व अंकित ने कहा कि करनाल मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र है उसके बावजूद यहां भारतीय जनता पार्टी युवाओं को रोजगार नहीं दिला पा रही. जिसके चलते युवाओं में भारी रोष है. इसको देखते हुए भी भारतीय जनता पार्टी ने पंचायत समिति के चुनाव पार्टी के सिंबल पर लड़ने से मना किया है ताकि उनको मुंह की ना खानी पड़े.

करनाल में जिला परिषद चुनाव
करनाल के युवा बीजेपी से नाराज.

इस मामले को लेकर करनाल के बीजेपी सांसद संजय भाटिया ने कहा भाजपा में संगठन के स्तर पर सिंबल पर ये चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था. पंचायत चुनावों को भाईचारे का चुनाव माना जाता है. ऐसे में भाजपा इसमें 'पार्टी' बनने के हक में नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी एक वार्ड से जिला परिषद में कहीं-कहीं उम्मीदवार खड़े हैं. ऐसे में हम नहीं चाहते कि कोई भी हमारी पार्टी से निराश हो. अगर पार्टी चुनाव लड़ती है तो किसी एक उम्मीदवार का साथ देना होगा. हालांकि नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका के चुनाव भाजपा शुरू से ही अपने चुनाव चिह्न पर लड़ती आई है.

ये भी पढ़ें- क्या हरियाणा में तीन साल होगा पंचायतों का कार्यकाल, जानिए सोशल मीडिया वायरल इस खबर की सच्चाई

करनाल: हरियाणा में सरपंच चुनाव से पहले जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव होने हैं. कई जिलों में बीजेपी पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ रही है लेकिन बीजेपी सीएम मनोहर लाल के गृह जिले करनाल में जिला परिषद चुनाव (Karnal District Council Elections) सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ेगी. भाजपा ने प्रत्येक जिले में पंचायती चुनाव पार्टी के सिंबल पर लड़ने के लिए जिला कमेटी के ऊपर फैसला छोड़ दिया था. ताकि स्थानीय नेता अपने जिले के बारे में जानकारी दे सकें और बता सकें कि उनको कहां पर पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ना चाहिए.

तीन जिलों में सिंबल पर लड़ रही बीजेपी- अभी तक हरियाणा में पंचायत समिति के चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ तीन जिले पंचकूला, यमुनानगर और नूंह में चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने की बात कही है. हरियाणा में केवल आम आदमी पार्टी है जो अपने सिंबल पर जिला परिषद का चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने भी पंचायत चुनाव सिंबल पर नहीं लड़ने का फैसला किया है. करनाल में जिला परिषद के 25 वार्डों में कांटे की टक्कर मानी जा रही है. करनाल में 9 नवंबर को जिला परिषद के लिए मतदान होना है. इससे पहले नामांकन की प्रक्रिया होगी और नामांकन पत्रों की जांच होगी. हालांकि जो पार्टी चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ रही वो किसी उम्मीदवार को समर्थन जरुर करेगी. सभी संभावित उम्मीदवार जोरशोर से चुनाव में ताल ठोंक रहे हैं.

नगर निकाय चुनाव में मिली थी हार- बड़ी बात यह है कि सीएम सिटी करनाल में भाजपा पार्टी चुनाव चिन्ह पर पंचायती चुनाव नहीं लड़ रही. इसका मुख्य कारण माना जा रहा है कि इसी वर्ष जून महीने में हुए निकाय चुनाव में बीजेपी को करनाल में करारी हार मिली थी. शायद यही वजह है कि सीएम सिटी करनाल में बीजेपी चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ रही. सीएम के गृह जिले करनाल में हुए निकाय चुनाव में बीजेपी को 4 में से सिर्फ एक चेयरमैन उम्मीदवार जीता था.

करनाल में जिला परिषद चुनाव
चौपाल में बैठे ग्रामीण.

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भाजपा जून 2022 में हुए निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री के गृह जिले में चेयरमैन की 4 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर ही जीत हासिल कर पाई थी. जो सीएम सिटी करनाल में बीजेपी की बहुत बड़ी हार थी. शुरू से ही कहा जा रहा है कि बीजेपी का वोट बैंक शहरी क्षेत्र में ज्यादा होता है लेकिन उसके बावजूद भी शहरी क्षेत्र में बीजेपी को करारी हार मिली थी. बड़ी बात ये रही कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के गृह जिले में चार नगर पालिकाओं में से बीजेपी का एक ही चेयरमैन उम्मीदवार जीता वो भी 31 वोटों के मामूली अंतर से.

घरौंडा नगर पालिका में बीजेपी चेयरमैन उम्मीदवार हैप्पी गुप्ता को 5108 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार रहे थे जिन्हें 5077 वोट मिले थे. करनाल में चार में से यही एक नगर पालिका है जिसमें बीजेपी को जीत मिली थी. बीजेपी चेयरमैन उम्मीदवार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार से मजह 31 वोटों मामूली अंतर से जीता था. यह नगर पालिका बीजेपी के दूसरी बार विधायक बने हरविंदर कल्याण के क्षेत्र मे आती है.

असंध नगर पालिका में बीजेपी चेयरमैन पद के उम्मीदवार कमलजीत सिंह लाडी को कुल 3855 वोट मिले थे. यहां विजयी रहे निर्दलीय उम्मीदवार सतीश कटारिया को 4408 वोट मिले. निर्दलीय उम्मीदवार सतीश ने 553 वोटों से जीत दर्ज की थी. बता दें कि सतीश कटारिया कांग्रेस नेता जिले राम शर्मा के समर्थित उम्मीदवार थे. निसिंग नगर पालिका चुनाव में आजाद उम्मीदवार रोमी सिंगला चेयरमैन बने थे. यहां पर बीजेपी ने अपना उमीदवार नहीं उतारा था. इसके अलावा तरावड़ी नगर पालिका से चेयरमैन पद के लिए वीरेंद्र कुमार उर्फ बिल्ला आजाद 538 वोटों से विजय हुए थे. वीरेंद्र उर्फ बिल्ला को 7059 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी चेयरमैन पद उम्मीदवार राजीव नारंग को 6521 वोट मिले थे.

करनाल में जिला परिषद चुनाव
करनाल के किसान सरकार से नाराज बताये जा रहे हैं.

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किसान अभी तक नाराज- ईटीवी भारत ने ग्रामीण क्षेत्र के लोगों से बात की और ये जानने की कोशिश की कि आखिर क्या वजह है कि भारतीय जनता पार्टी पंचायत समिति के चुनाव पार्टी के सिंबल पर नहीं लड़ना चाह रही है. करनाल के स्थानीय निवासी गजे सिंह ने कहा कि किसान 1 साल से ज्यादा किसान आंदोलन के चलते सड़कों पर बैठे रहे. जिसमें पूरे भारत में किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई थी. जो किसानों की बात सरकार ने मानी थी उनको अभी तक लागू नहीं किया गया. उनका मानना है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री ने किसानों की बात मानी लेकिन उनको अभी तक लागू नहीं किया. इसी से किसानों में अभी तक रोष है. इस रोष को देखते हुए ही भाजपा ने पार्टी के सिंबल पर पंचायत समिति के चुनाव लड़ने से पीछे हट गई.

अग्निवीर योजना के चलते युवाओं में है भारी रोष- भारत सरकार ने कुछ समय पहले ही आर्मी की भर्ती के लिए अग्निवीर योजना लागू की थी, जिसमें 4 साल नौकरी करने के बाद 25 फीसदी सैनिक परमानेंट नौकरी पर रहेंगे बाकी 75 फीसदी युवाओं को नौकरी से निकाल दिया जाएगा. जिसका ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं पर गहरा प्रभाव पड़ा है और वह बीजेपी से खफा चल रहे हैं.

हरियाणा बेरोजगारी में नंबर वन- सीएम सिटी करनाल के युवा सुनील व अंकित ने कहा कि करनाल मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र है उसके बावजूद यहां भारतीय जनता पार्टी युवाओं को रोजगार नहीं दिला पा रही. जिसके चलते युवाओं में भारी रोष है. इसको देखते हुए भी भारतीय जनता पार्टी ने पंचायत समिति के चुनाव पार्टी के सिंबल पर लड़ने से मना किया है ताकि उनको मुंह की ना खानी पड़े.

करनाल में जिला परिषद चुनाव
करनाल के युवा बीजेपी से नाराज.

इस मामले को लेकर करनाल के बीजेपी सांसद संजय भाटिया ने कहा भाजपा में संगठन के स्तर पर सिंबल पर ये चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था. पंचायत चुनावों को भाईचारे का चुनाव माना जाता है. ऐसे में भाजपा इसमें 'पार्टी' बनने के हक में नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी एक वार्ड से जिला परिषद में कहीं-कहीं उम्मीदवार खड़े हैं. ऐसे में हम नहीं चाहते कि कोई भी हमारी पार्टी से निराश हो. अगर पार्टी चुनाव लड़ती है तो किसी एक उम्मीदवार का साथ देना होगा. हालांकि नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका के चुनाव भाजपा शुरू से ही अपने चुनाव चिह्न पर लड़ती आई है.

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