करनाल : जिले के कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में 8 माह की कोरोना संक्रमित गर्भवती ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने आरोप लगाए कि इलाज में लापरवाही से उसकी जान गई है.
सोनीपत निवासी बलजीत ने बताया कि 8 माह की गर्भवती को लेकर वह 12 घंटे तक घूमता रहा. लेकिन उसकी पत्नी की जान नहीं बच सकी. पहले पत्नी मनीषा को लेकर दिल्ली में धक्के खाए और फिर जब करनाल आए तो यहां मेडिकल कॉलेज व सिविल अस्पताल के स्टाफ ने चक्कर पर चक्कर कटवाए.
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सोनीपत निवासी बलजीत ने बताया कि वह पत्नी मनीषा को सुबह 5 बजे वह सिविल अस्पताल करनाल में लेकर पहुंचे. करीब 2 घंटे तक उनके मरीज को इलाज नहीं मिल पाया. मेडिकल कॉलेज के स्टाफ ने कहा कि मरीज को सांस लेने में दिक्कत है. कोरोना पॉजिटिव होने का शक है. इसलिए गर्भवती महिला को मेडिकल कॉलेज लेकर जाओ. वहां पहुंचे तो जवाब मिला कि जच्चा-बच्चा का इलाज तो सिविल अस्पताल में ही होता है. इसके बाद फिर सिविल अस्पताल गए.
यहां से डॉक्टरों ने वापस मेडिकल कॉलेज भेज दिया. करीब डेढ़ घंटा इसी में बीत गया. फिर 2 घंटे बाद महिला डॉक्टर आई. इसके बाद गर्भवती महिला ने दम तोड़ दिया. मृतका अपने पीछे 2 बच्चे छोड़ गई. एक की उम्र 4 साल और दूसरा 8 साल का है.
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किसानों ने दिखाई दरियादिली
दिल्ली के अस्पतालों में गर्भवती पत्नी को एडमिट नहीं किया गया तो निराश पति उसे सिंघु बॉर्डर पर ले गए. वहां बैठे किसानों से ऑक्सीजन की गुहार लगाई. मृतका के पति ने बताया कि किसानों ने उसके लिए ऑक्सीजन का प्रबंध किया. दरियादिली दिखाते हुए उसे एम्बुलेंस भी करके दी. किसानों ने 2 से 3 डॉक्टरों को फोन भी किए.
मुझे पत्नी का शव दिला दो: बलजीत
बलजीत ने कहा कि दिल्ली में उसकी पत्नी को टेस्ट के बाद नॉन-कोविड बताया गया. करनाल के डॉक्टरों का कहना है कि वह कोरोना पॉजिटिव थी. बिलखते हुए पति ने गुहार लगाई कि उसे उसकी पत्नी का शव दिला दो. कम से कम वह उसका अंतिम संस्कार तो कर लेगा. गर्भवती के साथ आई अन्य महिला ने कहा कि ऑक्सीजन की वजह से उनकी मरीज को दिक्कत आई. समय पर ऑक्सीजन मिल जाती तो मनीषा की जान बच सकती थी.