करनाल: भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों के साथ प्रदेश स्तरीय बैठक का आयोजन किया. यह बैठक पिहोवा के गुरुद्वारा बाऊली साहिब में सम्पन्न हुई. इस बठक की अध्यक्षता भाकियू राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने की. मीटिंग में देह शामलात और जुमला मालिकान भूमि (Deh Shamlat and Jumla land) किसानों से छीनने के आदेश वापस कराने को लेकर रणनीति बनाई गई. मीटिंग में सर्व सहमति से फैसला लिया गया कि 25 और 26 अगस्त को 2 दिन के लिए हरियाणा सरकार के मंत्रियो के घरों के बाहर किसान महापंचायत के रूप मे धरना दिया जाएगा. इस धरने की सारी व्यवस्था व खाने पीने का सारा इंतजाम मंत्रियो का होगा, इंतजाम ना होने पर किसान सत्याग्रह व भूख हड़ताल करेंगे.
BJP सरकार का करेंगे पुतला दहन: देह शामलात और जुमला मालिकान भूमि किसानों से छीनने के आदेश वापस लेकर किसानों को जमीनों का मालिकाना हक देने की मांग को लेकर भाकियू ने 16 अगस्त को प्रदेश के तमाम विधायकों को ज्ञापन सौंपा था और उनसे मांग की थी कि सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर हरियाणा विलेज कॉमन लैंड रेगूलेशन एक्ट (Haryana Village Common Land Regulation Act) में संशोधन करे और उस जमीन के हिस्सेदार किसानों को उसका मालिकाना हक दे.
ज्ञापन सौंपते हुए किसानों ने विधायकों को 25 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया था कि सरकार 25 अगस्त तक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर उनकी मांग को पूरा करे अन्यथा किसान सरकार के मंत्रियों के घरों के बाहर डेरा डालेंगे और पंचायत करेंगे. अगर इन दो दिनों की पंचायत के दौरान भी सरकार किसानों की मांग को अनसुना करती है तो 26 को भाजपा सरकार का पुतला दहन किया जायेगा और 1 सितंबर को फिर प्रदेश स्तरीय मीटिंग बुलाई जाएगी और कोई बड़ा फैसला उस मीटिंग में लिया जाएगा.
दरअसल शामलात देह और जुमला मुश्तरका मालकान भूमि (Jumla Mushtarka Malkan Bhoomi) पंजाब विलेज काॅमन लैंड रेगुलेशन अधिनियम 1961 (punjab village common Land act) के तहत काश्तकारों और काब्जिों के नाम हो चुकी थी. माल रिकॉर्ड के अनुसार किसान इनके मालिक हैं और वो इनको बेच, खरीद और रेहन कर सकते हैं. इन जमीनों पर मकान, दुकान, फैक्टरी भी बनी हुई हैं. साल 1992 में तत्कालीन सरकार ने विलेज काॅमन लैंड रेगुलेशन अधिनियम 1961 में संशोधन कर जुमला मुस्तरका मालकान जमीनों को पंचायती जमीन करार दे दिया था.
सरकार के इस फैसले के विरोध में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में किसानों ने याचिका डाली थी. हाईकोर्ट ने फैसला किसानो के पक्ष में दिया था. लेकिन 7 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने फिर से शामलात देह और जुमला मुस्तरका मालकान भूमि वापस पंचायतों और नगरपालिकाओं को करने के आदेश दिए हैं. हरियाणा सरकार के वित्त आयुक्त ने इस फैसले को लागू करवाने के लिए 21 जून 2022 को सभी जिला उपायुक्तों को लेटर जारी कर दिया था
क्या है शामलात देह जमीन- शामलात देह जमीन (what is shamlat deh land) वो होती है जिसे आजादी से पहले से खेती या अन्य किसी कार्य में कोई प्रयोग करता आ रहा है. आजादी के बाद ये जमीन काश्तकारों और काबिज लोगों के नाम कर दी गई थी. दशकों से इन जमीनों पर उन्हीं का कब्जा है और जमीनें अब उनके नाम हैं.
जुमला मुश्तरका मालकान भूमि- ये वो जमीनें हैं जिन्हें गांव के लोगों ने सामाजिक कार्यो जैसे गौशाला, तालाब व अन्य किसी काम के लिए लिया था. इनमें से जो जमीन प्रयोग के बाद बची वो उन्हीं काश्तकारों और काब्जिों के नाम हैं जिन्होंने दी थी. इन्हें जमीनों को जुमला मुस्तरका मालकान भूमि कहा जाता है. इन जमीनों को भी सुप्रीम कोर्ट ने पंचायतों और नगरपालिकाओं के नाम करने के आदेश दिए हैं.
क्या कहता है पंजाब विलेज कॉमन लैंड एक्ट: सन 1992 में सरकार ने पंजाब विलेज कॉमन लैंड (रेगुलेशन) एक्ट 1961 में संशोधन कर जुमला-मुस्तरका मालकान जमीनो को पंचायती जमीन करार दे दिया था. जिसे पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय (चंडीगढ़) में किसानों द्वारा चुनौती दी गई थी और उच्च न्यायालय ने फैसला किसानों के पक्ष में दिया था. फैसले में कहा गया था कि जुमला-मुस्तरका मालकान जमीन हिस्सेदार किसानो की मलकियत है और इसे उनके हिस्सेदारों में तकसीम कर दिया जाए. लेकिन इसके बाद भी सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की और और अब सरकार ने आजादी के बाद हुए पहले रेवेन्यू सेटलमेंट के अनुसार सभी मुस्तरका-मालकान व शामलात-देह की सभी तरह की जमीनो को पंचायत-देह में तबदील करने का आदेश जारी कर दिया है जोकि न्याय संगत नहीं है.