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मक्का की खेती किसानों को बनाएगी करोड़पति ! जानिये कैसे

जिले में अब किसानों के लिए मक्का की खेती भी फायदेमंद साबित होगी. इससे किसानों को डबल मेहनत करने की जरूरत भी नहीं होगी.

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Published : May 21, 2019, 2:58 PM IST

मक्का की खेती

करनाल: जिले में किसानों के लिए अच्छी खबर है. अब किसानों के लिए मक्का की खेती भी धान के बराबर फायदेमंद साबित होगी. पहला फायदा तो यह होगा कि पानी की बचत होगी, दूसरे किसान का खर्च और मेहनत दोनों कम हो जाएगी. किसानों को धान-गेहूं के फसल चक्र से बाहर निकालने के लिए यह योजना बनाई जा रही है. इसके पीछे मकसद भू-जल की हो रही बर्बादी को रोकना है. धान की 85 फीसद खेती भू-जल पर निर्भर है.

लगातार गिर रहे भू-जलस्तर के चलते करनाल को पहले से ही डार्क जोन घोषित किया गया है. यह स्थिति अन्य जिलों में विकराल न हो, इसके लिए किसान एवं कल्याण विभाग ने मक्का को एमएसपी पर खरीदने का फैसला किया है. जिसे जल्द ही मूर्त रूप दिया जाएगा.

क्लिक कर देखें कैसे किसान की बढ़ेगी आय

धान से कम आमदनी हुई तो सरकार करेगी भरपाई
मक्का को एमएसपी पर खरीदे जाने के बाद भी यदि धान से मक्का की आमदनी कम रह जाती है, तो भावांतर योजना के तहत सरकार उसकी भरपाई करेगी. सरकार का मानना है कि किसान मक्का की फसल की बुआई इसलिए नहीं करते, क्योंकि मार्केट नहीं है. यदि बुआई कर भी ली तो उसको औने-पौने दामों पर बेचना पड़ता है. अब सरसों की तर्ज पर प्रदेश की कुछ मंडियों को चिह्नित किया जाएगा. जहां मक्का को एमएसपी पर खरीदा जाएगा.

क्लिक कर देखें कैसे मक्का की खेती किसानों को पहुंचाएगी फायदा

अवशेष जलाने की नहीं आएगी नौबत
इतना ही नहीं धान के बजाय मक्का की खेती करने से पानी बचने के अलावा पर्यावरण और स्वास्थ्य की दिशा में भी सुधार होगा और अवशेषों को जलाने की नौबत नहीं आएगी

करनाल जिले में भू-जल की स्थिति:

  • करनाल- 25.00 मीटर
  • इंद्री- 18.66 मीटर
  • नीलोखेड़ी- 26.40 मीटर
  • निसिंग- 23.00 मीटर
  • घरौंडा- 22.56 मीटर
  • असंध- 23.61 मीटर वर्जन

करनाल: जिले में किसानों के लिए अच्छी खबर है. अब किसानों के लिए मक्का की खेती भी धान के बराबर फायदेमंद साबित होगी. पहला फायदा तो यह होगा कि पानी की बचत होगी, दूसरे किसान का खर्च और मेहनत दोनों कम हो जाएगी. किसानों को धान-गेहूं के फसल चक्र से बाहर निकालने के लिए यह योजना बनाई जा रही है. इसके पीछे मकसद भू-जल की हो रही बर्बादी को रोकना है. धान की 85 फीसद खेती भू-जल पर निर्भर है.

लगातार गिर रहे भू-जलस्तर के चलते करनाल को पहले से ही डार्क जोन घोषित किया गया है. यह स्थिति अन्य जिलों में विकराल न हो, इसके लिए किसान एवं कल्याण विभाग ने मक्का को एमएसपी पर खरीदने का फैसला किया है. जिसे जल्द ही मूर्त रूप दिया जाएगा.

क्लिक कर देखें कैसे किसान की बढ़ेगी आय

धान से कम आमदनी हुई तो सरकार करेगी भरपाई
मक्का को एमएसपी पर खरीदे जाने के बाद भी यदि धान से मक्का की आमदनी कम रह जाती है, तो भावांतर योजना के तहत सरकार उसकी भरपाई करेगी. सरकार का मानना है कि किसान मक्का की फसल की बुआई इसलिए नहीं करते, क्योंकि मार्केट नहीं है. यदि बुआई कर भी ली तो उसको औने-पौने दामों पर बेचना पड़ता है. अब सरसों की तर्ज पर प्रदेश की कुछ मंडियों को चिह्नित किया जाएगा. जहां मक्का को एमएसपी पर खरीदा जाएगा.

क्लिक कर देखें कैसे मक्का की खेती किसानों को पहुंचाएगी फायदा

अवशेष जलाने की नहीं आएगी नौबत
इतना ही नहीं धान के बजाय मक्का की खेती करने से पानी बचने के अलावा पर्यावरण और स्वास्थ्य की दिशा में भी सुधार होगा और अवशेषों को जलाने की नौबत नहीं आएगी

करनाल जिले में भू-जल की स्थिति:

  • करनाल- 25.00 मीटर
  • इंद्री- 18.66 मीटर
  • नीलोखेड़ी- 26.40 मीटर
  • निसिंग- 23.00 मीटर
  • घरौंडा- 22.56 मीटर
  • असंध- 23.61 मीटर वर्जन
Intro:कैथल के सेक्टर 18 की ड्रेन बने स्थानीय लोगों के लिए सिरदर्द। प्रशासन का नहीं है इस और कोई भी ध्यानBody: वैसे तो भाजपा सरकार प्रदेश में अपने विकास कार्य प्रदेश की जनता को क्यों आती है और कैथल में कांग्रेस के बड़े नेता रणदीप सुरजेवाला भी कैथल में किए गए विकास कार्य दूसरे राज्यों में जाकर लोगों को बताते हैं कि मैंने अपने विधानसभा में बहुत विकास किया है लेकिन यह दोनों कैथल के पोश एरिया से निकलते हुए ड्रेन का निवारण नहीं कर सके।
लोगों का कहना है कि इसकी वजह से हमारे बच्चे बहुत ज्यादा बीमार होते हैं क्योंकि यह है एक बड़े गंदे नाले के रूप में तब्दील हो गया है कहीं सेक्टर व कॉलोनियों का गंदा पानी इस ट्रेन में आता है जिसमें मच्छर पनपते हैं और उन मच्छरों से वहां के स्थानीय निवासी बीमार होते हैं।
कई बार प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया गया लेकिन प्रशासन कहता है कि यह इरिगेशन विभाग के अंतर्गत आता है और वही इसको ठीक करेंगे। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि या तो गुड्डा ठीक करें या इरिगेशन भाग लेकिन हां ठीक होनी चाहिए क्योंकि इसके वजह से स्थानीय निवासियों को बहुत समस्या झेलनी पड़ रही है स्थानीय निवासियों का कहना है कि या तो इसको सेक्टर में से बाहर निकाल दिया जाए या फिर इसको पूरी तरह से कवर कर दिया जाए ताकि इसमें से मच्छर या गंदे पानी की बदबू बाहर ना फैले।
समस्या इतनी बड़ी है कि सुबह के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी इस समस्या से अवगत है उन्होंने एक बार जिला प्रशासन को इसको कवर करने का निर्देश भी दिया था लेकिन वह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया और धरातल पर यहां कुछ भी कार्य नहीं हुआ जिससे लोगों में भारी रोष है लोगों का कहना है कि हमारे बच्चों में वह बड़ों में दिन-प्रतिदिन बीमारियां अपना घर बना रही हैं जिसका मुख्य कारण यह ड्रेन है हम चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी कोई ना कोई समाधान इस ड्रेन का सरकार निकाले।Conclusion:कैथल
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