करनाल: कड़कड़ाती ठंड का सितम इंसानों के साथ पशुओं पर भी जारी है. पशुपालकों के एक-एक पशु कई हजार से लेकर लाखों तक के हैं, जिसकी उन्हें बहुत चिंता सता रही है. क्योंकि इस बार सर्दी ने अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए जनजीवन पर बुरा असर डाला हुआ है.
पशुपालकों को अपने पशुओं की सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल करनी पड़ रही है. तापमान में गिरावट आने से पशुओं के बीमार होने का अंदेशा बना रहता है. इसमें पशु कम चारा खाना शुरु कर देते हैं, जिसे उपचार दिलाने में पशुपालकों को आर्थिक हानि होती है और साथ-साथ पशु कमजोर हो जाते हैं. बाद में पशु दूध देना भी बंद कर देता है. कई बार बीमारी बढ़ने से पशु की मौत भी हो जाती है.
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डेयरी संचालक गुरुपाल नरवाल का कहना है कि इस समय पड़ रही सर्दी से हमने पशुओं के बचाव के लिए हर तरीके से व्यवस्था कर रखी है. पशुओं को सर्दी ना लगे इसके लिए उन्हें चारों तरफ से कवर किया गया है. पशुओं के बेड़े के अंदर का तापमान ज्यादा रखने के लिए 24 घंटे लाइट जलाकर रखी जा रही हैं. कई पशुओं को बोरी या अन्य कपड़े से भी ढका जा रहा है. इसके साथ चारे आदि का भी विशेष ध्यान रख रहे हैं.
वहीं राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के प्रधान विशेषज्ञ बीएस मीणा ने बताया कि सर्दी में जहां पशुओं के दूध में कमी आती है, वहीं निमोनिया का खतरा भी बन जाता है. उन्होंने पशुपालकों को हिदायत देते हुए कहा कि वह पशुओं को गुनगुना पानी पिलाएं, धूप निकलने पर पशुओं को बाहर बांधे, दिशा का ध्यान रखें. इसके साथ-साथ काढ़ा बनाकर पशुओं को समय-समय पर पिलाते रहें और जहां पर पशुओं को रखा जाता है वहां पर साफ-सफाई की व्यवस्था उचित तौर पर करें.
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