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पशुओं पर भी पड़ रही है सर्दी की मार, पशुपालकों कर रहे बचाव के उपाय - karnal latest news

प्रदेश के तमाम हिस्सों में पिछले कई दिनों से सर्दी का प्रकोप जारी है, जिससे इंसानों के साथ-साथ पशुओं को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. वहीं करनाल में पशुपालक कई तरीकों से अपने पशुओं की देखभाल में जुटे हुए हैं.

low temperature in karnal
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Published : Dec 31, 2019, 10:34 PM IST

करनाल: कड़कड़ाती ठंड का सितम इंसानों के साथ पशुओं पर भी जारी है. पशुपालकों के एक-एक पशु कई हजार से लेकर लाखों तक के हैं, जिसकी उन्हें बहुत चिंता सता रही है. क्योंकि इस बार सर्दी ने अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए जनजीवन पर बुरा असर डाला हुआ है.

पशुपालकों को अपने पशुओं की सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल करनी पड़ रही है. तापमान में गिरावट आने से पशुओं के बीमार होने का अंदेशा बना रहता है. इसमें पशु कम चारा खाना शुरु कर देते हैं, जिसे उपचार दिलाने में पशुपालकों को आर्थिक हानि होती है और साथ-साथ पशु कमजोर हो जाते हैं. बाद में पशु दूध देना भी बंद कर देता है. कई बार बीमारी बढ़ने से पशु की मौत भी हो जाती है.

पशुओं पर भी पड़ रही है सर्दी की मार, पशुपालकों कर रहे बचाव के उपाय.

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डेयरी संचालक गुरुपाल नरवाल का कहना है कि इस समय पड़ रही सर्दी से हमने पशुओं के बचाव के लिए हर तरीके से व्यवस्था कर रखी है. पशुओं को सर्दी ना लगे इसके लिए उन्हें चारों तरफ से कवर किया गया है. पशुओं के बेड़े के अंदर का तापमान ज्यादा रखने के लिए 24 घंटे लाइट जलाकर रखी जा रही हैं. कई पशुओं को बोरी या अन्य कपड़े से भी ढका जा रहा है. इसके साथ चारे आदि का भी विशेष ध्यान रख रहे हैं.

वहीं राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के प्रधान विशेषज्ञ बीएस मीणा ने बताया कि सर्दी में जहां पशुओं के दूध में कमी आती है, वहीं निमोनिया का खतरा भी बन जाता है. उन्होंने पशुपालकों को हिदायत देते हुए कहा कि वह पशुओं को गुनगुना पानी पिलाएं, धूप निकलने पर पशुओं को बाहर बांधे, दिशा का ध्यान रखें. इसके साथ-साथ काढ़ा बनाकर पशुओं को समय-समय पर पिलाते रहें और जहां पर पशुओं को रखा जाता है वहां पर साफ-सफाई की व्यवस्था उचित तौर पर करें.

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करनाल: कड़कड़ाती ठंड का सितम इंसानों के साथ पशुओं पर भी जारी है. पशुपालकों के एक-एक पशु कई हजार से लेकर लाखों तक के हैं, जिसकी उन्हें बहुत चिंता सता रही है. क्योंकि इस बार सर्दी ने अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए जनजीवन पर बुरा असर डाला हुआ है.

पशुपालकों को अपने पशुओं की सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल करनी पड़ रही है. तापमान में गिरावट आने से पशुओं के बीमार होने का अंदेशा बना रहता है. इसमें पशु कम चारा खाना शुरु कर देते हैं, जिसे उपचार दिलाने में पशुपालकों को आर्थिक हानि होती है और साथ-साथ पशु कमजोर हो जाते हैं. बाद में पशु दूध देना भी बंद कर देता है. कई बार बीमारी बढ़ने से पशु की मौत भी हो जाती है.

पशुओं पर भी पड़ रही है सर्दी की मार, पशुपालकों कर रहे बचाव के उपाय.

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डेयरी संचालक गुरुपाल नरवाल का कहना है कि इस समय पड़ रही सर्दी से हमने पशुओं के बचाव के लिए हर तरीके से व्यवस्था कर रखी है. पशुओं को सर्दी ना लगे इसके लिए उन्हें चारों तरफ से कवर किया गया है. पशुओं के बेड़े के अंदर का तापमान ज्यादा रखने के लिए 24 घंटे लाइट जलाकर रखी जा रही हैं. कई पशुओं को बोरी या अन्य कपड़े से भी ढका जा रहा है. इसके साथ चारे आदि का भी विशेष ध्यान रख रहे हैं.

वहीं राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के प्रधान विशेषज्ञ बीएस मीणा ने बताया कि सर्दी में जहां पशुओं के दूध में कमी आती है, वहीं निमोनिया का खतरा भी बन जाता है. उन्होंने पशुपालकों को हिदायत देते हुए कहा कि वह पशुओं को गुनगुना पानी पिलाएं, धूप निकलने पर पशुओं को बाहर बांधे, दिशा का ध्यान रखें. इसके साथ-साथ काढ़ा बनाकर पशुओं को समय-समय पर पिलाते रहें और जहां पर पशुओं को रखा जाता है वहां पर साफ-सफाई की व्यवस्था उचित तौर पर करें.

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Intro:तापमान में भारी गिरावट व सर्दी के प्रकोप पशुओं में बीमारियों का खतरा लगा मंडराने, पशुपालक अपने पशुओं को सर्दी से बचाने के लिए जुटे, कई डेयरी संचालकों ने किए पुख्ता इंतजाम तो वहीं विशेषज्ञों का कहना ज्यादा सर्दी पढ़ने से पशुओं में दूध की मात्रा हो जाती है कम और ठंड में पशुओं की करें उचित देखभाल ।


Body:पिछले कई दिनों से सर्दी का प्रकोप जारी होने से इंसानी जिंदगी अपना जीवन यापन करने में कई परेशानियों का सामना कर रही है वही पशुपालक पशुओं की देखभाल में जुटे हुए हैं क्योंकि उनका एक एक पशु कई हजार तो लाख का भी है जिसकी उन्हें बहुत चिंता सता रही है क्योंकि इस बार शरीर सर्दीने अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए जनजीवन पर असर डाला हुआ है पशुपालकों को अपने पशुओं को सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल करनी पड़ रही है तापमान में गिरावट आने से पशुओं में संपन्न हो जाने से बीमार होने का अंदेशा बना रहता है इसमें पशु कम चारा खाना शुरु कर देते हैं जिसे उपचार दिलाने में पशुपालकों को आर्थिक हानी होती है और साथ-साथ पशु कमजोर हो जाते हैं बाद में पशु दूध देना भी बंद कर देता है कई बार बीमारी बढ़ने से पशु की मौत भी हो जाती है ।




Conclusion:डेयरी संचालक गुरुपाल नरवाल का कहना है की इस समय की पड़ रही सर्दी से हमने पशुओं के लिए हर तरीके से व्यवस्था कर रखी है । पशुओं को सर्दी ना ले सके वहां चारों तरफ से कवर किया गया है । अंदर का तापमान ज्यादा रखने के लिए लाइट 24 घंटे जलाकर रखी गई है और भैंसो और बकरियों के छोटे बच्चों को कपड़ों में दबाकर रखा जाता है और कई पशुओं को बोरी या अन्य कपड़े से भी बांधकर ढका जाता है । इसके साथ साथ चारे आदि का भी ध्यान रखा जाता है ।

वही राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के प्रधान विशेषज्ञ बीएस मीणा ने बताया की सर्दी में जहां पशुओं के दूध में कमी आती है वही निमोनिया का खतरा भी बन जाता है । उन्होंने पशुपालकों को हिदायत देते हुए बताया कि वह पशुओं को गुनगुना पानी पिलाएं ,धूप निकलने पर पशुओं को बाहर बांधे ,लेकिन देखना यह होगा कि शीत लहर का प्रभाव उस पर ना पड़े ,दिशा का ध्यान रखें। इसके साथ साथ काढ़ा बनाकर पशुओं को समय-समय पर पिलाते रहें और जहां पर पशुओं को रखा जाता है वहां पर साफ सफाई की व्यवस्था उचित तौर पर करें ।

वन टू वन
बाईट - गुरूपाल नरवाल- डेयरी संचालक
बाईट - बी एस मीणा - प्रधान बैज्ञानिक - राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान करनाल
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