जींद: नियमानुसार अस्पताल में दाखिल होने वाले हर मरीज को कंबल मुहैया कराए जाने की स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है लेकिन 200 बेड के जींद के सिविल अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड से लेकर अन्य वार्डों तक में मरीजों के लिए इन दिनों कंबल नहीं हैं. हाल-फिलहाल में कंबलों की न तो खरीद की गई और न ही कोई सप्लाई आई. 11 साल पहले सिविल सर्जन द्वारा कंबलों की खरीद की गई थी. इसके बाद किसी स्वास्थ्य अधिकारी ने न तो कंबलों की डिमांड की और न ही खरीद के लिए कोई कदम उठाया.
अस्पताल में दाखिल हुए मरीजों ने बताया कि वे अपने घर से कंबल लेकर आए हैं. यहां स्टाफ से कंबल मांगे भी थे लेकिन कोई कंबल नहीं दिया गया. मौजूदा स्टाफ ने जवाब दिया कि जब डॉक्टर आए तो उनसे बात करना. वहीं एक मरीज के परिजन ने बताया कि एक महिला यहां दाखिल की गई थी जिसके पास कोई कंबल नहीं था और न ही कंबल अस्पताल स्टाफ ने दिया. वह ठंड से कांप रही थी तब हमने अपना एक्स्ट्रा कंबल उन्हें दिया.
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वहीं सिविल अस्पताल में कितने कंबल उपलब्ध हैं. इसका भी कोई लेखा-जोखा नहीं है. पिछले दिनों कंबलों के गायब होने की बात कह कर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पल्ला झाड़ने में लगे हैं. सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि अस्पताल में दाखिल होने वाले काफी मरीज ऐसे होते हैं जो दूर गांव से आते हैं. जिनके लिए दाखिल होने के बाद एकदम से घर से कंबल ला पाना काफी मुश्किल होता है.
बता दें कि सिविल अस्पताल में अंतिम बार कंबलों की खरीद वर्ष 2008 में की गई थी. तब सिविल सर्जन ने 20 कंबल खरीदे थे. इसके बाद से कोई खरीद नहीं हुई. अस्पताल के स्टोर के लेखे-जोखे के अनुसार स्टोर में साल 2014 में 50 कंबल प्रसूति वार्ड, 25 कंबल सर्जिकल वार्ड व 20 कंबल इमरजेंसी को वितरित किए थे. इसके बाद ये कंबल कहां गए कोई रिकॉर्ड नहीं है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. शशि प्रभा से जब कंबल न मिलने का कारण पूछा तो उनका बेतुका बयान सामने आया. उनका कहना था कि आज ही हमने स्टोर में रखे कंबल मरीजों को मुहैया करवाए हैं और नए कंबल खरीदने के लिए भी आर्डर दे दिए हैं. मेरे संज्ञान में आया है कि कंबलों की शॉर्टेज है.
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अधिकारी यहां कंबल देने की बात कर रहे हैं लेकिन हकीकत ये है कि न तो मरीजों को कंबल मिले हैं और न ही कोई पुराने कंबल स्टोर में थे. सिविल अस्पताल में कितने कंबल उपलब्ध हैं स्टोर कीपर से लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों तक को जानकारी नहीं, फिलहाल कंबलों की न तो खरीद हुई न ही कोई कदम उठाया गया है. अब इंतजार इस बात का है कि हरियाणा की राजनीति के गब्बर और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का ध्यान इस ओर कब आएगा.