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सफीदों विधानसभा में आवारा पशुओं और जलभराव से लोग परेशान - जसबीर देसवाल

सफीदों विधानसभा में पहुंची ईटीवी भारत ने जनता से जाना कि विधायक जसबीर देसवाल ने पिछले पांच साल में जनता के लिए क्या काम किए हैं.

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Published : Sep 14, 2019, 5:43 PM IST

जींदः सफीदों विधानसभा में जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो वहां के लोगों ने शिकायतों का अंबार लगा दिया. ज्यादातर लोग अपने विधायक से नारज दिखे. वहीं कुछ विधायक के समर्थन में भी नजर आए. एक व्यक्ति का तो यहां तक कहना था कि काम नहीं हुआ लेकिन फिर भी विधायक को 10 नंबर देंगे.

ज्यादातर लोग विधायक से नाराज
सफीदों विधानसभा से 2014 में जसबीर देसवाल निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीते थे. हालांकि अब वो बीजेपी का हिस्सा हो चुके हैं. जसबीर देसवाल पिछले पांच साल में सरकार के काफी करीब रहे हैं लेकिन जनता फिर भी कह रही है कि काम नहीं हुआ. क्योंकि सरकार से करीबियों का मतलब है कि काम होना चाहिए था. लेकिन जनता के मुताबिक काम हुआ नहीं है इसीलिए ज्यादातर लोग विधायक से नाराज हैं.

सफीदों विधानसभा में आवारा पशुओं और जलभराव से लोग परेशान

कुछ लोग काम न होने पर भी विधायक से खुश
जहां एक तरफ ज्यादातर लोग विधायक से नाराज थे वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी थे जो ये कह रहे थे काम तो नहीं हुआ लेकिन फिर भी हम विधायक को 10 में से 10 नंबर देंगे. इनके अलावा एक-दो लोग ऐसे भी मिले जो कहते नजर आये कि विधायक ने अच्छा काम किया है. अगर एक बार और उन्हें मौका दिया जाए तो बाकी बचे काम भी हो जाएंगे.

ये हैं यहां की बड़ी समस्याएं
सफीदों विधानसभा में सुनिए नेताजी कार्यक्रम के जरिए निकलकर सामने आया कि यहां आवारा पशुओं और पानी निकासी की समस्याएं सबसे बड़ी हैं. लोगों ने बताया कि यहां आए दिन आवारा पश पशुओं की वजह से एक्सीडेंट होते रहते हैं. साथ ही जब भी कभी बारिश होती हैं तो यहां सड़कों पर पानी भर जाता है. पानी निकासी की यहां एक बड़ी समस्या है. इसके अलावा कई लोगों को यहां रोजगार भी एक बड़ी समस्या दिखाई देती है.

सफीदों में वोट समीकरण

  • यहां कुल 1,77,634 वोट हैं
  • यहां 96,997 पुरुष वोटर हैं
  • यहां 80,636 महिला वोटर हैं
  • यहां 895 सर्विस वोटर है और एक ट्रांसजेंडर वोटर है

सफीदों विधानसभा के समीकरण
जींद जिले की ये सफीदों सीट राजनीतिक रूप से बहुत चर्चित नहीं रही है. यहां हमेशा अलग-अलग लोग जीतते रहे हैं. क्योकि सफीदों ने कभी किसी भी नेता पर बहुत ज्यादा दिनों तक विश्वास नहीं किया. 2014 में हालांकि यहां से एक बड़े नाम वंदना शर्मा ने चुनाव लड़ा था लेकिन वो निर्दलीय जसबीर देसवाल से हार गईं. वंदना शर्मा बीजेपी की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बहन हैं. जसबीर देसवाल पहले कांग्रेस में थे लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो वो निर्दलीय मैदान में उतर गए और जीत भी गए. हालांकि अब जसबीर देसवाल बीजेपी में ही शामिल हो चुके हैं.

अपने विधायक को जानिए
जसबीर देसवाल ने वकालत की पढ़ाई की है. वो पोल्ट्री फार्मिंग और इससे जुड़े उत्पादों का व्यापार करते हैं. जसबीर देसवाल 2014 से पहले कांग्रेस में ही थे वो कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हुआ करते थे लेकिन 2014 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया और उनकी जगह 5 बार विधायक रह चुके हैं बचन सिंह को वरीयता दी गई. जिसके बाद देसवाल निर्दलीय मैदान में कूद गए और उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी सुषमा स्वराज की बहन वंदना शर्मा को हराते हुए जीत दर्ज की. लेकिन अब जसबीर देसवाल बीजेपी का ही हिस्सा हो गए हैं. और शायद बीजेपी के ही टिकट पर चुनाव भी लड़ें.

जींदः सफीदों विधानसभा में जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो वहां के लोगों ने शिकायतों का अंबार लगा दिया. ज्यादातर लोग अपने विधायक से नारज दिखे. वहीं कुछ विधायक के समर्थन में भी नजर आए. एक व्यक्ति का तो यहां तक कहना था कि काम नहीं हुआ लेकिन फिर भी विधायक को 10 नंबर देंगे.

ज्यादातर लोग विधायक से नाराज
सफीदों विधानसभा से 2014 में जसबीर देसवाल निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीते थे. हालांकि अब वो बीजेपी का हिस्सा हो चुके हैं. जसबीर देसवाल पिछले पांच साल में सरकार के काफी करीब रहे हैं लेकिन जनता फिर भी कह रही है कि काम नहीं हुआ. क्योंकि सरकार से करीबियों का मतलब है कि काम होना चाहिए था. लेकिन जनता के मुताबिक काम हुआ नहीं है इसीलिए ज्यादातर लोग विधायक से नाराज हैं.

सफीदों विधानसभा में आवारा पशुओं और जलभराव से लोग परेशान

कुछ लोग काम न होने पर भी विधायक से खुश
जहां एक तरफ ज्यादातर लोग विधायक से नाराज थे वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी थे जो ये कह रहे थे काम तो नहीं हुआ लेकिन फिर भी हम विधायक को 10 में से 10 नंबर देंगे. इनके अलावा एक-दो लोग ऐसे भी मिले जो कहते नजर आये कि विधायक ने अच्छा काम किया है. अगर एक बार और उन्हें मौका दिया जाए तो बाकी बचे काम भी हो जाएंगे.

ये हैं यहां की बड़ी समस्याएं
सफीदों विधानसभा में सुनिए नेताजी कार्यक्रम के जरिए निकलकर सामने आया कि यहां आवारा पशुओं और पानी निकासी की समस्याएं सबसे बड़ी हैं. लोगों ने बताया कि यहां आए दिन आवारा पश पशुओं की वजह से एक्सीडेंट होते रहते हैं. साथ ही जब भी कभी बारिश होती हैं तो यहां सड़कों पर पानी भर जाता है. पानी निकासी की यहां एक बड़ी समस्या है. इसके अलावा कई लोगों को यहां रोजगार भी एक बड़ी समस्या दिखाई देती है.

सफीदों में वोट समीकरण

  • यहां कुल 1,77,634 वोट हैं
  • यहां 96,997 पुरुष वोटर हैं
  • यहां 80,636 महिला वोटर हैं
  • यहां 895 सर्विस वोटर है और एक ट्रांसजेंडर वोटर है

सफीदों विधानसभा के समीकरण
जींद जिले की ये सफीदों सीट राजनीतिक रूप से बहुत चर्चित नहीं रही है. यहां हमेशा अलग-अलग लोग जीतते रहे हैं. क्योकि सफीदों ने कभी किसी भी नेता पर बहुत ज्यादा दिनों तक विश्वास नहीं किया. 2014 में हालांकि यहां से एक बड़े नाम वंदना शर्मा ने चुनाव लड़ा था लेकिन वो निर्दलीय जसबीर देसवाल से हार गईं. वंदना शर्मा बीजेपी की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बहन हैं. जसबीर देसवाल पहले कांग्रेस में थे लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो वो निर्दलीय मैदान में उतर गए और जीत भी गए. हालांकि अब जसबीर देसवाल बीजेपी में ही शामिल हो चुके हैं.

अपने विधायक को जानिए
जसबीर देसवाल ने वकालत की पढ़ाई की है. वो पोल्ट्री फार्मिंग और इससे जुड़े उत्पादों का व्यापार करते हैं. जसबीर देसवाल 2014 से पहले कांग्रेस में ही थे वो कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हुआ करते थे लेकिन 2014 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया और उनकी जगह 5 बार विधायक रह चुके हैं बचन सिंह को वरीयता दी गई. जिसके बाद देसवाल निर्दलीय मैदान में कूद गए और उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी सुषमा स्वराज की बहन वंदना शर्मा को हराते हुए जीत दर्ज की. लेकिन अब जसबीर देसवाल बीजेपी का ही हिस्सा हो गए हैं. और शायद बीजेपी के ही टिकट पर चुनाव भी लड़ें.

Intro:Body:सुनिए नेताजी कार्यक्रम के तहत आज ईटीवी भारत की टीम ने जींद जिले के सफीदों विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया हमने सफीदों के विधायक के कामकाज को लेकर लोगों से बातचीत की तो लोगों ने अपनी समस्याएं बताते हुए कहा कि विधायक तो सिर्फ आश्वासन देते हैं लेकिन काम नहीं होता इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि सफीदों की लगातार 3 बार से सत्ता में हिस्सेदारी नहीं होती है क्योंकि 2005 से 2009 में यहां से विधायक बच्चन सिंह आर्य थे जो कि निर्दलीय थे , उसके बाद 2009 से 2014 तक इनेलो के कलीराम पटवारी यहां से विधायक थे उस समय भी विपक्ष में थे , 2014 से अब तक यहां से विधायक जसवीर देशवाल हैं जिन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था लेकिन वह पिछले समय से बीजेपी को सपोर्ट करते आ रहे हैं और हाल ही में आधिकारिक तौर पर बीजेपी ज्वाइन भी कर चुके हैं


सफीदों हल्के में वोटर्स की संख्या एक नजर में (23-04-2019) तक

190 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं

कुल 177634
पुरूष 96997
महिला 80636
ट्रांसजेंडर 1
सर्विस वोटर 895


सफीदों विधानसभा में पानी की निकासी की बड़ी समस्या है और यहां के कई गांवों में जमीन का स्तर बहुत ही नीचा होने के कारण बारिश में पानी भर जाता है जिससे किसानों को अपनी फसलों से हाथ धोना पड़ता है वही बात की जाए सफीदों शहर की तो यहां भी पानी की निकासी की बड़ी समस्या है थोड़ी सी बारिश होने पर ही बाजारों में पानी भर जाता है , लोगों से जब उनकी समस्याओं को लेकर बातचीत की तो एक बड़ा मसला सामने आया जो कि रोजगार का था इसको लेकर कई लोगों ने कहा कि यहां रोजगार के कोई साधन नहीं है जिसके चलते उन्हें पानीपत जाना पड़ता है,

ईटीवी भारत की टीम जब सफीदों शहर में लोगों से विधायक के कामकाज को लेकर सवाल कर रही थी तब एक और बड़ी समस्या दिखाई दी जो कि आवारा पशुओं की थी यहां की हर सड़क पर आवारा पशु दिखाई देते हैं लोगों का कहना है कि हर रोज आवारा पशुओं के चलते हादसे होते हैं लोगों की जाने जाती है लेकिन फिर भी कोई सुध नहीं लेता, इस पूरे कवरेज के दौरान एक बड़ी देखने को मिली इस समय सफीदों में मुख्यमंत्री की जन आशीर्वाद यात्रा पहुंच रही थी जिसके चलते यहां पूरी साफ-सफाई की गई थी सड़कों को भी ठीक किया जा रहा था लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि जब कोई मंत्री या वीआईपी यहां आता है तो अधिकारी जाग जाते हैं वरना यहां कोई सफाई तक करने नहीं आता सड़कों पर कूड़ा पड़ा रहता हैConclusion:
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