जींद: कोरोना महामारी के चलते समूचा देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है. ऐसे में शायद ही कोई सेक्टर होगा जिस पर कोरोना की मार ना पड़ी हो. वहीं जींद में स्थित हरियाणा रोडवेज डिपो भी इससे अछूता नहीं रहा. लॉकडाउन खुलने के बाद भी जींद डिपो घाटे से नहीं उभर पा रहा है.
पहले से घाटा झेल रहे रोडवेज का घाटा और बढ़ा
गौरतलब है कि अनलॉक के दौरान हरियाणा सरकार द्वारा अंतर जिला स्तर पर बसों का संचालन भले ही शुरू कर दिया गया हो, लेकिन बसों में पहले की तरह यात्रियों की संख्या पूरी नहीं होने के कारण सड़कों पर बसें चलाकर भी रोडवेज घाटे में है. पहले से घाटा झेल रही हरियाणा रोडवेज का घाटा और बढ़ गया है.
कोरोना संक्रमण से पहले जींद डिपो की 190 बसें रुटों पर रहती थीं. डिपो को पहले रोज लगभग 14 लाख रुपए की कमाई हो जाती थी. वहीं कोरोना संक्रमण से पहले रोडवेज की बसें यात्रियों से खचाखच भरी होती थी और डिपो की प्रति किलोमीटर आय 25 से 30 रुपए के बीच रहती थी. बसों में हालत ये होती थी कि पैर रखने को भी जगह नहीं बचती थी और यात्री जींद डिपो की बसों में खड़े होकर भी सफर तय करते थे.
52 सीटर बस में केवल 35 यात्री कर सकते हैं सफर
वहीं अब जींद डिपो की 60 बस विभिन्न रुटों पर चलाई जा रही हैं. इन बसों को भी बहुत कम यात्रियों के साथ चलाया जा रहा है. जींद डिपो के महाप्रबंधक विजेंद्र सिंह ने बताया कि अभी ज्यादा बसें रुटों पर इसलिए नहीं चलाई जा रही क्योंकि उन्हें पूरे यात्री नहीं मिल रहे. कोरोना संक्रमण को देखते हुए ये तय किया कि 52 सीटर बस में से केवल 35 यात्री सफर कर सकते हैं ताकि बसों में सफर के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग भी बनी रहे. कई रुटों पर हालत ये हैं कि एक बस को चलाने के लिए जरूरी 30 यात्री भी नहीं मिल रहे.
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डिपो के 100 से ज्यादा छोटे-बड़े रुट हैं और फिलहाल जींद डिपो मुश्किल से 25 रुटों पर ही अपनी बसें चला पा रहा है. कोरोना संक्रमण का कितना असर जींद डिपो पर पड़ रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस समय जींद डिपो की बसों की प्रति किलोमीटर आय बहुत कम है. डिपो प्रबंधकों को अपने सैंकड़ों चालक-परिचालकों को घर बैठे वेतन देना पड़ रहा है. इससे डिपो का घाटा हर रोज लाखों रुपए में जा रहा है.
डिपो की ओर से किया जा रहा नियमों का पालन
जींद डिपो के महाप्रबंधक का कहना है कि लोग बसों में सफर करने के लिए बस अड्डे पर नहीं आ रहे. जींद डिपो की बस विभिन्न रुटों पर चलाई जा रही हैं. डिपो की बसों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए सैनिटाइज किया जाता है. बस अड्डे पर यात्रियों की कोरोना को लेकर थर्मल स्क्रीनिंग की जाती है ताकि कोरोना संक्रमित कोई व्यक्ति बस में सफर नहीं करे. इसके बावजूद यात्री अभी रोडवेज बसों में सफर करने के लिए तैयार नहीं हो रहे.
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोग सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करने से कन्नी काट रहे हैं. वहीं कोरोना के बचाव के नियमों के अनुसार शारीरिक दूरी के मानकों के तहत तय सीटों से भी बहुत कम संख्या में ही यात्री सवारी कर रहे हैं. इससे रोडवेज विभाग को आय अर्जित करने के बजाय आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. अब देखना ये होगा कि रोडवेज विभाग पर कोरोना की मार का असर कब तक रहता है.
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