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कागजों में घूम रहा है जींद की जनता का भाखड़ा नहर से पानी पीने का सपना

सीएम मनोहर लाल ने जींद में भाखड़ा नहर का पानी पहुंचाने का दावा किया था. लेकिन कई साल बीत जाने बावजूद नहर का पानी शहर तक नहीं पहुंचा है.

jind district not getting water from Bhakra canal
jind district not getting water from Bhakra canal
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Published : Jul 30, 2020, 11:05 PM IST

जींद: शहर के लोगों का भाखड़ा नहर का नीला पानी पीने का सपना पिछले लंबे समय से सपना ही बना हुआ है. साल 2014 में सीएम मनोहर लाल ने भाखड़ा नहर का पानी को शहर में लाने का वादा किया था. साल 2019 में 400 रुपये का बजट भी स्वीकृत किया गया लेकिन जींद की जनता का सपना अभी तक कागजों में ही दौड़ रहा है. सरकारी विभाग इस प्रोजेक्ट के लिए अभी तक जगह भी फाइनल नहीं कर पाया है.

कागजों में घूम रहा है जींद की जनता का भाखड़ा नहर का पानी पीने का सपना, देखें वीडियो

ट्यूबवेल का पानी पीने को मजबूर जनता

जींद शहर में हुडा के कुछ सेक्टरों को छोड़कर शहर की सभी कॉलोनियों में ट्यूबवेलों का पानी सप्लाई किया जाता है. इस पानी में टीडीएस यानि टोटल डिजॉल्व सॉलिड की मात्रा 900mg/ltr से 2000 mg/ltr तक है. जबकि नॉर्मल टीडीएस 200mg/ltr से 400mg/ltre होना चाहिए. इसकी वजह से कैंसर, लीवर और किडनी से जुड़ी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं.

तीन बार बदली जा चुकी है योजना

सीएम की घोषणा के बाद जनस्वास्थ्य विभाग ने शहर को नहरी पेयजल देने के लिए बनाई गई योजना को तीन बार बदला जा चुका है. भाखड़ा नहर या हांसी ब्रांच नहर से जींद तक पानी पहुंचाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है और दोनों को मुख्यालय भेजा गया है. भाखड़ा नहर से पानी लाने के प्रोजेक्ट में करीब 45 किलोमीटर लंबी लाइन बिछानी पड़ेगी. मुख्यालय ने भाखड़ा नहर से जींद शहर की दूरी को देखते हुए इस प्रोजेक्ट की बजाए हांसी ब्रांच नहर के प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दे रहा है. भाखड़ा का पानी साफ होता है, इसलिए लोगों की मांग है कि भाखड़ा का पानी शहर में पहुंचाया जाए. भाखड़ा नहर का पानी लगातार चलता रहता है कि इसलिए अगर सरकार भाखड़ा नहर से पानी लाने के प्रपोजल को मंजूरी दे देती है तो थोड़ी जमीन पर भी वाटर व‌र्क्स बनाया जा सकता है.

भाखड़ा का पानी जरूर आएगा-विधायक

जींद के विधायक कृष्ण मिड्डा ने कहा कि जींद शहर की जनसंख्या को देखते हुए वाटर वर्क्स बनाने के लिए आसपास करीब 80 से 100 एकड़ भूमि की जरूरत पड़ेगी. जिसके लिए फिलहाल 3 साइट फाइनल की गई हैं, जिनमें से दो को छोड़ कर मुख्यालय को प्रपोजल भेजा जाएगा. उसके बाद ही निर्माण कार्य को लेकर प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है. इससे पहले तय किया गया प्लान कई बार बदला जा चुका है जिस वजह से दे रही हो रही है. हालांकि उनका कहना है कि भाखड़ा का पानी मिलेगा जरूर लेकिन अभी समय तय नहीं कर सकते.

वादा भूली सरकार-कांग्रेस

कांग्रेस नेता महावीर कंप्यूटर का कहना है की सरकार जींद को वादे कर भूल जाती है, जींद के लिए पानी की योजना सिर्फ कागजों में घूम रही है ये प्रोजेक्ट हवा हवाई हैं. सरकार ने बजट की घोषणा कर दी लेकिन अभी तक ये भी नहीं पता कि कहां ये बजट खर्च होगा कैसे पानी लाया जाएगा, किसी को भी इसकी पुख्ता जानकारी नहीं है.

क्या बोली जींद की जनता?

वहीं जींद की जनता का इसको लेकर कहना है कि हर बार घोषणा कर दी जाती है लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती. उन्होंने कहा कि पानी देने की घोषणा हुई थी. अब तक उसको लेकर धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है. जींद में जो पानी की सप्लाई आ रही है वो पीने लायक नहीं है, पानी में मिट्टी आती है तथा टीडीएस मात्रा भी बहुत ज्यादा है. जिसकी वजह से पीलिया, कैंसर और डायरिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं. लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है. जो सप्लाई में पानी आता है. उसको नहीं पीते बल्कि जो कैंपर सर्विस हैं उनसे पानी खरीद कर पीते हैं.

ये भी पढ़ें- रोहतक PGI का दावा: हेपेटाइटिस की दवा मार सकती है कोरोना, ट्रायल की मांगी अनुमति

जींद: शहर के लोगों का भाखड़ा नहर का नीला पानी पीने का सपना पिछले लंबे समय से सपना ही बना हुआ है. साल 2014 में सीएम मनोहर लाल ने भाखड़ा नहर का पानी को शहर में लाने का वादा किया था. साल 2019 में 400 रुपये का बजट भी स्वीकृत किया गया लेकिन जींद की जनता का सपना अभी तक कागजों में ही दौड़ रहा है. सरकारी विभाग इस प्रोजेक्ट के लिए अभी तक जगह भी फाइनल नहीं कर पाया है.

कागजों में घूम रहा है जींद की जनता का भाखड़ा नहर का पानी पीने का सपना, देखें वीडियो

ट्यूबवेल का पानी पीने को मजबूर जनता

जींद शहर में हुडा के कुछ सेक्टरों को छोड़कर शहर की सभी कॉलोनियों में ट्यूबवेलों का पानी सप्लाई किया जाता है. इस पानी में टीडीएस यानि टोटल डिजॉल्व सॉलिड की मात्रा 900mg/ltr से 2000 mg/ltr तक है. जबकि नॉर्मल टीडीएस 200mg/ltr से 400mg/ltre होना चाहिए. इसकी वजह से कैंसर, लीवर और किडनी से जुड़ी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं.

तीन बार बदली जा चुकी है योजना

सीएम की घोषणा के बाद जनस्वास्थ्य विभाग ने शहर को नहरी पेयजल देने के लिए बनाई गई योजना को तीन बार बदला जा चुका है. भाखड़ा नहर या हांसी ब्रांच नहर से जींद तक पानी पहुंचाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है और दोनों को मुख्यालय भेजा गया है. भाखड़ा नहर से पानी लाने के प्रोजेक्ट में करीब 45 किलोमीटर लंबी लाइन बिछानी पड़ेगी. मुख्यालय ने भाखड़ा नहर से जींद शहर की दूरी को देखते हुए इस प्रोजेक्ट की बजाए हांसी ब्रांच नहर के प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दे रहा है. भाखड़ा का पानी साफ होता है, इसलिए लोगों की मांग है कि भाखड़ा का पानी शहर में पहुंचाया जाए. भाखड़ा नहर का पानी लगातार चलता रहता है कि इसलिए अगर सरकार भाखड़ा नहर से पानी लाने के प्रपोजल को मंजूरी दे देती है तो थोड़ी जमीन पर भी वाटर व‌र्क्स बनाया जा सकता है.

भाखड़ा का पानी जरूर आएगा-विधायक

जींद के विधायक कृष्ण मिड्डा ने कहा कि जींद शहर की जनसंख्या को देखते हुए वाटर वर्क्स बनाने के लिए आसपास करीब 80 से 100 एकड़ भूमि की जरूरत पड़ेगी. जिसके लिए फिलहाल 3 साइट फाइनल की गई हैं, जिनमें से दो को छोड़ कर मुख्यालय को प्रपोजल भेजा जाएगा. उसके बाद ही निर्माण कार्य को लेकर प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है. इससे पहले तय किया गया प्लान कई बार बदला जा चुका है जिस वजह से दे रही हो रही है. हालांकि उनका कहना है कि भाखड़ा का पानी मिलेगा जरूर लेकिन अभी समय तय नहीं कर सकते.

वादा भूली सरकार-कांग्रेस

कांग्रेस नेता महावीर कंप्यूटर का कहना है की सरकार जींद को वादे कर भूल जाती है, जींद के लिए पानी की योजना सिर्फ कागजों में घूम रही है ये प्रोजेक्ट हवा हवाई हैं. सरकार ने बजट की घोषणा कर दी लेकिन अभी तक ये भी नहीं पता कि कहां ये बजट खर्च होगा कैसे पानी लाया जाएगा, किसी को भी इसकी पुख्ता जानकारी नहीं है.

क्या बोली जींद की जनता?

वहीं जींद की जनता का इसको लेकर कहना है कि हर बार घोषणा कर दी जाती है लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती. उन्होंने कहा कि पानी देने की घोषणा हुई थी. अब तक उसको लेकर धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है. जींद में जो पानी की सप्लाई आ रही है वो पीने लायक नहीं है, पानी में मिट्टी आती है तथा टीडीएस मात्रा भी बहुत ज्यादा है. जिसकी वजह से पीलिया, कैंसर और डायरिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं. लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है. जो सप्लाई में पानी आता है. उसको नहीं पीते बल्कि जो कैंपर सर्विस हैं उनसे पानी खरीद कर पीते हैं.

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