जींद: जिले में आढ़ती सरसों की खरीद नहीं कर रहे हैं. प्रशासन को सरसों सरकारी एजेंसी के माध्यम से खुद खरीदनी पड़ रही है. सरसों खरीद को लेकर आढ़तियों का कहना कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती तब तक सरसों नहीं खरीदेंगे.
खरीद को लेकर प्रशासन का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए 25-25 किसानों को ही हर रोज सरसों खरीद के लिए बुलाया जा रहा है. 25 किसानों को सुबह और 25 किसानों को शाम को बुलाया जा रहा है. एक किसान से एक बार में 40 किवंटल सरसों ही खरीदा जा रहा है. सिर्फ उन्हीं किसानों की ही सरसों खरीदी जा रही है जिन किसानों ने मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्टर्ड करवाया हुआ है.
आढ़तियों का कहना कि ऐसे कब तक सरसों खरीदेगी सरकार, बिना आढ़तीयों के सरकार 5 फीसदी भी सरसों खरीद नहीं कर सकती. आज पहले दिन ही अगर आढ़ती सरसों खरीद कर रहे होते तो 5000 कट्टे नजर आते जबकि अब मंडी में 500 कट्टे भी नजर नहीं आ रहे.
सरसों बेचने आए किसान भी परेशान नजर आए. किसानों का कहना जितनी सरसों लेकर वे मंडी में आए हैं. वो सारी सरसों नहीं खरीदी जा रही. जबकि हमेशा एक की समय में सारी सरसों खरीद की जाती थी. बार बार सरसों लाने में खर्च बढ़ेगा और समय की बर्बादी होगी.
बता दें कि जींद में सरसों बेचने के लिए 5896 किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्योरा के जरिए पंजीकरण करवाया है जिनकी फसलें मार्केट कमेटी के जरिए सरकारी खरीद एजेंसी हैफेड द्वारा खरीदी जा रही हैं. इससे पहले ये फसलें सरकार द्वारा आढ़तियों के जरिए खरीदने की बात कही जा रही थी लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है. फिलहाल एजेंसी द्वारा करीब 4000 टन सरसों खरीदी जा चुकी है.
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