जींद: डीजल के बढ़े दामों ने खेती की लागत बढ़ा दी है. जींद में मंगलवार को डीजल का भाव 72.50 पैसे/लीटर रहा. किसानों का कहना है कि पिछले साल और इस साल की खेती में डेढ़ गुना का अंतर आ गया है. खेती की लागत बढ़ गई है. किसानों ने मांग की है सरकार बढ़ते दामों पर अंकुश लगाए नहीं तो दोबारा बैल से खेती करनी पड़ेगी.
जींद के रधाना गांव में ट्रैक्टर चलाने वाले रमेश कहते हैं डीजल के भाव लगातार बढ़ रहे हैं जिससे हर काम में खर्चा बढ़ गया है. एक फसल में कम से कम पांच बार ट्रैक्टर चलाना पड़ता है. ऐसे में डीजल की बढ़ोतरी ने हमारी कमाई खत्म कर दी है.
बैल गाड़ी चलाने को मजबूर
जींद में 42 डिग्री के तापमान में कपास की न्योलाई कर रहे किसान धर्मबीर कौशिक का कहना है और पहली बार ऐसा देखा है कि डीजल की कीमत पेट्रोल के बराबर पहुंच गई है. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में तेल सस्ता है लेकिन यहां सरकार टैक्स पर टैक्स लगाकर रेट बढ़ा रही है. खेती में उपयोग किए जाने वाले लगभग सभी उपकरण डीजल से चलते हैं. इस चक्कर में खेती में लागत की और ज्यादा बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार खुद कहती थी कि आधुनिक उपकरणों का प्रयोग करो लेकिन अब किसान फिर परंपरागत खेती अपनाने को मजबूर है और बैल गाड़ी चलाने को मजबूर हो रहा है.
खेती के लिए डीजल पर निर्भर किसान
किसान ने उदाहरण के साथ समझाया कि अगर किसी के पास 15-18 बीघा खेत है और एक साल में एक लाख से ज्यादा रुपये का डीजल का प्रयोग करता है, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से डीजल के दाम बढ़े हैं, उससे खेती में होने वाला छोटा मुनाफा भी डीजल के बढ़े हुए दामों की भेंट चढ़ जाएगा.
किसान का कहना है कि जुताई के अलावा खाद बीज भी ट्रैक्टर से लेकर आते हैं. बिजली नहीं मिलती है तो इसी डीजल से सिंचाई भी करते हैं. उसके बाद फसल कटने पर इसी डीजल से थ्रेसर भी चलता है और ट्रैक्टर पर लादकर बाजार ले जाते हैं.
राहत की मांग
किसान दलबीर चहल ने कहा की इस तरह से डीजल के रेट नहीं बढ़ने चाहिए. इससे किसान घाटे में जा रहा है. अगर सरकार किसानों के लिए कोई कदम नहीं उठाती तो हम सीधे-सीधे सरकार का विरोध करेंगे. किसान पहले से ही घाटे में चल रहे हैं. आमदनी बहुत कम है और जिसकी वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं. अब लागत और भी ज्यादा बढ़ रही है तो किसानों को पहले की तरह परंपरागत खेती पर आना पड़ेगा बैलों से जुताई करने पड़ेगी.
ये भी पढ़ें- मेरी फसल मेरा ब्यौरा: हरियाणा में 10 लाख 83 हजार 423 किसानों ने करवाया रजिस्ट्रेशन