जींद: भारत-चीन सीमा विवाद पर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का बयान आया है. उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि बॉर्डर पर बहुत चिंताजनक हालात हैं. बता दें कि भारत-चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान वैली में हुई हिंसक झड़प में 20 जवान शहीद हुए थे.
शनिवार को दुष्यंत चौटाला जींद के उचाना विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे और कपास मंडी में लोगों की जन समस्याएं सुनी. इस दौरान सोशल डिस्टेंस के नियम का पालन नहीं हुआ.
पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि आज जो हालात हमारे बॉर्डर पर हैं बहुत चिंताजनक हैं. प्रधानमंत्री ने भी तमाम दलों से चर्चा की. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान किसी भी स्थिति में कमजोर नहीं है. अपने बॉर्डर की और अपने जवानों की सुरक्षा पूरा देश एकजुट होकर करेगा.
इस दौरान वो पीटीआई अध्यापकों से भी मिले. उन्होंने पीटीआई अध्यापकों से बातचीत में कहा कि हमारी सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि भर्ती प्रकिया में इन लोगों को भी शामिल किया जाए. ताकि इन्हें दोबारा रोजगार मिल सके और जो लोग वंचित रह गए थे उनको भी उनका हक मिले.
उन्होंने कहा कि आढ़त का अधिकार अढ़ाई प्रतिशत आढ़ती को हमारी सरकार दे रही है. सरकार सीधा पैसा किसान के खाते में देने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि आढ़तियों की मदद से 98 प्रतिशत किसानों की पेमेंट कर दी गई है.
क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला ?
बता दें कि साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.
इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.
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