हिसारः जिले में कोरोना तेजी से पैर पसार रहा है जिससे निपटने के लिए शहर में दो नए कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं और पुराने कंटेनमेंट जोन का दायरा बढ़ाया गया है. हिसार की उपायुक्त प्रियंका सोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि कंटेनमेंट जोन में कोरोना को नियंत्रण में रखने के लिए प्लान बनाया गया है जिसके तहत कंटेनमेंट और बफर जोन में कोरोना पॉजिटिव पाये गये लोगों के संपर्क में आये लोगों की पहचान की जा रही है.
पहला कंटेनमेंट जोन
- हाउसिंग बोर्ड में अशोक कुमार के मकान नंबर 483 से विनोद कुमार के मकान नंबर 497 तक
- इस क्षेत्र में विजय कुमार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट और एक्सईएन पवन कुमार को इंसीडेंट कमांडर नियुक्त किया गया है
- आवश्यक वस्तुओं के लिए इस क्षेत्र के लोगों को इन अधिकारियों से संपर्क करना होगा
दूसरा कंटेनमेंट जोन
- धर्मेंद्र के मकान नंबर 366 से बीडी शर्मा के मकान नंबर 602 तक
- इस क्षेत्र में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार पूनिया को ड्यूटी मजिस्टे्रट जबकि एक्सईएन पवन कुमार को इंसीडेंट कमांडर बनाया गया है
- आवश्यक वस्तुओं के लिए इस क्षेत्र के लोगों को इन अधिकारियों से संपर्क करना होगा
इलके अलावा 29 जून को हाउसिंग बोर्ड में ईश्वर सिंह की दुकान से मकान नंबर 126 के बीच बनाए गए कंटेनमेंट जोन के दायरे को सिविल सर्जन की सिफारिश पर बढ़ा दिया गया है. अब ये नवीन के मकान नंबर 121 तक हो गया है. इन तीन कंटेनमेंट जोन को छोड़कर हाउसिंग बोर्ड के बाकी बचे क्षेत्र को बफर जोन घोषित किया गया है.
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कैसे तय होता है कंटेनमेंट जोन ?
कंटेनमेंट जोन को लेकर भी अलग-अलग नियम हैं. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कंटेनमेंट जोन को तय करने का अलग फॉर्मूला अपनाया जाता है. अगर किसी इलाके में कोरोना का एक पॉजिटिव केस आता है तो शहरी क्षेत्र में उस कॉलोनी, मोहल्ले या वार्ड की सीमा के अंदर कम से कम 400 मीटर के दायरे को कंटेनमेंट घोषित किया जा सकता है. प्रशासन चाहे तो 400 मीटर से ज्यादा दायरे को भी इसमे अंतर्गत ले सकता है. वहीं, यदि किसी ग्रामीण इलाके में कोरोना का एक केस आये तो पूरा गांव ही कंटेनमेंट घोषित कर दिया जाता है.
जानिए क्या होता है बफर जोन
जिस इलाके को कंटेनमेंट जोन बनाया जाता है उसके आसपास के इलाके को बफर जोन में रखा जाता है. ये कंटेनमेंट जोन से थोड़ा कम खतरे से भरा माना जाता है. बफर जोन कंटेनमेंट जोन के 3 किलोमीटर तक का दायरा हो सकता है हालांकि ये हर जगह अलग-अलग भी हो सकता है. स्थानीय प्रशासन बफर जोन में संवेदनशीलता के आधार पर इस दायरे को कम या ज्यादा कर सकता है.