पानीपत: हरियाणा में सूखे चारे खासकर गेहूं से बनने वाले भूसे (तूड़ी) का दाम सातवें आसमान पर पहुंच चुका है. पिछले सीजन जो भूसा करीब 300 रूपये प्रति क्विंटल था वो अब 700 के ऊपर मिल रहा है. थोक में किसान 7 हजार रुपये में एक एकड़ खरीद लेते थे. लेकिन उसका दाम अब 16 हजार रुपये को पार कर गया. सामान्य किसान के लिए इतना महंगा चारा खरीदना बेहद मुश्किल हो रहा था. हरियाणा में चारा संकट (fodder crisis in haryana) को लेकर गौशाला संचालकों ने जिला प्रशासन से भी गुहार लगाई थी. चारा संकट देखते हुए जिला उपायुक्त ने धारा 144 लगाते हुए जिले में सूखे चारे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगा दी.
हरियाणा से बड़ी मात्रा में तूड़ी राजस्थान में पशु चारे के लिए सप्लाई होती है. इसलिए हिसार के अलावा करीब 10 से ज्यादा जिलों में यह धारा 144 लगाई गई थी. हिसार के ही एक वकील और किसान हर्षदीप सिंह गिल ने जिला प्रशासन के इस फैसले को न्यायालय में चुनौती दी. इस पर सुनवाई करते हुए जिला न्यायालय ने हिसार जिला उपायुक्त के इस फैसले को गलत करार देते हुए निरस्त कर दिया.
21 अप्रैल 2022 को हिसार प्रशासन ने सीआरपीसी की धारा 144 लागू किया था. इसमें 2 प्वाइंट लागू किए गए थे. पहला- तूड़ी के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध. दूसरा- तूड़ी के ट्रांसपोटेशन पर रोक. जिसमें किसान तूड़ी को जिले की सीमा से बाहर नहीं ले जा सकता था. इसको लेकर हम ने जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर इसे हटाने की भी मांग की थी. हर्षदीप सिंह गिल, याचिकाकर्ता
हर्षदीप सिंह गिल ने कहा कि इस बार गेहूं की पैदावार कम होने की वजह से तूड़ी भी कम हुई है. किसान को बेहद नुकसान हुआ लेकिन तूड़ी के भाव तेज होने की वजह से किसान इसे बेचकर नुकसान की भरपाई कर रहे थे. लेकिन प्रशासन ने यह रोक लगा दी जिसके बाद किसान की तूड़ी कोई नहीं खरीद रहा था. ऐसी समस्या को देखते हुए हमने एडिशनल सेशन जज विवेक गोयल की अदालत में रिव्यू पिटिशन डाली. हमारी समस्या को सुनते हुए रिव्यू पिटिशन मंजूर कर ली गई और जिला प्रशासन के आदेश को निरस्त कर दिया गया.
याचिकाकर्ता हर्षदीप सिंह गिल ने कहा कि हिसार के अलावा बाकी जिलों में भी हम अपने सदस्यों से बात कर रहे हैं और जल्द ही वहां भी रिव्यू पिटिशन डाली जाएगी या फिर सीधे हाईकोर्ट में इसको लेकर पूरे स्टेट के लिए याचिका लगाई जायेगी.
चारा महंगा क्यों हुआ- चारा महंगा होने के पीछे कई बड़े कारण बताये जा रहे हैं. पहला यह है कि इस बार पिछले सालों की तुलना में गेहूं की बिजाई बेहद कम की गई थी. क्योंकि सरसों का भाव तेज था इसलिए किसानों ने मुनाफे के लिए सरसों ज्यादा बोई. दूसरा बड़ा कारण ये भी है कि अब हाथ से कटाई की बजाए 90 फीसदी गेहूं की कटाई कंबाइन मशीन से का जाती है. मैनुअल कटाई और कंबाइन से कटाई की तुलना में तूड़ी 30 प्रतिशत तक कम निकलती है. इसके अलावा तीसरा बड़ा कारण ये भी है कि समय से पहले शुरू हुई गर्मी की वजह से भी गेहूं उत्पादन कम हुआ है. भारी गर्मी की वजह से गेहूं की फसल हल्की हो गई.
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