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हरियाणा के साधारण किसान की ओलंपियन बेटी, इनकी कहानी से हर कोई होगा प्रेरित

8 फरवरी 1993 को जन्मी हिसार के उमरा गांव के साधारण किसान परिवार की बेटी पूनम रानी ने राष्ट्रीय खेल हॉकी में देश और प्रदेश को गौरवान्वित किया है. पूनम ने हॉकी खेलने की शुरुआत 2005 में उमरा गांव से ही की थी और अब तक लगभग 187 इंटरनेशनल हॉकी मैच खेल चुकी हैं.

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Published : Jun 11, 2019, 6:08 AM IST

poonam rani hockey player

हिसार: हम आपको इस खास पेशकश के जरिए प्रदेश के ऐसे खिलाड़ियों से मिला रहे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपनी पहचान बनाई है. ऐसी ही हैं साधारण किसान की ये ओलंपियन बेटी जिसने दुनिया में देश और प्रदेश का मान हमेशा बढ़ाया है.

पूनम रानी मलिक आज हॉकी की दुनिया की जानी-पहचानी हस्ती हैं लेकिन ये पहचान ऐसे ही नहीं मिली. इसके लिए पूनम ने कड़ी मेहनत की, साथ ही साथ बड़ी परेशानियों का सामना किया लेकिन हार कभी नहीं मानी. पूनम ने बताया कि जब उन्होंने खेल की शुरुआत की थी उस वक्त सामाजिक रीति-रिवाजों को दरकिनार कर आगे बढ़ने का हौसला उनके पिता ने दिया और हर कदम पर उनका साथ दिया.

क्लिक कर देखें वीडियो

पूनम ने बताया कि जब उन्होंने खेलना शुरु किया उस वक्त गांव इतने एडवांस नहीं होते थे. हालांकि अब कुछ सुविधाएं गांव में भी मिल रही हैं. पूनम ने बताया कि जब वह पांचवी क्लास में थी तब सरकारी स्कूल में हॉकी खिलाई जाती थी और गांव में भी हॉकी का काफी प्रचलन था. उनके घर के सामने से हॉकी की प्रैक्टिस के लिए लड़के और लड़कियां जाया करते थे जिनको देखकर उनकी रुचि भी हॉकी में बढ़ने लगी.

अपने पहले कोच के बारे में बताते हुए पूनम ने कहा कि उनके पहले कोच जगजीत सिंह उमरा गांव से ही थे और जब वह शुरु में खेलने गई तो उन्होंने पूनम को हॉकी स्टिक दी और बाद में वह उन्हें टॉफी भी दिया करते थे, जिसको लेकर भी पूनम की रुचि हॉकी के खेल में लगातार बढ़ने लगी. हॉकी को लेकर उनमें जोश हमेशा रहा लेकिन पढ़ाई भी की. वह 2 महीने परीक्षाओं की तैयारियां करती और इसी तरह से वह हॉकी और पढ़ाई के बीच तालमेल रखती रही हैं.

पूनम अब तक लगभग 187 इंटरनेशनल हॉकी मैच खेल चुकी हैं. इंडिया अंडर-21 और अंडर-18 टीम की कप्तान रहने के साथ-साथ जूनियर और सीनियर वर्ल्ड कप, एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स भी खेल चुकी हैं. हॉकी को लेकर अपने आगामी लक्ष्य के बारे में पूनम ने बताया कि 2020 में होने वाले ओलंपिक गेम्स के लिए वह तैयारी कर रही हैं और उसमें चयन होने के बाद वह देश के लिए एक और मेडल जीतने के लिए जी-जान लगा देंगी.

हिसार: हम आपको इस खास पेशकश के जरिए प्रदेश के ऐसे खिलाड़ियों से मिला रहे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपनी पहचान बनाई है. ऐसी ही हैं साधारण किसान की ये ओलंपियन बेटी जिसने दुनिया में देश और प्रदेश का मान हमेशा बढ़ाया है.

पूनम रानी मलिक आज हॉकी की दुनिया की जानी-पहचानी हस्ती हैं लेकिन ये पहचान ऐसे ही नहीं मिली. इसके लिए पूनम ने कड़ी मेहनत की, साथ ही साथ बड़ी परेशानियों का सामना किया लेकिन हार कभी नहीं मानी. पूनम ने बताया कि जब उन्होंने खेल की शुरुआत की थी उस वक्त सामाजिक रीति-रिवाजों को दरकिनार कर आगे बढ़ने का हौसला उनके पिता ने दिया और हर कदम पर उनका साथ दिया.

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पूनम ने बताया कि जब उन्होंने खेलना शुरु किया उस वक्त गांव इतने एडवांस नहीं होते थे. हालांकि अब कुछ सुविधाएं गांव में भी मिल रही हैं. पूनम ने बताया कि जब वह पांचवी क्लास में थी तब सरकारी स्कूल में हॉकी खिलाई जाती थी और गांव में भी हॉकी का काफी प्रचलन था. उनके घर के सामने से हॉकी की प्रैक्टिस के लिए लड़के और लड़कियां जाया करते थे जिनको देखकर उनकी रुचि भी हॉकी में बढ़ने लगी.

अपने पहले कोच के बारे में बताते हुए पूनम ने कहा कि उनके पहले कोच जगजीत सिंह उमरा गांव से ही थे और जब वह शुरु में खेलने गई तो उन्होंने पूनम को हॉकी स्टिक दी और बाद में वह उन्हें टॉफी भी दिया करते थे, जिसको लेकर भी पूनम की रुचि हॉकी के खेल में लगातार बढ़ने लगी. हॉकी को लेकर उनमें जोश हमेशा रहा लेकिन पढ़ाई भी की. वह 2 महीने परीक्षाओं की तैयारियां करती और इसी तरह से वह हॉकी और पढ़ाई के बीच तालमेल रखती रही हैं.

पूनम अब तक लगभग 187 इंटरनेशनल हॉकी मैच खेल चुकी हैं. इंडिया अंडर-21 और अंडर-18 टीम की कप्तान रहने के साथ-साथ जूनियर और सीनियर वर्ल्ड कप, एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स भी खेल चुकी हैं. हॉकी को लेकर अपने आगामी लक्ष्य के बारे में पूनम ने बताया कि 2020 में होने वाले ओलंपिक गेम्स के लिए वह तैयारी कर रही हैं और उसमें चयन होने के बाद वह देश के लिए एक और मेडल जीतने के लिए जी-जान लगा देंगी.

Intro:हिसार जिले के उमरा गांव के साधारण किसान परिवार की बेटी पूनम रानी ने राष्ट्रीय खेल हॉकी में देश और प्रदेश को गौरवान्वित किया है। पूनम ने हॉकी खेल की शुरुआत 2005 में उमरा गांव से ही की थी और अब तक लगभग 187 इंटरनेशनल हॉकी मैच, अंडर 21 और अंडर 18 टीम की कप्तान रहने के साथ-साथ जूनियर और सीनियर वर्ल्ड कप, एशियन गेम और कॉमन वेल्थ भी खेल चुकी हैं।


पूनम रानी ने बताया कि जब उन्होंने खेल की शुरुआत की थी उस वक्त सामाजिक रीति-रिवाजों को दरकिनार कर आगे बढ़ने का हौसला उन्हें उनके पिता ने दिया और हर कदम पूनम का साथ देते हुए उसका हौसला बढ़ाया। पूनम ने बताया कि जब उन्होंने खेलना शुरू किया उस वक्त गांव इतने एडवांस नहीं होते थे हालांकि अब कुछ सुविधाएं गांव में भी हो गई हैं।

हॉकी की तरफ रुझान को लेकर पूनम रानी ने कहा कि जब वह पांचवी क्लास में थी तब सरकारी स्कूल में हॉकी खिलाई जाती थी और गांव में भी हॉकी का काफी प्रचलन था, उनके घर के सामने से हॉकी के लड़के और लड़कियां प्रेक्टिस करने जाया करते थे जिसको देखकर उनकी रुचि भी हॉकी में बढ़ने लगी।


पूनम रानी ने अपने पहले कोच के बारे में बताते हुए कहा कि उनके पहले कोच जगजीत सिंह उमरा गांव से ही थे और जब वह शुरू में खेलने गई तो उन्होंने पूनम को हॉकी स्टिक दी और बाद में वह उन्हें टॉफी भी दिया करते थे, जिसको लेकर भी पूनम की रुचि हॉकी के खेल में लगातार बढ़ने लगी।

हॉकी के साथ पढ़ाई को लेकर पूनम ने कहा कि हॉकी को लेकर उनमें जोश है लेकिन एग्जाम के समय वह 2 महीने परीक्षाओं की तैयारियां करती हैं और इसी तरह से वह हॉकी और पढ़ाई के बीच तालमेल रखती हैं।




Body:हॉकी को लेकर अपने आगामी लक्ष्य के बारे में पूनम रानी ने बताया कि 2020 में होने वाले ओलंपिक गेम के लिए वह तैयारी कर रही हैं और उसमें चयन होने के बाद वह अपनी टीम को जीत हासिल करवाएंगी।


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