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करोड़ों रुपये का शराब घोटाला उजागर करने वाले शख्स ने बताया जान का खतरा, बोला- प्रशासन भी मिला हुआ है

साल 2021 में फतेहाबाद और हिसार जिले में करोड़ों रुपये के शराब घोटाले (Liquor scam in Haryana) को उजागर करने वाले एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा को अब जान का खतरा है. उनका कहना है कि 85 करोड़ के शराब घोटाले में कई प्रभावी व्यक्ति शामिल हैं. इतना बड़ा घोटाला मैंने उजागर किया है जिसमें बड़े शराब कारोबारी और अधिकारी शामिल हैं.

हरियाणा एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा
हरियाणा एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा
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Published : Sep 6, 2022, 10:20 PM IST

हिसार: घोटाला उजागर करने वाले एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा (Haryana Excise Inspector Dinesh Mehra) का कहना है कि जब भी मैं जांच के सिलसिले में चंडीगढ़ या पंचकूला जाता हूं तो अज्ञात गाड़ियां मेरा पीछा करती हैं. मैं मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को भी पत्र लिखकर सुरक्षा देने की मांग कर चुका हूं. गृह मंत्री अनिल विज ने सुरक्षा को लेकर आदेश जारी किए थे लेकिन स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा नहीं दी और पत्र के जवाब में लिखा कि दिनेश मेहरा को किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है.

दिनेश मेहरा ने इस घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले में जांच की मांग की थी. उस दौरान इंस्पेक्टर ने इस संबंध में शिकायत सीबीआई चंडीगढ़, दिल्ली व ईडी को भी की थी. जिस पर सीबीआई चंडीगढ़ ने संज्ञान लेते हुए 23 अगस्त 2021 को एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर (ईटीसी) आईएएस शेखर विद्यार्थी, मुख्यालय पंचकूला को मामले की जांच व कार्रवाई के बारे में पत्र लिखा था. फिलहाल इस मामले को लेकर आबकारी विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा एक जांच कमेटी बनाई गई है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.

हरियाणा एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा.

एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा का आरोप है कि तरुण मेहता शराब कारोबारी है, आबाकारी विभाग के कुछ अधिकारियों से मिलकर ये घोटाला किया है. इन लोगों ने आबाकारी विभाग के राजस्व को करोड़ों रुपये का नुकसान किया है. इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा ने बताया था कि इस फर्म की ओर से शराब ठेके लेने के दौरान एम-75, सोलवेंसी सर्टिफिकेट, साइट प्लान जैसे जरूरी दस्तावेज भी जमा नहीं करवाए गए थे. जो कि शराब का ठेका लेने के लिए जमा करवाना अनिवार्य दस्तावेज हैं. अधिकारियों ने मिलीभगत करके अवैध तरीके से फर्म को काम करने का ठेका दिया.

दिनेश मेहरा ने मुख्यमंत्री को शिकायत देते हुए खुलासा किया कि जोरबा वाइन फर्म संचालक तरुण मेहता की तरफ से फतेहाबाद के ठेकों की 2018-19 में 34 लाख 6 हजार 800 रुपये लाइसेंस फीस और 2019-20 में 25 करोड़ रुपये बकाया थी. इसलिए यह फर्म ब्लैक लिस्टेड भी घोषित की गई थी. इसके अलावा हिसार के ठेकों की 2019-2020 तक करीब 11 करोड़ 55 लाख रुपये लाइसेंस फीस भी उस पर बकाया थी. दिनेश मेहरा के अनुसार एक्साइज एक्ट 1914 के हिसाब से ब्लैक लिस्टेड फर्म को अगले साल ठेके नहीं दिए जा सकते. इसके बावजूद तरुण मेहता की फर्म को ठेके दिए गए.

एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा का आरोप है कि मेसर्स जोरबा वाइन फर्म को फतेहाबाद में बिना कागजात 2018-19 में 21 करोड़ रुपए के ठेके दिए गए. उसके बाद 2019-20 में इसी फर्म को 38 करोड़ का ठेका दिया गया. उसके बाद जोरबा वाइन फर्म हिसार ने 2019-20 में 26 करोड़ का कारोबार लिया. एक्साइज एक्ट 1914 के अनुसार कोई भी फर्म डिफॉल्टर घोषित हो तो वो अगले वर्ष नीलामी में भाग नहीं ले सकता है. यह सब तत्कालीन एक्साइज टैक्ससेशन ऑफिसर की मिलीभगत से किया गया था.

इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा ने मुख्यमंत्री और ग्रहमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि अगर उन्हें किसी भी प्रकार का जानमाल का नुकसान होता है तो उसके जिम्मेदार डीटीसी वीके शास्त्री और जोरबा वाइन फर्म संचालक तरुण मेहता और सरकार होगी. दिनेश मेहता लगातार तमाम अधिकारियों से अपनी सुरक्षा के लिए मांग करते आ रहे हैं लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सुरक्षा पुलिस विभाग की तरफ से नहीं दी गई.

हिसार: घोटाला उजागर करने वाले एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा (Haryana Excise Inspector Dinesh Mehra) का कहना है कि जब भी मैं जांच के सिलसिले में चंडीगढ़ या पंचकूला जाता हूं तो अज्ञात गाड़ियां मेरा पीछा करती हैं. मैं मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को भी पत्र लिखकर सुरक्षा देने की मांग कर चुका हूं. गृह मंत्री अनिल विज ने सुरक्षा को लेकर आदेश जारी किए थे लेकिन स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा नहीं दी और पत्र के जवाब में लिखा कि दिनेश मेहरा को किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है.

दिनेश मेहरा ने इस घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले में जांच की मांग की थी. उस दौरान इंस्पेक्टर ने इस संबंध में शिकायत सीबीआई चंडीगढ़, दिल्ली व ईडी को भी की थी. जिस पर सीबीआई चंडीगढ़ ने संज्ञान लेते हुए 23 अगस्त 2021 को एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर (ईटीसी) आईएएस शेखर विद्यार्थी, मुख्यालय पंचकूला को मामले की जांच व कार्रवाई के बारे में पत्र लिखा था. फिलहाल इस मामले को लेकर आबकारी विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा एक जांच कमेटी बनाई गई है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.

हरियाणा एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा.

एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा का आरोप है कि तरुण मेहता शराब कारोबारी है, आबाकारी विभाग के कुछ अधिकारियों से मिलकर ये घोटाला किया है. इन लोगों ने आबाकारी विभाग के राजस्व को करोड़ों रुपये का नुकसान किया है. इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा ने बताया था कि इस फर्म की ओर से शराब ठेके लेने के दौरान एम-75, सोलवेंसी सर्टिफिकेट, साइट प्लान जैसे जरूरी दस्तावेज भी जमा नहीं करवाए गए थे. जो कि शराब का ठेका लेने के लिए जमा करवाना अनिवार्य दस्तावेज हैं. अधिकारियों ने मिलीभगत करके अवैध तरीके से फर्म को काम करने का ठेका दिया.

दिनेश मेहरा ने मुख्यमंत्री को शिकायत देते हुए खुलासा किया कि जोरबा वाइन फर्म संचालक तरुण मेहता की तरफ से फतेहाबाद के ठेकों की 2018-19 में 34 लाख 6 हजार 800 रुपये लाइसेंस फीस और 2019-20 में 25 करोड़ रुपये बकाया थी. इसलिए यह फर्म ब्लैक लिस्टेड भी घोषित की गई थी. इसके अलावा हिसार के ठेकों की 2019-2020 तक करीब 11 करोड़ 55 लाख रुपये लाइसेंस फीस भी उस पर बकाया थी. दिनेश मेहरा के अनुसार एक्साइज एक्ट 1914 के हिसाब से ब्लैक लिस्टेड फर्म को अगले साल ठेके नहीं दिए जा सकते. इसके बावजूद तरुण मेहता की फर्म को ठेके दिए गए.

एक्साइज इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा का आरोप है कि मेसर्स जोरबा वाइन फर्म को फतेहाबाद में बिना कागजात 2018-19 में 21 करोड़ रुपए के ठेके दिए गए. उसके बाद 2019-20 में इसी फर्म को 38 करोड़ का ठेका दिया गया. उसके बाद जोरबा वाइन फर्म हिसार ने 2019-20 में 26 करोड़ का कारोबार लिया. एक्साइज एक्ट 1914 के अनुसार कोई भी फर्म डिफॉल्टर घोषित हो तो वो अगले वर्ष नीलामी में भाग नहीं ले सकता है. यह सब तत्कालीन एक्साइज टैक्ससेशन ऑफिसर की मिलीभगत से किया गया था.

इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा ने मुख्यमंत्री और ग्रहमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि अगर उन्हें किसी भी प्रकार का जानमाल का नुकसान होता है तो उसके जिम्मेदार डीटीसी वीके शास्त्री और जोरबा वाइन फर्म संचालक तरुण मेहता और सरकार होगी. दिनेश मेहता लगातार तमाम अधिकारियों से अपनी सुरक्षा के लिए मांग करते आ रहे हैं लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सुरक्षा पुलिस विभाग की तरफ से नहीं दी गई.

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