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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी, पर्यावरण विषय के लिए 170 कॉलेजों में केवल 10 शिक्षक

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Published : Dec 10, 2019, 10:02 PM IST

प्रदेश के लगभग 170 कॉलेजों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश आने के बाद भी केवल 10 पर्यावरण के शिक्षक इस विषय को पढ़ा रहे हैं.

envrionmental study teachers haryana
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हिसार: पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को निर्देश दिए गए थे की सभी विश्वविधालयों और उनके अधीन आने वाले कॉलेजों में एनवायरमेंट स्टडी को लेकर छह महीने का कोर मॉड्यूल स्लेबस लगाया जाए.

जिसके बाद यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने सभी विश्वविधालयों को इस सम्बन्ध में नोटिफिकेशन जारी किए. सभी विश्वविधालयों ने इसको लागू किया लेकिन विषय से सम्बंधित शिक्षक प्रदेश के अधिकतर कॉलेज में नहीं है. पर्यावरण का यह विषय अन्य विषयों के शिक्षकों के द्वारा पढ़ाया जा रहा है.

गुरु जम्भेश्वर विश्वविधालय में रिसर्च स्कॉलर कुलबीर सिंह का बयान.

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविधालय में एनवायरमेंट डिपार्टमेंट से रिसर्च स्कॉलर कुलबीर सिंह की तरफ से लगाई गई आरटीआई में जानकारी मिली कि प्रदेश के कई कॉलेज ऐसे है जिनमें पर्यावरण विषय को अन्य विषयों के शिक्षक पढ़ा रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः- जानिए महाराजा सूरजमल का असल इतिहास, जिस वजह से पानीपत फिल्म पर मचा है बवाल

कुलबीर सिंह ने गुरु जम्भेश्वर विश्वविधालय का जिक्र करते हुए कहा कि पर्यावरण विषय से सम्बंधित शिक्षक ना होने के कारण यूनिवर्सिटी में भी लगभग 70 प्रतिशत छात्र इस विषय में अनुत्तीर्ण हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के लगभग 170 कॉलेजों में केवल 10 शिक्षक ऐसे हैं जो इस विषय को पढ़ने में सक्षम हैं और नियमों के आधार पर इस विषय को पढ़ा रहे हैं.

कुलबीर सिंह ने कहा कि विश्वविधालयों ने पर्यावरण विषय को लागू कर रखा है लेकिन शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया डायरेक्ट्रेट ऑफ हायर एजुकेशन की तरफ से की जाती है. हायर एजुकेशन विभाग की तरफ से पत्र जारी कर कहा गया है कि जब तक विषय से सम्बंधित फैकल्टी नहीं है तब तक अन्य विषय के शिक्षक पर्यावरण विषय को पढ़ा सकते हैं. कुलबीर सिंह ने मांग की है कि जब तक पर्यावरण विषय से सम्बंधित शिक्षकों की भर्तियां नहीं होती है तब तक पर्यावरण विषय से सम्बंधित एक्सटेंक्शन शिक्षकों की नियुक्तियां की जाएं.

ये भी पढ़ेंः- सरस्वती नदी के अस्तित्व पर फिर मंडराया खतरा, ठंडे बस्ते में सरस्वती को बचाने की योजना

हिसार: पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को निर्देश दिए गए थे की सभी विश्वविधालयों और उनके अधीन आने वाले कॉलेजों में एनवायरमेंट स्टडी को लेकर छह महीने का कोर मॉड्यूल स्लेबस लगाया जाए.

जिसके बाद यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने सभी विश्वविधालयों को इस सम्बन्ध में नोटिफिकेशन जारी किए. सभी विश्वविधालयों ने इसको लागू किया लेकिन विषय से सम्बंधित शिक्षक प्रदेश के अधिकतर कॉलेज में नहीं है. पर्यावरण का यह विषय अन्य विषयों के शिक्षकों के द्वारा पढ़ाया जा रहा है.

गुरु जम्भेश्वर विश्वविधालय में रिसर्च स्कॉलर कुलबीर सिंह का बयान.

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविधालय में एनवायरमेंट डिपार्टमेंट से रिसर्च स्कॉलर कुलबीर सिंह की तरफ से लगाई गई आरटीआई में जानकारी मिली कि प्रदेश के कई कॉलेज ऐसे है जिनमें पर्यावरण विषय को अन्य विषयों के शिक्षक पढ़ा रहे हैं.

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कुलबीर सिंह ने गुरु जम्भेश्वर विश्वविधालय का जिक्र करते हुए कहा कि पर्यावरण विषय से सम्बंधित शिक्षक ना होने के कारण यूनिवर्सिटी में भी लगभग 70 प्रतिशत छात्र इस विषय में अनुत्तीर्ण हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के लगभग 170 कॉलेजों में केवल 10 शिक्षक ऐसे हैं जो इस विषय को पढ़ने में सक्षम हैं और नियमों के आधार पर इस विषय को पढ़ा रहे हैं.

कुलबीर सिंह ने कहा कि विश्वविधालयों ने पर्यावरण विषय को लागू कर रखा है लेकिन शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया डायरेक्ट्रेट ऑफ हायर एजुकेशन की तरफ से की जाती है. हायर एजुकेशन विभाग की तरफ से पत्र जारी कर कहा गया है कि जब तक विषय से सम्बंधित फैकल्टी नहीं है तब तक अन्य विषय के शिक्षक पर्यावरण विषय को पढ़ा सकते हैं. कुलबीर सिंह ने मांग की है कि जब तक पर्यावरण विषय से सम्बंधित शिक्षकों की भर्तियां नहीं होती है तब तक पर्यावरण विषय से सम्बंधित एक्सटेंक्शन शिक्षकों की नियुक्तियां की जाएं.

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Intro:पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को निर्देश दिए गए थे की सभी विश्वविधालयों और उनके अधीन आने वाले कॉलेजों में एनवायरमेंट स्टडी को लेकर छह महीने का कोर मॉड्यूल स्लेबस लगाया जाए। जिसके बाद यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने सभी विश्वविधालयों को इस सम्बन्ध में नोटिफिकेशन जारी किए। सभी विश्वविधालयों ने इसको लागु किया लेकिन विषय से सम्बंधित शिक्षक प्रदेश के अधिकतर कॉलेज में नहीं है। पर्यावरण का यह विषय अन्य विषयों के शिक्षकों के द्वारा पढ़ाया जा रहा है। गुरु जम्भेश्वर विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी विश्वविधालय में एनवायरमेंट डिपार्टमेंट से रिसर्च स्कॉलर कुलबीर सिंह की तरफ से लगाई गई आरटीआई में जानकारी मिली की प्रदेश के कई कॉलेज ऐसे है जिनमे पर्यावरण विषय को अन्य विषयों के शिक्षक पढ़ा रहे है। कुलबीर सिंह ने गुरु जम्भेश्वर विश्वविधालय का जिक्र करते हुए कहा की पर्यावरण विषय से सम्बंधित शिक्षक ना होने के कारण यूनिवर्सिटी में भी लगभग 70 प्रतिशत छात्र इस विषय में अनुत्तीर्ण हो रहे है। उन्होंने कहा की प्रदेश के लगभग 170 कॉलेजों में केवल 10 शिक्षक ऐसे है जो इस विषय को पढ़ने में सक्षम है और नियमों के आधार पर इस विषय को पढ़ा रहे है।

कुलबीर सिंह ने कहा की विश्वविधालयों ने पर्यावरण विषय को लागु कर रखा है लेकिन शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया डायरेक्ट्रेट ऑफ़ हायर एजुकेशन की तरफ से की जाती है। उन्होंने बताया की हायर एजुकेशन विभाग की तरफ से पत्र जारी कर कहा गया है की जबतक विषय से सम्बंधित फैकल्टी नहीं है तबतक अन्य विषय के शिक्षक पर्यावरण विषय को पढ़ा सकते है।

Body:कुलबीर सिंह ने मांग की है की जबतक पर्यावरण विषय से सम्बंधित शिक्षकों की भर्तियां नहीं होती है तबतक पर्यावरण विषय से सम्बंधित एक्सटेंक्शन शिक्षकों की नियुक्तियां की जाएं।

बाइट- कुलबीर सिंह, पर्यावरण स्कोलर गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय हिसार।Conclusion:

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